पत्नी !पृथ्वी का वह प्राणी है ,
जो कभी संतुष्ट नहीं होती /
पति की होकर भी, जो पति की नहीं होती /
वह कभी बहू है, कभी माँ , कभी सास-
कभी दादी और कभी नानी है /
पति उसके लिए -
महज एक कमाऊ प्राणी है /
उसके पास -
पत्नी होने के अतिरिक्त ढेर सारे रिश्ते हैं /
और पति महोदय !
सारी जिन्दगी इन्हीं रिश्तों की चक्की में पिसते हैं /
वह अपने इन रिश्तों में , असीम सुख पाती है /
इसीलिये -
पत्नी होते हुए , पत्नी कब बन पाती है ?
घर के बाहर आदमी भले ही शेर हो ,
लेकिन घर में प्रायः -
पत्नी ही उस पर शेरनी जैसी गुर्राती है /
उसके पास -
जिन्दगी भर की शिकायतों का पिटारा है /
और पति -
पत्नी के सामने , सिर्फ बेचारा है /
यूं तो वह ,
पति की लम्बी उम्र और सलामती के लिए -
दर्जनों व्रत और अनुष्ठान करती है /
लेकिन पति को यह एहसास कराने से नहीं चूकती ,
कि वह -
उसके साथ जिन्दगी के दिन भरती है /
वह निरंतर समस्याओं की-
इतनी बड़ी थाती है ,
कि उन्हें हल करते - करते
पति की सारी उम्र गुजर जाती है /
जो कभी संतुष्ट नहीं होती /
पति की होकर भी, जो पति की नहीं होती /
वह कभी बहू है, कभी माँ , कभी सास-
कभी दादी और कभी नानी है /
पति उसके लिए -
महज एक कमाऊ प्राणी है /
उसके पास -
पत्नी होने के अतिरिक्त ढेर सारे रिश्ते हैं /
और पति महोदय !
सारी जिन्दगी इन्हीं रिश्तों की चक्की में पिसते हैं /
वह अपने इन रिश्तों में , असीम सुख पाती है /
इसीलिये -
पत्नी होते हुए , पत्नी कब बन पाती है ?
घर के बाहर आदमी भले ही शेर हो ,
लेकिन घर में प्रायः -
पत्नी ही उस पर शेरनी जैसी गुर्राती है /
उसके पास -
जिन्दगी भर की शिकायतों का पिटारा है /
और पति -
पत्नी के सामने , सिर्फ बेचारा है /
यूं तो वह ,
पति की लम्बी उम्र और सलामती के लिए -
दर्जनों व्रत और अनुष्ठान करती है /
लेकिन पति को यह एहसास कराने से नहीं चूकती ,
कि वह -
उसके साथ जिन्दगी के दिन भरती है /
वह निरंतर समस्याओं की-
इतनी बड़ी थाती है ,
कि उन्हें हल करते - करते
पति की सारी उम्र गुजर जाती है /
7 comments:
सुन्दर अभिव्यक्ति ||
बधाई ||
देखिये ये कैसी रही --
12 जुलाई को कटा 25 वाँ मुर्गा
जश्न मनाती जा रहीं, बेगम मस्त महान,
अंगड़ाई ले छेड़ दीं, वही पुरानी तान |
वही पुरानी तान, सुबह से रौनक भारी-
करके फिर ऐलान, करीं जम के तैयारी |
है रविकर अफ़सोस, कभी न मुर्गा लाती,
"पर" काटी पच्चीस, जीत का जश्न मनाती ||
एक पति के ह्रदय उदगार... बहुत सुंदर शब्दों में ...
बहुत बढ़िया रचना ...
आपकी कविता में आज पति के मन की पीड़ा भी पढने को मिली .. सटीक लिखा है :):)
sundar udgar par aadhe adhoore hi satya hain.
हाथ कंगन को आरसी क्या.चित्र ने सब कुछ कह दिया.
Ravikar ji,
Anupama ji,
Sangeeta ji,
Shalini ji,
Arun Nigam ji
Aap sabhee ki pratikriyayen shirodhary,bahut- bahut dhanywad,aabhar aap shubhachintakon ka -S.N.Shukla
शुक्ल जी बहुत खूब लिखा आप ने ..
.वह निरंतर समस्याओं की-
इतनी बड़ी थाती है ,
कि उन्हें हल करते - करते
पति की सारी उम्र गुजर जाती है
पत्नियों को थोडा तो लगेगा मगर बहुत कुछ सच्चाई है न -सुन्दर रचना
शुक्ल भ्रमर ५
Post a Comment