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Saturday, January 14, 2012

(132) पति बनते- बनते रह गए थे /

कुछ ही दिन पूर्व , मेरी हुयी सगाई थी /
और मेरे जीवन में पहली बार-
भावी पत्नी से मिलन की घड़ी आई थी/
उसने मुझे पांच बजे वोल्गा में बुलाया था /
किन्तु मेरी घड़ी ने -
अभी चार का ही घंटा बजाया था /
मैनें पहली बार जाना -
आदमी कितना चाक- चौबंद हो जाता है,
शादी क्या -
सगाई के बाद से ही ,
समय का कितना पाबन्द हो जाता है /
बेकरारी में , मैंने ज्यों ही -
पान की दूकान के अर्ध आदमकद दर्पण की ओर,
अपना चेहरा घुमाया /
त्यों ही - मेरे कालेज का सहपाठी ,
राकेश मुझसे आ टकराया /
उसने आते ही पीठ पर धौल जमाई /
बरबस पूछना ही पड़ा , कैसी भाई ?
उसने बताया -
यार मेरी प्रेमिका , शीघ्र ही होने वाली पराई है /
इसीलिये , आख़िरी बार मुझसे मिलाने आई है /
आओ तुम्हे अपनी पसंद दिखाते हैं,
अपनी, भूतपूर्व होने जा रही प्रेमिका से -
तुम्हारा परिचय कराते हैं/
मेरे न चाहते हुए भी -
वह मुझे खींच लाया /
और मेरे अज़ीज़ दोस्त --------
कहते हुए -
उसने अपनी प्रेमिका से , मेरा परिचय कराया /
किन्तु मैं हतप्रभ ठगा सा ,
और वह शर्म से तार- तार थी /
क्योंकि उसकी प्रेमिका ही -
मेरी भावी जीवन नैया की पतवार थी /
मेरे सपनों के महल -
ढह गए थे /
और हम, एक बार फिर -
पति बनते- बनते रह गए थे /
                   -एस.एन.शुक्ल

38 comments:

Satish Saxena said...

बेचारा ...
शुभकामनायें !

नीरज गोस्वामी said...

कभी कभी ऐसा भी तो होता है ज़िन्दगी में...दिलचस्प वाकया...

नीरज

vidya said...

:-)

सचमुच!! बेचारा...

बढ़िया रचना सर.

चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...

और दिल के अरमाँ आंसुओं में बह गए!!
मजेदार वाकया!!

मेरा मन पंछी सा said...

वाह वाह ...
अंत में झटका देती रचना है.
बहूत खूब. बेहतरीन रचना...
शुभ मकर संक्रांति

Madhuresh said...

Bahut achhi lagi.. dhanyavaad!! :) :)

Unknown said...

शुभकामनायें

प्रवीण पाण्डेय said...

यह तो गड़बड़ हो गया

Kailash Sharma said...

आह! किस्मत ने कहाँ लाकर मारा...बहुत रोचक प्रस्तुति..

मनोज कुमार said...

आह! (पुरुष पात्र के लिए)
वाह! (कवि और कविता के लिए।)

Dr.J.P.Tiwari said...

बच गए आप तो भिया बाल-बाल. दोस्त आखिर दोस्त ही निकला. दोस्ती निभायी, खाई में गिरने से बचायी. अब आप को भी अपना फर्ज निभाना चाहिए था. दोस्त की अमानत ओ दोस्त तक पहुचना चाहिए था. भाई! मजा आ गया. वैसे यह केवल कविता भी नहीं है....

S.N SHUKLA said...

Satish saxena ji,
Neeraj Goswami ji,

आप मित्रों का समर्थन पाकर सार्थक हुयी रचना, धन्यवाद.

S.N SHUKLA said...

Vidya ji,
Lalit verma ji,
REENA MAURYA JI,

आपका स्नेह मिला, आभारी हूँ.

S.N SHUKLA said...

Madhuresh ji,
Kushwansh ji,

रचना को आपका स्नेह मिला, आभार.

S.N SHUKLA said...

Kailash sharma ji,
Manoj ji,
धन्यवाद आपके आशीर्वचनों के लिए, आभारी हूँ.

S.N SHUKLA said...

J. P. Tewari ji,

यह किसी मित्र का भोगा हुआ यथार्थ है, आपने जो कहा वही सच है.

दिगम्बर नासवा said...

हा हा बेचारा ... मज़ा आया इस निर्मल हास्य पे ...

रचना दीक्षित said...

मेरी संवेदनाएं इनके साथ हैं. मजेदार प्रस्तुति.

Jeevan Pushp said...

अरे वाह ! वाकई दिलचस्प ! बहुत सुंदर !
सौभाग्य मेरा कि आपने हमे आमंत्रित किया!
समर्थक बन रहा हूँ ताकि दोस्ती पक्की हो जाये!

Kewal Joshi said...

कभी-कभी ऐसा भी होता है.

Arvind kumar said...

sankat ki is ghadi men ham apke sath hain....

khoobsurat majedar rachna...

saadar

Amit Chandra said...

चलिए जो हुआ अच्छा हुआ.

महेन्‍द्र वर्मा said...

बढि़या हास्य कविता।

अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com) said...

बहुत ही शिष्ट और शालीन हास्य.

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

शुक्ला जी,..बच गए वरना शादी के बाद,....
बहुत सुंदर रचना बहुत अच्छी लगी.....
new post--काव्यान्जलि --हमदर्द-
मै कई बार आपके पोस्ट पर गया किन्तु आपने पलट कर भी नही देखा,ब्लॉग जगत का कुछ शिष्टाचार भी है,...

Jay dev said...

वाह वाह क्या बात है सर |

S.N SHUKLA said...

Digamber Naswa ji,
Rachana Dixit ji,
इस प्रोत्साहन के लिए आभारी हूँ,धन्यवाद.

S.N SHUKLA said...

Manish Singh Nirala ji,
Kewal joshi ji,

आपने सराहा, शब्द सार्थक हुए, आभार.

S.N SHUKLA said...

KUMAR JI,

आपकी सहानुभूतिपूर्ण प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद.

S.N SHUKLA said...

MAHENDRA VERMA JI,
ARUN NIGAM JI,

रचना और मुझे आप मित्रों का स्नेह मिला, कृतज्ञ हूँ.

S.N SHUKLA said...

Dheerendra ji,
Jaidev Barua ji,

आपके स्नेहाशीष के लिए बहुत- बहुत आभार.

Dr. SHASHI.... ( Ek Kasak ) said...

वाह ! बढ़िया प्रस्तुति ..

बी.एस.गुर्जर said...

shukla ji bahut achi rachna laye hai aap .aaj ke dor me yahi ghat raha hai ....hahahah...shubhkamnaye.

S.N SHUKLA said...

SHASHI PANDEY JI,
B.S.GURGAR JI,
आपकी उदारमना प्रतिक्रियाओं का आभारी हूँ.

संजय भास्‍कर said...

ग़ज़ब की कविता ... कोई बार सोचता हूँ इतना अच्छा कैसे लिखा जाता है

Naveen Mani Tripathi said...

kafi dilchasp .....sundar sanyojan ...bahut bahut abhar Shukl ji

S.N SHUKLA said...

Sanjay Bhasker ji,
Navin Tripathi ji,

आपके समर्थन से सार्थक हुयी रचना, धन्यवाद.

Life Beautiful said...

Anya Rachnao se alag bejod prastuti ; sampurna Ghatna kram aakho ke samne kaundh gya is rachna to padh ke !
Aabhar ;