सजना के लिए, सजना है हमें /
प्रिय की हर बात पर,
उनकी मुसकान पर,
उनके हर गीत पर,
उनकी हर तान पर,
घुंघरुओं की तरह ,बजाना है हमें /
सजना के लिए , सजना है हमें /
आज वृत्त यह, सुहागन का पति के लिए,
शास्त्र मत से - सुह्रद्ता, सुगति के लिए ,
कामना ! दीर्घ हो आयु , पति प्रेम की ,
पति के अनुराग, पति की सुमति के लिए ,
चाँद से भी अधिक, छजना है हमें /
सजना के लिए , सजना है हमें /
चाँद को देखकर , वृत्त को खोलूँगी मैं,
प्रिय से हर बात में, मधु को घोलूँगी मैं,
चौथ करवा, प्रिया वृत्त- पिया के लिए ,
आज नव नेह पट, फिर से खोलूँगी मैं ,
नव वधू की तरह, लजना है हमें /
सजना के लिए, सजना है हमें /
स्त्रियोचित प्रकृति ,गर्विता, मानिनी ,
पति ह्रदय की रहूँ , मैं सदा स्वामिनी ,
प्रेम के रंग , जीवन में धीमे न हों ,
मैं रहूँ भामिनी,उनकी अनुगामिनी ,
दर्प को, दंभ को , तजना है हमें /
सजना के लिए, सजना है हमें /
23 comments:
बहुत सुन्दर भावाव्यक्ति।
मनोहारी सामयिक रचना पर बधाई आपको !
SANGITA JI,
VANDANA JI,
भारतीय नारियों के सबसे महत्वपूर्ण पर्व के सन्दर्भ में एक आदर्श नारी के मेरी कलम से निकले उदगार आपने सराहे ,मैं आभारी हूँ .
Satish Saxena ji
धन्यवाद आपकी सराहना के लिए.
इस सुन्दर प्रस्तुति के लिये बधाई।
बेहतरीन!!!
सुंदर गीत
प्रिय शुक्ल जी बहुत बहुत बधाई आप सब को करवा चौथ की ...आप के मन की मुराद पूरी हो कोई सजे आप के लिए..आप का चंदा भी खिला रहे ..सजना है मुझे सजना के लिए ..आनंद दाई रचना
बधाई
भ्रमर ५
चाँद को देखकर , वृत्त को खोलूँगी मैं, प्रिय से हर बात में, मधु को घोलूँगी मैं, चौथ करवा, प्रिया वृत्त- पिया के लिए , आज नव नेह पट, फिर से खोलूँगी मैं , नव वधू की तरह, लजना है हमें /सजना के लिए, सजना है हमें
दर्प को, दंभ को , तजना है हमें /
सजना के लिए, सजना है हमें /..shaandar prastuti..sadar badhayee
दर्प को, दंभ को , तजना है हमें /
सजना के लिए, सजना है हमें /..shaandar prastuti..sadar badhayee
सामयिक और प्रभावी रचना।
Pravin pandey ji,
Roopchandra shastri ji
आपकी शुभकामनाएं मिलीं, आभार
Lalit verma ji,
Dilbag virk ji,
Surendra shukla ji
aap mitron kee shubhkaamanaaon ka bahut-bahut aabhar.
Dr. Ashutosh ji,
Mahendra verma ji
aapakaa snehasheesh mila, dhanyawad.
♥
स्त्रियोचित प्रकृति गर्विता मानिनी ,
पति हृदय की रहूं मैं सदा स्वामिनी ,
प्रेम के रंग जीवन में धीमे न हों ,
मैं रहूं भामिनी , उनकी अनुगामिनी ,
दर्प को , दंभ को , तजना है हमें
सजना के लिए सजना है हमें
वाह वाह ! करवा चौथ पर बहुत प्यारा तोहफ़ा दिया है अपने गीत के माध्यम से आपने…
बहुत बहुत बधाई स्वीकार करें
आदरणीय एस.एन.शुक्ला जी!
# कृपया , कुछ त्रुटियां/वर्तनी चूक सुधारलें …
- घुंघरुओं की तरह बजाना में बजाना को बजना कर लीजिए :)
- सुह्रद्ता शब्द मेरे ध्यान में आज तक नहीं आया ।
यदि आशय सुहृदयता से है तो पूरी पंक्ति देखलें क्योंकि सुहृदयता लिखने से मात्रा बढ़ जाएगी , और लय भंग होगी ।
- चाँद को देखकर , वृत्त को खोलूँगी मैं … वृत्त गोलाकार होता है उपवास व्रत होता है ।
- चौथ करवा, प्रिया वृत्त- पिया के लिए … यहां भी सुधार कर व्रत लिखलें
एक श्रेष्ठ गीत के लिए पुनः बधाई और आभार !
आपको सपरिवार त्यौंहारों के इस सीजन सहित दीपावली की अग्रिम बधाई-शुभकामनाएं-मंगलकामनाएं !
-राजेन्द्र स्वर्णकार
main rahoon bhaamini unkee
bahut pyaaree manhaaree shabdaalpanaa
rachi hai vishwaas parv par .pad jagmagaayen hkar kaun naari na jaayegee garv se bhar .
badhaayee,chiraagon se nitya naye geet jagmagaayen ,parv deepaawalee kee subhkaamnaayen .
Rajendra swarnkaar ji,
Virendra Tiwari ji
आपकी शुभकामनाओं , प्रतिक्रियाओं का आभार , धन्यवाद .
वाह सर....आपने स्त्रियों के भाव बहुत सुन्दरता से वर्णित किये हैं..धन्यवाद.
बहुत संगत और सुचारु भावनायें- सराहनीय !
सुन्दर सामयिक प्रस्तुति
VIDYA JI,
Pratibha saxena ji,
Rachana dixit ji,
आप शुभचिंतकों से इसी स्नेह की हमेशा अपेक्षा है .
सामयिक .. भावमयी रचना ....
bahut hi bhaavpoorna rachna...
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