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Friday, June 24, 2011

(69) तब क्या करोगे प्यारे?

अन्ना और रामदेव के आन्दोलनों पर
सरकार की भृकुटी तनी है/
वजह शायद यह कि-
उसके गुर्गों के पास ही सबसे अधिक ब्लैक -मनी है /
यदि बन गया जन-लोकपाल
तो उतर सकती है उनकी भी मोटी खाल /
इसलिए नए- नए तर्क गढ़े जा रहे हैं /
अन्ना और बाबा पर-
साम्प्रदायिकता तथा तानाशाही के आरोप मढ़े जा रहे हैं /
यह सरकार की नयी परिभाषा है /
अनशन करना तानाशाही है -
और लाठियाँ भांजना  ? ? ?

वे कहते हैं कि-
अन्ना और बाबा पहले चुनाव जीतकर आयें /
फिर संसद में बैठकर क़ानून बनायें /
यहाँ इस सारे देश का एक सवाल है -
क्या चुनाव जीतने वालों को ही बोलने का अधिकार है ?
यदि ऐसा  ही है -
तो संविधान निहित मूल अधिकारों की क्या दरकार है ?
एक और सवाल-
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को किस क्षेत्र की जनता ने चुना है ?
उनके हाथ में तो सारे देश का झुनझुना है /
और यह भी कि किसी निर्वाचन क्षेत्र के -
दस-पंद्रह फीशदी मत हासिल कर चुनाव जीतने वाला बड़ा है
या वह व्यक्ति -
जिसके समर्थन में सारा देश मुट्ठियाँ बांधे खड़ा है ?

थोड़ा पीछे लौटिये -
महात्मा गांधी,पटेल, सुभाष ने कौन सा चुनाव लड़ा था ?
लेकिन तब उनके पीछे सारा देश खड़ा था /
गांधीजी को सारे देश ने राष्ट्रपिता माना -
आज भी मानता है /
लेकिन शायद सत्ता से जुड़ा वह वर्ग नहीं मानता -
जो उन्हीं की दुहाई दे , उन्हीं के नाम पर रबड़ी छानता है /

हे स्वयंभू विधाताओं -
पहले जनतंत्र के मायने जानो /
जनता के मन में पल रहे असंतोष को पहचानो /
अभी एक अन्ना के आन्दोलन से हलकान हो -
लेकिन कल जब सारा देश बनेगा  अन्ना हजारे ,
बोलो तब क्या करोगे प्यारे ? ?   

5 comments:

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

क्या चुनाव जीतने वालों को ही बोलने का अधिकार है ?
यदि ऐसे ही है -
तो संविधान निहित मूल अधिकारों की क्या दरकार है ?
एक और सवाल-
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को किस क्षेत्र की जनता ने चुना है ?
उनके हाथ में तो सारे देश का झुनझुना है /


सार्थक लेखन ...यही सवाल सबके सामने है ..पर नेता अपना ही झुनझुना बजा रहे हैं

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत उपयोगी और सार्थक रचना प्रस्तुत की है आपने!

S.N.Shukla said...

Sangeeta ji,
Shastree ji,
aap dono ka abhari hoon, kyonki jab buddhijeevee logon se saraahana milati hai, to lagata hai ki meri disha sahee hai,Dhanyawad.

(कुंदन) said...

मै बहुत कम ही कमेन्ट करता हूँ किसी भी पोस्ट पर क्युओंकी झूठी तारीफ़ मै कार नहीं पाता और सच्ची तारीफ़ करने लायक मूझे बहुत कम ही लिखा मिलता है

लेकिन आपने जो थप्पड़ मारा है सरकार को वो बिलकुल सही कहा है

सरकार के नुमाइंदे खुद को देश की १२० करोड जनता का मालिक समझ बैठे हैं ... और जब असली मालिक ने सवाल कर लिया तो बौखला गए हैं वो सब के सब


कहते हैं ५ साल मे जनता हिसाब मांगती है, उसके पहले वो चाहे खून पीते रहें वो आजाद है

हालाकि मै लोकपाल के दोनों ही ड्राफ्ट से खुश नहीं हूँ क्योंकि अन्ना की समिति वाले लोकपाल ड्राफ्ट मे भी कमियां लगी है मूझे लेकिन मै एक मजबूत लोकपाल बिल चाहता हूँ बस

लोकपाल बिल पर मैंने कुछ लिखा था २ महीने पहले जो की अभी सच साबित हों गया है अगर वक्त मिले तो पढ कर आप की राय दीजियेगा

http://issdilse.blogspot.com/2011/04/blog-post_25.html

S.N SHUKLA said...

kundan ji
mera likha achha laga, dhanyawad.
apaki lokpal par drafting jaroor dekhoonga .