बारिश की रिमझिम बूंदों से धरती की प्यास बुझा डाली
प्यासों के सहज निवेदन पर मेघों ने प्रीत लुटा डाली.
सागर का पानी तप-तप कर बन वाष्प क्षितिज वातान हुआ
उस सघन वाष्प संयोजन से, फिर बादल का निर्माण हुआ
तिल-तिल मिल रूप विराट बना, वह नभ में गरज रहा था जो
पावस के प्रणय निवेदन पर निज हस्ती स्वयं मिटा डाली.
फिर तृप्त हुई धरती पुलकी, जुट गई सृजन, संयोजन में
वन उपवन के खिल गए गात, हरियाली छाई तनमन में
फिर शीत मरूत के झोंकों से, कुछ झिझकी सिमटी कायनात
प्रियतम की प्रेम प्रतीक्षा में, झूमने लगी डाली-डाली.
फिर कोयल कूकी डाली से, आया प्रियतम प्यारा वसंत
मद रस छलकाती बही पवन, महकने लग गये दिग-दिगंत
पी कहाँ पपीहा की पुकार , अलि वृन्दों का मधु लय गुंजन
ऋतुराज-प्रकृति का आलिंगन, मधु की मदिरा छलका डाली.
प्यासों के सहज निवेदन पर मेघों ने प्रीत लुटा डाली.
सागर का पानी तप-तप कर बन वाष्प क्षितिज वातान हुआ
उस सघन वाष्प संयोजन से, फिर बादल का निर्माण हुआ
तिल-तिल मिल रूप विराट बना, वह नभ में गरज रहा था जो
पावस के प्रणय निवेदन पर निज हस्ती स्वयं मिटा डाली.
फिर तृप्त हुई धरती पुलकी, जुट गई सृजन, संयोजन में
वन उपवन के खिल गए गात, हरियाली छाई तनमन में
फिर शीत मरूत के झोंकों से, कुछ झिझकी सिमटी कायनात
प्रियतम की प्रेम प्रतीक्षा में, झूमने लगी डाली-डाली.
फिर कोयल कूकी डाली से, आया प्रियतम प्यारा वसंत
मद रस छलकाती बही पवन, महकने लग गये दिग-दिगंत
पी कहाँ पपीहा की पुकार , अलि वृन्दों का मधु लय गुंजन
ऋतुराज-प्रकृति का आलिंगन, मधु की मदिरा छलका डाली.
2 comments:
आपकी बहुत सी रचनाएँ पढीं ..सभी एक से बढ़ कर एक हैं ... आभार इतनी सुन्दर प्रस्तुति के लिए ..बाकी बाद में पढूंगी
SANGEETA JI
Itni tareef bhee mat kijiye ki rachnakaar ka dimaag satven aasman par pahunch jaye.Phir bhee aapko rachna achhi lagi, Dhanyvad.
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