राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और यशस्वी प्रधानमंत्री रहे स्व. लालबहादुर शास्त्री के जन्मदिवस पर उन्हें स्मरण करते हुए स्वाधीन भारत के बारे में उनके द्वारा देखे गए स्वप्न स्वतः स्मृति पटल पर उभर आते हैं / आज के भारत जैसा भारत तो नहीं चाहा था उन्ह्नोने ---------------
बलिदानी गाथाओं के स्वर , अनचाहा संगीत हो गए /
आज हमारी आज़ादी को , चौंसठ वर्ष व्यतीत हो गए /
तब सोचा था ,त्याग-तपस्या का प्रतिफल कुछ नया मिलेगा ,
आज़ादी के गगनांगन में , देश - प्रेम का सूर्य उगेगा ,
बापू के सपनों के भारत में , फिर होगा नया उजाला ,
त्रेता युग आयेगा फिर से , हर चेहरे पर कमल खिलेगा ,
रामराज्य के स्वर्णिम सपने , ज्यों बालू की भीत हो गए /
आज हमारी आज़ादी को , चौंसठ वर्ष व्यतीत हो गए /
जनसेवक का बाना पहने , सरकारों में घुसे लुटेरे ,
न्याय व्यवस्था पंगु हो गयी ,पहले से बढ़ गए अँधेरे ,
वर्ग,जाति की दीवारों से , नेताओं ने सबको बांटा ,
बाहुबली - अपराधकर्मियों ने डाले शासन पर घेरे ,
शत्रु हुए अपने , अपनों के , हम खुद से भयभीत हो गए /
आज हमारी आज़ादी को , चौंसठ वर्ष व्यतीत हो गए /
किससे करें शिकायत किसकी , घर को घरवालों ने लूटा ,
स्वार्थ साधनारत जनसेवक , जन सुख-दुःख से नाता टूटा ,
मत बिकते, मतदाता बिकते , बिकते पद , बिकती सरकारें ,
धनबल, जनबल से भय खाकर , सच्चा भी बन जाता झूठा ,
अर्धशतक में ही भारत के , गृह फिर से विपरीत हो गए /
आज हमारी आज़ादी को , चौंसठ वर्ष व्यतीत हो गए /
जाति - धर्म की बलिवेदी पर , औसत सौ प्रतिदिन हत्याएं ,
लूट , डकैती ,व्यभिचारों की, हर दिन अगणित नयी कथाएं ,
तथाकथित जनप्रतिनिधि- प्रहरी , आग लगाकर हाथ सेकते ,
अनाचार, अन्याय , अराजकता , अनीति लाघीं सीमाएं ,
शान्ति, प्रेम ,सहयोग ,सुह्र्दता , परदेशी की प्रीती हो गए /
आज हमारी आज़ादी को , चौंसठ वर्ष व्यतीत हो गए /