कहीं हो आग , जलायेगी उसकी फितरत है,
कभी किसी का जले घर, मकान अपना है /
जो मरा हिन्दू, मुसलमाँ , ईसाई , सिख वो नहीं,
ज़रा सा गौर से देखो , वो कोई अपना है /
मुल्क को बाँट सियासत में, कौम-ओ- फिरकों में ,
किसी सुकून की ख्वाहिश , ये महज सपना है /
नफरतें बोना- उगाना , ये बात ठीक नहीं ,
ओ नेकबख्त , ये सारा ज़हान अपना है /
अपनी हरकत से झुके सिर न सरज़मीं का कहीं ,
ये देश अपना है , शान - ओ - गुमान अपना है /
वो लूट कैसी , कहीं भी , किसी के साथ सही ,
जो लुट रहा है , वो हिन्दोस्तान अपना है /
- एस. एन. शुक्ल
कभी किसी का जले घर, मकान अपना है /
जो मरा हिन्दू, मुसलमाँ , ईसाई , सिख वो नहीं,
ज़रा सा गौर से देखो , वो कोई अपना है /
मुल्क को बाँट सियासत में, कौम-ओ- फिरकों में ,
किसी सुकून की ख्वाहिश , ये महज सपना है /
नफरतें बोना- उगाना , ये बात ठीक नहीं ,
ओ नेकबख्त , ये सारा ज़हान अपना है /
अपनी हरकत से झुके सिर न सरज़मीं का कहीं ,
ये देश अपना है , शान - ओ - गुमान अपना है /
वो लूट कैसी , कहीं भी , किसी के साथ सही ,
जो लुट रहा है , वो हिन्दोस्तान अपना है /
- एस. एन. शुक्ल