माँ भारती की वेदना पर, मिल विचारें फिर सभी /
आओ भुला दें गले मिलकर, आपसी कटुता अभी /
हम हिन्दु , मुस्लिम, सिख, ईसाई नहीं,इंसान हैं,
हम एक थे, हम एक हैं , हम एकता की शान हैं ,
फिर किसलिए यूँ लड़ रहे हैं , श्वान के जैसे सभी /
आओ भुला दें गले मिलकर, आपसी कटुता अभी /
हम शत्रुओं की चाल में फंस , स्वयं टकराते रहे ,
अपना वतन , खुद दूसरों के हाथ लुटवाते रहे ,
गत भूल जाओ , किन्तु आगत तो बना सकते अभी /
आओ भुला दें गले मिलकर, आपसी कटुता अभी /
क्या मेह वर्षा से कभी, गिरिखंड टूटे हैं भला ?
इतिहास साक्षी है , जलाने जो हमें आया, जला .
अरि को मिटा देंगे , मगर हम मिट नहीं सकते कभी /
आओ भुला दें गले मिलकर, आपसी कटुता अभी /
हम थे जगदगुरु, आज हैं , कल भी वही कहलायेंगे ,
जो चाहते मेरा अहित , वे स्वयं ही मिट जायेंगे ,
पर हम सभी में ऐक्य हो, बस मात्र यह संभव तभी /
आओ भुला दें गले मिलकर, आपसी कटुता अभी /
17 comments:
सुन्दर प्रस्तुति |
बधाई स्वीकारें ||
अच्छी और बेहद सार्थक रचना...
सुन्दर शब्दों में सटीक आह्वान
कटुता भुला कर एक होने का सुन्दर आह्वान !
शुक्ल जी इस प्रेरक रचना के लिए बधाई स्वीकारें
नीरज
मिलकर साथ बढ़ना ही होगा।
प्रेरना दायक प्रस्तुति
daadaa ji pranaam
jan jaagran path par nav prayaan gaan
badhaayee
कटुता भुला कर एक होने का सुन्दर आह्वान !अच्छी और बेहद सार्थक रचना...
bahut sundar prerak rachna prastuti hetu aabhar!
Ravikar ji,
Vidya ji,
Sangita ji,
आप शुभचिंतकों से इसी स्नेह की हमेशा अपेक्षा है .
Anupama pathak ji,
Neeraj goswami ji,
आप मित्रों का स्नेहाशीष मिला, आभारी हूँ.
Dr. Roopchandra shastri ji
चर्चा मंच में आमंत्रण का आभार.
यह प्यार हमेशा मिलता रहे .
Pravin pandey ji,
Rachana dixit ji,
Virendra ji,
आप मित्रों का आभारी हूँ.
रचना की सराहना के लिए धन्यवाद
Maheswari kaneri ji,
Kavita rawat ji,
आप मित्रों का स्नेहाशीष मिला, इसी स्नेह की हमेशा अपेक्षा है .
सार्थक प्रार्थना ... माँ भारती के चरणों में सब कुछ अर्पण हो जाए तो जीवन सफल हो जाये ..
सुन्दर रचना है ..
DIGAMBAR NASWA JI
आपका स्नेहाशीष मुझे नव सर्जन की शक्ति प्रदान करता है, यह स्नेह सदा मिलता रहे.
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