पतित पावनी गंगा के पुनरोद्धार के लिए अनशन रत रहे, संत निगमानंद की मृत्यु पर उस हुतात्मा के माँ गंगा के प्रति देहदान को श्रद्धांजलि स्वरुप ये पंक्तियाँ -
हे पतित पावनि, शुभगते, शत-शत तेरी अभिनन्दना.
माँ भारती की सहचरी, सहजीवनी, सहवासिनी
सुखदा, वरा, नीरासदा, कलि कलुष पातक नाशिनी
माँ भारती जैसा ही तेरा, स्नेह सबको मातृवत
वह देवकी, यशुमति है तू, अदभुत तेरी आलिंगना
गंगे तुम्हारी वन्दना! गंगे तुम्हारी वन्दना !
सुजला तू ही, सुफला तू ही, तू मातु मलयज शीतला
तू पाल्या, तू तारिणी , संपन्न तू षोडश कला
हे सरस सलिला , हम अकिंचन क्या तुझे देंगें भला
हैं भाव से तेरे जननि,स्वीकार अक्षत-चंदना
गंगे तुम्हारी वन्दना! गंगे तुम्हारी वन्दना !
हे सुरसरी, भागीरथी, विष्णुप्रिया, देवापगा
अविरल रहे धारा तेरी, माँ पग न अपने डगमगा
तेरा मलिन मुख देख सारा देश आशंकित-व्यथित
क्या एक 'निगमानंद' प्रस्तुत हम सभी की अर्पणा
गंगे तुम्हारी वन्दना! गंगे तुम्हारी वन्दना !
23 comments:
बहुत संवेदनशील रचना
जय माँ गंगे ||
हे सुरसरी, भागीरथी, विष्णुप्रिया, देवापगा अविरल रहे धारा तेरी, माँ पग न अपने डगमगा तेरा मलिन मुख देख सारा देश
जय माँ गंगे ||
हे सुरसरी, भागीरथी, विष्णुप्रिया, देवापगा अविरल रहे धारा तेरी, माँ पग न अपने डगमगा तेरा मलिन मुख देख सारा देश
जय माँ गंगे ||
Dhanywad,Sangeeta ji
Dhanywad, Ravikar ji
aabhar ap dono logon ka .
जय गंगे माँ ...
एक सच्ची श्रद्धांजलि।
sundar shabdon se saji bhavmayi prastuti...
संत निगमानंद जी को सादर श्रद्धांजलि - आपको साधुवाद - जय गंगा मैया
Mahendra MishraJI,
Manoj ji,
Ankur Jain ji,
Rakesh Kaushik ji,
aap sab ka bahut- bahut abhar , dhanywad .
बहुत प्रभावोत्पादक शब्द व्यंजना से माँ गंगे को श्रधांजलि दी है. आपकी लेखनी को नमन.
हर हर गंगे ......जय माँ गंगे
बहुत पवित्र ,प्रवाहमयी , भावपूर्ण वंदना
गंगापुत्र निगमानंद जी का बलिदान व्यर्थ नहीं जायेगा
संवेदनशील पावन भाव संजोये हैं आपने....
बहुत सुन्दर और भावपूर्ण रचना लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है!
Anamika ji,
Surendra Singh ji,
Monika ji,
Babli ji,
aap logon ke utsahvardhan ka bahut- bahut aabhari hoon, dhanywad .
बहुत ही संवेदनशील रचना...मन भर आया ...
एक निर्मल श्रधांजलि.....जय माँ गंगे ...
नमो गंगे तरंगे पाप हारी
सदा जय हो सदा जय हो तुम्हारी...
सादर अभिनन्दन !!!
संत निगमानंद जी को सादर श्रद्धांजलि.......
संवेदनशील रचना....
जय माँ गंगे....
गंगा जैसी पवित्र नदी को समर्पित आपकी यह रचना मन को विभोर कर देती है ..... परम पूजनीय संत निगमानंद जी को सादर श्रद्धांजलि ...आपका आभार
Shree Prakash Dimari ji, Sandhya Sharma ji, Kewal Ram ji aur chhote se, pyare se Chaitany Babu
aap sabhi ko dhanywad
आपकी किसी पोस्ट की चर्चा शनिवार (09-07-11 )को नयी-पुरानी हलचल पर होगी |कृपया आयें और अपने बहुमूल्य सुझावों से ,विचारों से हमें अवगत कराएँ ...!!
शुक्ल जी! बहुत अच्छी गंगा की वन्दना है, "अभिन्न्दना" शब्द का क्या अभिप्राय है? कहीं यह "अभिनन्दना" तो नहीं है को सही कर दीजिये।
सुंदर शब्द-चयन ने कविता के भावों को समृद्ध कर दिया है.
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