१.
फागुन भीर अबीर, गुलाल
पलाश के रंगन सों रंगी होली
मौर धरे सिर बौर रसाल
चले मनौ लेन को दूल्हन डोली
भौरन राग सुरीले कहूँ
सुर में कहूँ पंचम कोकिल बोली
घूमै वसंत सुगंध लिए
सिर में दई सेमर के रचि रोली.
२.
नूतन वर्ष के स्वागत में
सब साज संवारि चली तन होली
गेंहूँ, चना, जौं कान्धेन पै
चली फूलन सों सजवाय कै डोली
राग, मल्हार बजावत, गावत
कोकिल, भ्रंगन की लिए टोली
पौन सुगंध बिखेरत संग
दई मग नाइ अबीरन झोली.
३.
स्वागत में नववर्ष के आगम के
यह साज सिंगार है होली
प्रेयसी-प्रेमियों के हिय में
भर लायी वसंत बहार है होली
भारत में मनभावन, पावन
पर्व नहीं उपहार है होली
दूर करो मन की कटुता
खुला मेल-मिलाप का द्वार है होली.
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