हियाँ लागै न मनवा हमार , लौटि चलौ गाँउ ककुआ /
दिनु बीतति मनौ पहारु , लौटि चलौ गाँउ ककुआ /
डगमगु चालु हियाँ , बात गिटपिटिया ,
कान फोरू शोरु मचे , चलें फिटफिटिया ,
हुआं शान्ति औ सुख की बयारि , लौटि चलौ गाँउ ककुआ /
हियाँ लागै न मनवा हमार , लौटि चलौ गाँउ ककुआ /
पानिहू बिकाल हियाँ , काँच के गिलसवा ,
सोनवा के भाऊ भवा , ऊख केर रसवा ,
हुआं मुफ़त मां लुटब बहार , लौटि चलौ गाँउ ककुआ /
हियाँ लागै न मनवा हमार , लौटि चलौ गाँउ ककुआ /
दुधवा के नाम पई बिकाल हियाँ पनिया ,
गोदिया के लाल पलें पूपसी की कनिया ,
हुआं दूध- दही की भरमार , लौटि चलौ गाँउ ककुआ /
हियाँ लागै न मनवा हमार , लौटि चलौ गाँउ ककुआ /
छोरिहू शहर केरी , मेम कै मेमनिया ,
बिटिया देहाति मानउ देबी महरनिया ,
हुआं सरगु लगे घरु- बारू , लौटि चलौ गाँउ ककुआ /
हियाँ लागै न मनवा हमार , लौटि चलौ गाँउ ककुआ /
- एस. एन. शुक्ल
30 comments:
रचना के माध्यम से शहर की विसंगतियों का चित्रण , सुंदर
एकदम स्पष्ट विचार...शहर की उब का खूबसूरत चित्रण...
दुधवा के नाम पई बिकाल हियाँ पनिया ,
गोदिया के लाल पलें पूपसी की कनिया ,
हुआं दूध- दही की भरमार ,
लौटि चलौ गाँउ ककुआ /
अनुपम भाव लिए सुंदर रचना...बेहतरीन पोस्ट के लिए शुक्ला जी, बहुत२ बधाई,..
MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: आँसुओं की कीमत,....
इतने दिन बाद,इतनी मिठास भरी भाषा में , इतनी प्यारी सी कविता...... इस सुन्दर रचना के लिए बधाई!
bahut sateek shabdon me shahar ki jindgi ka varnan kiya hai aapne .aabhar
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गाँव का सरल और आत्मीयता भरा जीवन शहर की तड़्क-भड़क से ज्यादा चुंबकीय आकर्षण रखता है। बधाई इस सुंदर रचना के लिए!
बहुत बेहतरीन....
मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।
मीठी- मीठी भाषा में अनुपम भाव लिए बहुत खुबसूरत प्रस्तुति...बधाई शुकला जी....
गाँव की यादें और शहर से लौट चलने का आह्वान... अपनी बोली.. अद्भुत गीत!!
आ अब लौट चलें..
...अब गाँवनौ मा सब खतम हुई रहा है,मुदा हियाँ ते तौ ठीकै है.
बढ़िया रहा ककुआ !
गांव की बोली की मिठास कुछ खास ही होती है।
SUNEEL JI,
आपसे इसी स्नेह की अपेक्षा थी .
Vanbhatt ji,
आपके स्नेह और समर्थन का धन्यवाद .
Dheerendra ji,
Shalini ji,
Shikha ji,
आप मित्रों की शुभकामनाओं का आभारी हूँ .
Shusila ji,
Shanti Garg ji,
आभारी हूँ आपके स्नेह और समर्थन का .
Maheshwari kaneri ji,
Varma ji,
Pandey ji,
आपके स्नेह , शुभकामनाओं का आभारी हूँ .
Santosh Trivedi ji,
Mahendra verma ji,
स्नेह मिला , आभारी हूँ .
बहुत सुन्दर बोली में सीधे सरल भाव .....बहुत मीठे लगे ..!!!
वाह .. आंचलिक भाषा भी कमाल है ... मन झूम झूम जाता है ..
शुक्ला जी ,
राउर इ कविता दिल के छु गईल .
धन्यवाद
शुक्ला जी,
राउर इ कविता दिल के छु गईल .
धन्यवाद
Saras ji,
Digambar Naswa ji,
आभार आपकी शुभकामनाओं का.
Rajiv ji,
आपके इस स्नेह का आभारी हूँ.
@ लौट चलो गाँव ककुआ ...
गज़ब की अभिव्यक्ति , सोंधी महक गाँव की लिए हुए ...
वाकई यह कष्ट हमारे दिलों में कही न कहीं सालता रहा है, दम सा घुटता है यहाँ ..
आप की रचनाएं सहेजने योग्य हैं ...यह रचना तो लाखों में एक है !
आपकी रचनाओं को सम्मान मिलना चाहिए ..
शुभकामनायें !
Satish Saxena ji,
आपकी स्नेहिल शुभकामनाएं मिलीं , आभार.
Aankhein Nam kar gayee aapki kalam shukla ji ...Mumbai mein rehta hoon par jaunpur ki yaad dilaa di aapne ..Is rachna k liye Dhanyawaad
Rakesh Tiwari
Aankhein Nam kar gayee aapki kalam shukla ji ...Mumbai mein rehta hoon par jaunpur ki yaad dilaa di aapne ..Is rachna k liye Dhanyawaad
Rakesh Tiwari
Aankhein nam kar gayee appki kalam shukla ji
Waise ti mumbai main rehta hoon Par jaunpur pahuncha diyaa appne
Dhanyawaad
Rakesh Tiwari
Mumbai mein baithe baithe jaunpar ki sair karwaa de aur aankhein bhi nam ho gayeen .
Rakesh Tiwari
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