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Sunday, May 29, 2011

(42) घर नहीं होता

मकां जिनके नहीं है पास, उनके पास घर तो है
मगर महलों में रहते हैं जो, उनका घर नहीं होता.

दर-ओ-दीवार, बैठक, छत  बना लो ईंट, गारे से
हवेली और बंगले, कोठियों से घर नहीं होता.

दिलों को दूर कर देती है दौलत, बाँट देती है
मियां हर मर्ज़ का नुस्खा कभी भी जर नहीं होता. 

पता उनको भी है लेकर न जा सकते यहाँ से कुछ
मगर फिर भी हवश का जोश हरगिज कम नहीं होता.

ये है तो उसकी ख्वाहिश , और वह है तो बड़ी ख्वाहिश
इन्हें दौलत रहे, सब जाय, कोई गम नहीं होता

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