सोचिये कर्त्तव्य क्या है , और फिर अधिकार क्या है /
सोचिये अन्याय , अत्याचार का परिहार क्या है /
बहुत वातावरण दूषित है , न कहने से चलेगा ,
सोचिये इस व्याधि , बाधा वृत्त का उपचार क्या है ?
मात्र आलोचक बने रहने से कुछ होना नहीं है /
याद रखना , और अब आगे विवश रोना नहीं है /
बस लुटेरों से सजग रहना व लड़ना वृत्त बनाओ ,
देश पर संकट हो तो , मुह ढाँपकर सोना नहीं है /
मात्र अपने ही लिए जीना , नहीं जीना है यारों /
चैन भारत का , दरिंदों ने बहुत छीना है यारों /
इसलिए अन्याय के प्रतिकार का संकल्प लो फिर ,
गरल का अब एक कतरा , भी नहीं पीना है यारों /
तुम बदल सकते हो सारा देश क्या , यह विश्व सारा /
भारती के लाल जागो , विश्व को तुम से सहारा /
जगदगुरु भारत, की संतति हो , स्वयं की शक्ति जानो ,
हे भगीरथ ! पलट दो , बहती हुई विपरीत धारा /
- एस. एन . शुक्ल
सोचिये अन्याय , अत्याचार का परिहार क्या है /
बहुत वातावरण दूषित है , न कहने से चलेगा ,
सोचिये इस व्याधि , बाधा वृत्त का उपचार क्या है ?
मात्र आलोचक बने रहने से कुछ होना नहीं है /
याद रखना , और अब आगे विवश रोना नहीं है /
बस लुटेरों से सजग रहना व लड़ना वृत्त बनाओ ,
देश पर संकट हो तो , मुह ढाँपकर सोना नहीं है /
मात्र अपने ही लिए जीना , नहीं जीना है यारों /
चैन भारत का , दरिंदों ने बहुत छीना है यारों /
इसलिए अन्याय के प्रतिकार का संकल्प लो फिर ,
गरल का अब एक कतरा , भी नहीं पीना है यारों /
तुम बदल सकते हो सारा देश क्या , यह विश्व सारा /
भारती के लाल जागो , विश्व को तुम से सहारा /
जगदगुरु भारत, की संतति हो , स्वयं की शक्ति जानो ,
हे भगीरथ ! पलट दो , बहती हुई विपरीत धारा /
- एस. एन . शुक्ल
48 comments:
मात्र आलोचक बने रहने से कुछ होना नहीं है /
याद रखना , और अब आगे विवश रोना नहीं है /
बस लुटेरों से सजग रहना व लड़ना वृत्त बनाओ ,
देश पर संकट हो तो , मुह ढाँपकर सोना नहीं है /
सार्थक संदेश देती रचना ... मात्र आलोचक बन कर कुछ नहीं सुधारा जा सकता
apne uddeshay ko pahchanne aur jaagrat karne ke liye ek sundar prerna daai kavita.bahut sashaqt.
शुभकामनायें |
बढ़िया प्रस्तुति |
बहुत बढ़िया आह्वान...
जोश से ओतप्रोत रचना
सादर
अनु
वाह ! ! ! ! ! बहुत खूब शुक्ला जी,
सुंदर सटीक सार्थक रचना,बेहतरीन प्रस्तुति,....
WELCOME TO MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: तुम्हारा चेहरा,
बहुत बढिया रचना है। बधाई स्वीकारें।
विचारोत्तेजक रचना।
बहुत ही लाजवाब रचना
क्राँति का आवाहन करती सशक्त रचना को नमन
क्रांति का आवाहन करती सशक्त रचना को नमन...
kyaa khoobsoorat hindi likhi hai aapne!!
जोशीला प्रेरक आह्वाहन..बहुत खूब !!
बहुत बढ़िया अभिव्यक्ति,बेहतरीन पोस्ट,....
MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: मै तेरा घर बसाने आई हूँ...
nice post sir.
