चीथड़ों में जिन्दगी हो या कि भूखे पेट हों पर
आंकड़ों में देश यह खुशहाल रहता है हमेशा.
झूठ की बुनियाद पर तीमार होती हैं इमारत
यह सियासत में यहाँ का हाल रहता है हमेशा.
साल भर में भी नहीं फाइल सरकती इंच भर भी
दफ्तरों का काम कछुआ चाल रहता है हमेशा.
प्यार की भाषा समझ आती नहीं सरकार को भी
पर दबंगों के लिए तर माल रहता है हमेशा.
वायदों बातों के लच्छेदार भाषण रोज लेकिन
सच ये डाली पर चढ़ा बेताल रहता है हमेशा.
झूठ मक्कारी जिन्हें आती वही खुशहाल हैं बस
सत्य बेचारा यहं बदहाल रहता है हमेशा.
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