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Friday, October 14, 2011

(109) सजना है हमें " करवा चौथ पर्व पर "

सजना के लिए, सजना  है हमें /

      प्रिय की हर बात पर,
      उनकी मुसकान पर,
      उनके  हर  गीत पर,
      उनकी  हर तान पर,
घुंघरुओं की तरह ,बजाना है हमें /
सजना के लिए ,  सजना  है हमें /

   आज वृत्त यह, सुहागन का पति के लिए,
   शास्त्र मत से - सुह्रद्ता, सुगति के लिए ,
    कामना ! दीर्घ हो आयु ,  पति प्रेम की ,
   पति के अनुराग, पति की सुमति के लिए ,
चाँद से भी अधिक, छजना है हमें /
सजना के  लिए ,  सजना  है हमें /    

    चाँद को देखकर ,   वृत्त को खोलूँगी मैं, 
    प्रिय से हर बात में, मधु को घोलूँगी मैं,
    चौथ करवा,   प्रिया वृत्त- पिया के लिए ,
    आज नव नेह पट, फिर से खोलूँगी मैं ,        
नव वधू की तरह, लजना है हमें /
सजना के लिए, सजना  है हमें /

    स्त्रियोचित प्रकृति ,गर्विता, मानिनी ,
    पति ह्रदय की रहूँ , मैं सदा स्वामिनी ,
    प्रेम के रंग  , जीवन में  धीमे न हों  ,
    मैं रहूँ भामिनी,उनकी अनुगामिनी  ,
दर्प को, दंभ को , तजना है हमें  /
सजना के लिए, सजना  है हमें /

23 comments:

vandana gupta said...

बहुत सुन्दर भावाव्यक्ति।

Satish Saxena said...

मनोहारी सामयिक रचना पर बधाई आपको !

S.N SHUKLA said...

SANGITA JI,
VANDANA JI,


भारतीय नारियों के सबसे महत्वपूर्ण पर्व के सन्दर्भ में एक आदर्श नारी के मेरी कलम से निकले उदगार आपने सराहे ,मैं आभारी हूँ .

S.N SHUKLA said...

Satish Saxena ji

धन्यवाद आपकी सराहना के लिए.

प्रवीण पाण्डेय said...

इस सुन्दर प्रस्तुति के लिये बधाई।

चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...

बेहतरीन!!!

दिलबागसिंह विर्क said...

सुंदर गीत

Surendra shukla" Bhramar"5 said...

प्रिय शुक्ल जी बहुत बहुत बधाई आप सब को करवा चौथ की ...आप के मन की मुराद पूरी हो कोई सजे आप के लिए..आप का चंदा भी खिला रहे ..सजना है मुझे सजना के लिए ..आनंद दाई रचना
बधाई
भ्रमर ५

चाँद को देखकर , वृत्त को खोलूँगी मैं, प्रिय से हर बात में, मधु को घोलूँगी मैं, चौथ करवा, प्रिया वृत्त- पिया के लिए , आज नव नेह पट, फिर से खोलूँगी मैं , नव वधू की तरह, लजना है हमें /सजना के लिए, सजना है हमें

Dr.Ashutosh Mishra "Ashu" said...

दर्प को, दंभ को , तजना है हमें /
सजना के लिए, सजना है हमें /..shaandar prastuti..sadar badhayee

Dr.Ashutosh Mishra "Ashu" said...

दर्प को, दंभ को , तजना है हमें /
सजना के लिए, सजना है हमें /..shaandar prastuti..sadar badhayee

महेन्‍द्र वर्मा said...

सामयिक और प्रभावी रचना।

S.N SHUKLA said...

Pravin pandey ji,
Roopchandra shastri ji
आपकी शुभकामनाएं मिलीं, आभार

S.N SHUKLA said...

Lalit verma ji,
Dilbag virk ji,
Surendra shukla ji

aap mitron kee shubhkaamanaaon ka bahut-bahut aabhar.

S.N SHUKLA said...

Dr. Ashutosh ji,
Mahendra verma ji
aapakaa snehasheesh mila, dhanyawad.

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार said...




स्त्रियोचित प्रकृति गर्विता मानिनी ,
पति हृदय की रहूं मैं सदा स्वामिनी ,
प्रेम के रंग जीवन में धीमे न हों ,
मैं रहूं भामिनी , उनकी अनुगामिनी ,
दर्प को , दंभ को , तजना है हमें
सजना के लिए सजना है हमें

वाह वाह ! करवा चौथ पर बहुत प्यारा तोहफ़ा दिया है अपने गीत के माध्यम से आपने…

बहुत बहुत बधाई स्वीकार करें
आदरणीय एस.एन.शुक्ला जी!


# कृपया , कुछ त्रुटियां/वर्तनी चूक सुधारलें …

- घुंघरुओं की तरह बजाना में बजाना को बजना कर लीजिए :)

- सुह्रद्ता शब्द मेरे ध्यान में आज तक नहीं आया ।
यदि आशय सुहृदयता से है तो पूरी पंक्ति देखलें क्योंकि सुहृदयता लिखने से मात्रा बढ़ जाएगी , और लय भंग होगी ।

- चाँद को देखकर , वृत्त को खोलूँगी मैं … वृत्त गोलाकार होता है उपवास व्रत होता है ।

- चौथ करवा, प्रिया वृत्त- पिया के लिए … यहां भी सुधार कर व्रत लिखलें

एक श्रेष्ठ गीत के लिए पुनः बधाई और आभार !

आपको सपरिवार त्यौंहारों के इस सीजन सहित दीपावली की अग्रिम बधाई-शुभकामनाएं-मंगलकामनाएं !
-राजेन्द्र स्वर्णकार

virendra said...

main rahoon bhaamini unkee
bahut pyaaree manhaaree shabdaalpanaa
rachi hai vishwaas parv par .pad jagmagaayen hkar kaun naari na jaayegee garv se bhar .

badhaayee,chiraagon se nitya naye geet jagmagaayen ,parv deepaawalee kee subhkaamnaayen .

S.N SHUKLA said...

Rajendra swarnkaar ji,
Virendra Tiwari ji

आपकी शुभकामनाओं , प्रतिक्रियाओं का आभार , धन्यवाद .

vidya said...

वाह सर....आपने स्त्रियों के भाव बहुत सुन्दरता से वर्णित किये हैं..धन्यवाद.

प्रतिभा सक्सेना said...

बहुत संगत और सुचारु भावनायें- सराहनीय !

रचना दीक्षित said...

सुन्दर सामयिक प्रस्तुति

S.N SHUKLA said...

VIDYA JI,
Pratibha saxena ji,
Rachana dixit ji,


आप शुभचिंतकों से इसी स्नेह की हमेशा अपेक्षा है .

दिगम्बर नासवा said...

सामयिक .. भावमयी रचना ....

POOJA... said...

bahut hi bhaavpoorna rachna...