नियम परिवर्तन प्रकृति का , दिवस पीछे रात भी है /
और हर काली निशा के बाद आता प्रात भी है /
जो न भय खाते निशा से , और सहते धैर्य से तम ,
फिर समय उनके लिए , लाता प्रभामय प्रात भी है /
कष्ट मिट्टी पर लिखो , उपकार लिख डालो शिला पर ,
चूमना आकाश है तो , विजय लिख दो हर दिशा पर ,
स्वर्ण में भी दीप्ति आती , ताप का संताप सहकर ,
और तन पर झेलता वह , तीव्रतम आघात भी है /
है वही जीवन कि जिसमें , कंटकों से पूर्ण पथ हो ,
है वही जीवन कि जिसमें , प्रथम इति पश्चात अथ हो ,
चक्र जीवन का निरंतर , एक सा किसका चला है ?
विजयश्री मिलती जिसे , मिलती उसे ही मात भी है /
वही है सबसे दुखी , जिसने कभी भी दुःख न देखा ,
जो झरा वह फिर फरा भी , सृष्टि का यह अमिट लेखा ,
बाद पतझड़ कोपलों से , सँवरती फिर तरु - लताएँ ,
फिर वसंती पवन देता , उन्हें नूतन पात भी है /
नियम परिवर्तन प्रकृति का , दिवस पीछे रात भी है /
- एस.एन.शुक्ल
35 comments:
बहुत सुन्दर...
प्रकृति के सभी नियम सर माथे पर..
जीवन रहस्य को व्याख्यायित करती एक कविता!!
कष्ट मिट्टी पर लिखो...अद्भुत सोच...
कष्ट मिटटी पर लिखो,उपकार लिख डालो शिला पर..
अद्भुत ...
इस कविता को पढ़कर एक भावनात्मक राहत मिलती है।
VIDYA JI,
SALIL VERMA JI,
आपकी शुभकामनाओं का आभारी हूँ.
Pravin pandey ji,
Shikha varshney ji,
आपका स्नेह मिला, सार्थक हुयी रचना, आभार.
Manoj ji,
आभार आपके समर्थन का.
Prernadaai kavita sir..
Harivansh rai bachchan ji ki kavitaao ka smaran karaati hui panktiya..
Bahut sundar rachna :)
है वही जीवन कि जिसमें,कंटकों से पूर्ण पथ हो,
है वही जीवन कि जिसमें,प्रथम इति पश्चात अथ हो
बहुत सुन्दर..
सीतापुर की यादें ताज़ा हो गयीं !
लिखने का अंदाज़ जाना-पहचाना सा....
बहुत सुंदर एवं सार्थक सार्थक प्रस्तुति ।
welcome to my new post on Taslima Nasarin.
धन्यवाद ।
bahut khoob.
बहुत सुन्दर रचना है बधाई स्वीकारें।
lajawab ...adbhut rachana
bahut sundar abhivyakti hai shukla ji...
परिवर्तन ही शाश्वत सत्य
शुक्ल जी
बेहतरीन रचना है आपकी...बधाई स्वीकारें
नीरज
Aditya ji,
Poonam ji,
आभारी हूँ आपके स्नेहिल समर्थन का.
PREM JI,
NISHA JI,
आभारी हूँ आप मित्रों के उत्साहवर्धन का.
BALI JI,
PATEL JI,
UJALESH JI,
आपके समर्थन से सार्थक हुयी रचना, धन्यवाद.
Sikta ji,
Neeraj Goswami ji,
आप मित्रों से हमेशा इसी उत्साहवर्धन की अपेक्षा रही है, आभार.
adbhut... khubsurat.. prakriti ke niyamo ko kavita me dikha diya:)
bilkul sahi ........prakriti ka shashvat niyam hai ye.....
basant ki shubhkamnayen sir.....
है वही जीवन कि जिसमें , कंटकों से पूर्ण पथ हो ,
है वही जीवन कि जिसमें , प्रथम इति पश्चात अथ हो ,
चक्र जीवन का निरंतर , एक सा किसका चला है ?
विजयश्री मिलती जिसे , मिलती उसे ही मात भी है /
atisundar ek sashakt,behtreen rachna.
कष्ट मिट्टी पर लिखो , उपकार लिख डालो शिला पर ,
अद्भुत अभिव्यक्ति...
मेरे ब्लॉग पर आने के लिए आभार|
परिवर्तन शाश्वत सत्य है. दुःख सुख जीवन के दो पहलू है. इन्ही भावों को अभिव्यक्त करती यह सुन्दर रचना मन को भा गयी....... आभार !
कुछ अनुभूतियाँ इतनी गहन होती है कि उनके लिए शब्द कम ही होते हैं !
बहुत बेहतरीन और प्रशंसनीय.......
मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
Mukesh sinha ji,
Rajani Malhotra ji,
आपके स्नेहिल समर्थन का आभारी हूँ.
Rajesh Kumari ji,
आपके स्नेहाशीष का आभार, धन्यवाद .
Madhu ji,
Subeer Rwat ji,
आपके समर्थन से सार्थक हुयी रचना , आभार.
Shanti Garg ji,
आभारी हूँ इस स्नेह और अनुकम्पा का.
ati sundar rachanaa jeevan ke yatharth ke nikat
Rajendra Sharma ji,
आपके स्नेह और शुभकामनाओं का बहुत- बहुत आभार .
चक्र जीवन का निरंतर , एक सा किसका चला है ?
विजयश्री मिलती जिसे , मिलती उसे ही मात भी है
प्रकृति का पल-पल परिवर्तित दृश्य हमें नम्रतापूर्वक स्वीकार है।
एक गंभीर रचना।
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