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Sunday, April 8, 2012

(148) ज़रा - ज़रा सा बढ़ो

ज़रा - ज़रा सा  जगो  तुम, ज़रा सा हम भी जगें ,
नयी  शमाएँ     रोशनी   की  ,  जलाई     जाएँ /

धर्म-ओ- मज़हब  के फासलों की दीवारों को गिरा ,
राह - ए - मिल्लत  नयी  तामीर  कराई  जाएँ /

नफरतें बो के सियासत हमें लड़ाती रही ,
पढ़े - बढ़े  तो मगर दूरियाँ  बढाती  रही  ,

कौम इनसान की कौमों के नाम पर तकसीम ,
भट्ठियां  नफरतों  की ,  आओ बुझाई  जाएँ / 

ज़रा - ज़रा सा बढ़ो तुम , ज़रा सा हम भी बढ़ें ,
ये  दूरियाँ  तमाम ,  मिल  के  मिटाई  जाएँ /

                                    - एस. एन. शुक्ल

41 comments:

Anupama Tripathi said...

रुक कर थम कर सामंजस्य स्थापित करें ...
दूरियां मिट जाएँगी ...
सुंदर रचना ...आभार .

ANULATA RAJ NAIR said...

वाह!!!!!!!!!!!!!!!

बहुत बढ़िया प्रस्तुति सर............

सादर.

Shalini kaushik said...

ek ek shabd me bahut sundar bhav bharen hain aapne. badhai.

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

नफरतें बो के सियासत हमें लड़ाती रही ,
पढ़े - बढ़े तो मगर दूरियाँ बढाती रही... बेहतरीन भाव पुर्ण प्रस्तुति,सुन्दर रचना...

RECENT POST...काव्यान्जलि ...: यदि मै तुमसे कहूँ.....
RECENT POST...फुहार....: रूप तुम्हारा...

रविकर said...

शब्द चयन -सुन्दर
भाव -प्रभावशाली |
बहाव- लाजवाब ||

S.N SHUKLA said...

Anupama ji,
Anu ji,
Shalini ji,
आभार आपके स्नेह का .

S.N SHUKLA said...

Dheerendra ji,
Ravikar ji,
.
आपकी शुभकामनाओं के लिए धन्यवाद.

Vaanbhatt said...

ज़रदारी साहब के आगमन को ध्यान में रख कर लिखी गयी है...लगता है...बहुत खूब...

Madhuresh said...

Ameen!! :)

लोकेन्द्र सिंह said...

बढ़िया शानदार....

poonam said...

sunder prstuti.....

सदा said...

वाह!!
बहुत खूब कहा है उम्‍दा प्रस्‍तुति।

दिगम्बर नासवा said...

लाजवाब शेर ... पूरी गज़ल कमाल है ..

meeta said...

bhavpoorna aur prabhavshali rachna . Dhanyawaad .

प्रवीण पाण्डेय said...

सब मिलकर बढ़ें,
एक नया भविष्य गढ़ें।

Dr.NISHA MAHARANA said...

sahi bat jara jara se aage badhnewale hi manjil tak phuchte hain....

Anita said...

आशा और विश्वास जगाती पंक्तियाँ...बहुत सुंदर रचना!

Unknown said...

बहुत सुंदर रचना....

Maheshwari kaneri said...

बहुत सुन्दर लाजवाब प्रस्तुति...

Suresh kumar said...

बहुत ही अच्छा सन्देश देती हुई रचना ...

S.N SHUKLA said...

Vaanbhatt ji,

ब्लॉग पर आगमन और स्नेह प्रदान करने के लिए धन्यवाद.

S.N SHUKLA said...

Madhuresh ji,
Lokendra Singh ji,
Poonam ji,

स्नेह और शुभकामनाएं मिलीं, धन्यवाद.

S.N SHUKLA said...

Sada ji,
Digamber Naswa ji,
MEETA JI,

आप मित्रों से इसी समर्थन की अपेक्षा रही है.

S.N SHUKLA said...

pRAVIN pANDEY JI,
Nisha Maharana ji,
Anita ji,

आपके इस स्नेह का आभारी हूँ.

S.N SHUKLA said...

Kumar ji,

ब्लॉग पर आगमन और स्नेह का आभारी हूँ.

S.N SHUKLA said...

Maheshwari Kaneri ji,
Suresh Kumar ji,

शुभकामनाओं के लिए धन्यवाद.

babanpandey said...

सुदर सृजन / साधुवाद शुक्ल जी

babanpandey said...

सुदर सृजन / साधुवाद शुक्ल जी

babanpandey said...

सुदर सृजन / साधुवाद शुक्ल जी

अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com) said...

ये दूरियाँ तमाम दिल की मिटाई जाये

यह एक पंक्ति ही धरती पर स्वर्ग लाने के लिये काफी है.सशक्त रचना.

S.N SHUKLA said...

Babban pandey ji,

आभार आपके स्नेह का.

S.N SHUKLA said...

Arun Nigam ji,

स्नेह मिला, आभारी हूँ.

bandanajee said...

ज़रा ज़रा ही सही, मगर है यह है भावोँ से भरा भरा

bandanajee said...
This comment has been removed by the author.
Arvind Mishra said...

बिलकुल कुछ कदम तुम चलो और कुछ हम ....सुन्दर अभिव्यक्ति!

S.N SHUKLA said...

Bandanajee,
आभार आपका.

S.N SHUKLA said...

अरविंद जी,
आभारी हूँ आपके स्नेह का.

ऋता शेखर 'मधु' said...

सुंदर भाव,सशक्त प्रस्तुति!

Nityanand Gayen said...

बहुत सुंदर रुक कर थम कर सामंजस्य स्थापित करें ...
दूरियां मिट जाएँगी ...

Satish Saxena said...

बेहतरीन विचार हैं आपके शुक्ला जी
शुभकामनायें

S.N SHUKLA said...

Rita ji,
Nityanand ji,
Satish Saxena ji,
आपकी शुभकामनाओं का आभार .