आदरणीय शुक्ल जी जोश देती हुयी कविता .. प्यारा सृजन ...काश लोग ठान लें ....
भ्रमर ५
man me ak naya josh paida karne wali khubsurat rachna....
आँच हृदय में जलती हो, तो परिवर्तन भी आयेगा।
Sangita ji,
Rajesh kumari ji,
Ravikar ji,
इसी तरह देतें रहें स्नेह ताकि सृजन का उत्साह बना रहे.
Expression ji,
Dheerendra ji,
P.S. Bali ji,
आभारी हूँ आपके उत्साहवर्धन का.
Mithilesh ji,
Dinesh Agrawal ji,
आप मित्रों से सदैव इसी स्नेह की अपेक्षा है.
Manoj Kumar ji,
आपका स्नेह और समर्थन पाकर सार्थक हुयी रचना.
Surendra Mulhid ji,
Brijendra Singh ji,
आपके ब्लॉग पर आगमन का स्वागत तथा शुभकामनाओं के लिए आभार.
Imaran Ansari ji,
Surendra Shukla ji,
आप मित्रों से सदैव इसी स्नेह की अपेक्षा है.
Suresh Kumar ji,
Pravin Pandey ji,
आपकी स्नेहिल शुभकामनाएं मिलीं, आभारी हूँ.
सच हैं अब समय आ गया है खुद खड़ा होना होगा ... व्यवस्था को बदलना होगा ... आलोचक बन्ने से कुछ नहीं होना ... सार्थक चिंतन ...
तुम बदल सकते हो सारा देश क्या , यह विश्व सारा /
भारती के लाल जागो , विश्व को तुम से सहारा /
जगदगुरु भारत, की संतति हो , स्वयं की शक्ति जानो ,
हे भगीरथ ! पलट दो , बहती हुई विपरीत धारा /
प्रेरणादायक रचना के लिए बधाई स्वीकारें ...
१४६ ....?
और कितनी लम्बी चलेगी ये यात्रा ......?
शुभकामनाएं .....
अंतर्मन को झकझोरने वाला सन्देश है....आपकी कवितायें मुझे हमेशा ही अच्छी लगती हैं.....सादर!
dIGAMBAR nASWA JI,
AABHAAR AAPAKE SNEH KAA.
kshitija ji,
Harkirat Heer ji,
स्नेह मिला, आभार.
Ragini ji,
आपके उत्साहवर्धन का आभारी हूँ.
uncle wah wah kya likha he bahut sunder..
@rediffmail.com
वाह ...बहुत ही बढि़या।
कर्म पर बल देता ...बहुत सुंदर भाव ...
पिछले कई दिनों से आप का ब्लॉग खुलता नाहीं था ...!!बहुत दिनों बाद आपकी पोस्ट पढ़ पाई हूँ ...!!
सार्थक संदेश देती हुई बढ़िया प्रस्तुति |
वाह! अति सुंदर...सिर्फ आलोचक बनने से काम नहीं चलेगा!
Behad khoobsurat kavita likhi hai aapne ... Dhanyavad...
Bas aise hi likhte rahiye ...
बढ़िया प्रस्तुति |
jitendra
bachuaa aakhir khoj hee liyaa.
Sada ji,
Anupama ji,
Maheshwari ji,
आपका बहुत- बहुत आभार हौसला अफजाई के लिए, धन्यवाद.
MADHU JI,
आपका स्नेह, समर्थन प्राप्त हुआ , आभारी हूँ.
poonam Agrawal ji,
SM ji
आपके ब्लॉग पर आगमन और समर्थन का आभारी हूँ.
सुंदर शब्दावली प्रेरणादायक कविता ....रचना के लिए बधाई स्वीकारें.
Sanjay Bhasker ji,
आभार आपके स्नेह का.
अत्यंत सार्थक और यथार्थपरक रचना !!!!
Vishal ji,
blog par padhaarane aur samarthan pradaan karane kaa aabhaar.
Waah ! Behad sundar rachna! aapko badhai! Saarthak vichaar!
Nootan ji,
आभारी हूँ आपके स्नेह का.
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