जाति- धर्म से ऊपर उठकर, प्रतिभा का सम्मान प्रथम हो /
आओ ! मातृभूमि की सेवा का , मिलकर संकल्प करें हम ,
अपनी भाषा- भूषा के प्रति , फिर आदर का भाव भरें हम ,
उत्कर्शों के शिखर चढ़ें पर, संस्कृति का उत्थान प्रथम हो /
तब होगा निर्माण राष्ट्र का ,जब चरित्र निर्माण प्रथम हो /
पराधीनता के बंधन से , मुक्त हुए छह दशक हो गए ,
पर गाँधी, सुभाष के सपने , स्वार्थ सिन्धु के बीच खो गए ,
उन सपनों को सच करने का , घर- घर में अभियान प्रथम हो /
तब होगा निर्माण राष्ट्र का, जब चरित्र निर्माण प्रथम हो /
लोकतंत्र के सोपानों पर, वर्ग - वर्ण जैसी सीमाएं ,
बाधाओं के अग्निकुंड में, अब भी जलती हैं प्रतिभाएं ,
आवाहन तब करें देश का, जन- जन का आह्वान प्रथम हो /
तब होगा निर्माण राष्ट्र का, जब चरित्र निर्माण प्रथम हो /
स्वार्थ साधना में जनमानस , संवेदना भुला बैठा है ,
निज प्रभुता के मद से गर्वित , मनुज स्वयम में ही ऐंठा है,
चढ़ें प्रगति सोपान स्वयम, पर औरों का भी ध्यान प्रथम हो /
तब होगा निर्माण राष्ट्र का, जब चरित्र निर्माण प्रथम हो /
18 comments:
सच में ऐसे ही निर्माण होगा देश।
चरित्र निर्माण ही प्रथम होना चाहिए।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति ||
बधाई स्वीकार करें ||
काश यह सब सच हो जाये , सन्देश देती हुई सुंदर रचना ,
आदरणीय शुक्ल जी क्या बात कही है सटीक सत्य हम तो आप की लेखनी के कायल हो गए हर पंक्ति लाजबाब ..काश लोग इस पर अमल करें ...
शुक्ल भ्रमर ५
तब होगा निर्माण राष्ट्र का ,जब चरित्र निर्माण प्रथम हो /जाति- धर्म से ऊपर उठकर, प्रतिभा का सम्मान प्रथम हो /
बहुत सुन्दर प्रस्तुति ||
हमारी बधाई स्वीकारें ||
http://dcgpthravikar.blogspot.com/2011/10/blog-post_10.html
http://neemnimbouri.blogspot.com/2011/10/blog-post_110.html
बहुत ही अच्छी प्रस्तुति ।
Pravin ji,
ZEAL JI,
Ravikar ji
मेरी कलम को प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए धन्यवाद , आभार
Sunil kumar ji,
Surendra ji
आप मित्रों की सकारात्मक प्रतिक्रियाओं का आभारी हूँ.
Roopchandra shastri ji
शास्त्री जी ,
रचना को चर्चामंच में स्थान प्रदान करने का बहुत-बहुत आभार .
Ravikar ji,
Sada ji
आप मित्रों का स्नेहाशीष मिला , आभारी हूँ
sach me charitra nirmaan sabse badi jarurat hai aaj ke samay me
तब होगा निर्माण राष्ट्र का ,जब चरित्र निर्माण प्रथम हो /
जाति- धर्म से ऊपर उठकर, प्रतिभा का सम्मान प्रथम हो /....behtarin behtarin behtarin...yah rachna nahi hai darshan hai..aapne wo har baat kahi hai jiske pratham hue bina sab kuch dhong hoga dikhawa hoga..rastriyat ki bhabna se otprot is rachna ko bhi pranam aaur iske rachayita ko bhi
जब चरित्र निर्माण प्रथम हो....
शुक्ला जी....बहुत ही सार्थक रचना | किसी भी राष्ट्र की उन्नति, प्रगति तभी संभव है, जब वहां के नागरिक चरित्रवान होंगे | सुन्दर लेखन के लिए बधाई..
बहत बढ़िया रचना | बधाई स्वीकारें |
सटीक और सार्थक प्रस्तुति के लिये बधाईयाँ.
Kanu ji,
Dr. Ashutosh ji,
Roli pathak ji
आप मित्रों का बहुत -बहुत आभार , यह स्नेह सदैव मिलता रहे , यही अपेक्षा है /
Pradeep Sahani ji,
Musafir ji
आपके ब्लॉग पर आगमन तथा सकारात्मक प्रतिक्रियाओं का आभारी हूँ , धन्यवाद
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