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Sunday, December 25, 2011

(128) आवाज़ लगाते रहिये /

          पत्थरों के शहर में , कितना सिर झुका के चलें ,
          उठे जो संग ,  तो  सिर  को भी  उठाते   रहिये  /

          अन्धेरा सारा मिट सकेगा , ये  मुमकिन न सही ,
          फिर भी उम्मीद की ,  इक शमअ जलाते रहिये /

          कोई   तो   तीर ,   निशाने  पे  लगेगा  आखिर ,
          ये सोचकर   ही    सही ,  तीर   चलाते   रहिये  /

          जो लड़ रहे  हैं  अंधेरों  से  ,   अकेले  न  पड़ें  ,
          उनकी आवाज़  में  , आवाज़  मिलाते रहिये /

          सियाह रात के  फिर बाद , खुशनुमा   है सहर ,
          कम से कम  इतना , दिलासा तो दिलाते रहिये /

          कोई जगे न जगे  , काम ये उनका है ,  मगर -
          तुम्हारा  फ़र्ज़  है  , आवाज़  लगाते  रहिये  /
                                             - एस. एन. शुक्ल 

27 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

सर उठा नहीं पायेंगे, तो देश में राज्य पत्थरों का हो जायेगा।

आशा बिष्ट said...

अन्धेरा सारा मिट सकेगा , ये मुमकिन न सही ,
फिर भी उम्मीद की , इक शमअ जलाते रहिये /bahut khub..

प्रतुल वशिष्ठ said...

आवाज़ लगाते रहिये....

एक जागरुक कवि का धर्म यही है कि वह इसका बिना खयाल किये कि 'सामान्य जन' सोया है अथवा अर्धचेतन है अथवा घोर निद्रा में है अथवा जागकर भी उठना नहीं चाहता....
वह अपनी आवाज में ही प्रेरणा जगाने के तरह-तरह से प्रयोग करता रहता है..
आपने एक श्रेष्ठ ग़ज़ल रची .... बधाई.

अनुपमा पाठक said...

प्रयास जारी रखने को प्रेरित करती सुन्दर प्रस्तुति! दुन्दुभी बजती रहे... तन्द्रा अवश्य भंग होगी!

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

सियाह रात के फिर बाद , खुशनुमा है सहर ,
कम से कम इतना , दिलासा तो दिलाते रहिये /

बेहतरीन गज़ल

स्वाति said...

satat prayas aur asha hi zindagi hai...bahut sundar....aabhaar

vidya said...

बहुत बहुत लाजवाब...
बढ़िया...
सादर.

Sawai Singh Rajpurohit said...

आपकी प्रस्तुति भी अच्छी लगी । धन्यवाद ।

Anita said...

कोई जगे न जगे , काम ये उनका है , मगर -
तुम्हारा फ़र्ज़ है , आवाज़ लगाते रहिये /
वाह ! बहुत उम्दा शेर, सार्थक संदेश देती हुई गजल!

Sonroopa Vishal said...

very positive!
umda ghajal !

Pranshu said...

माना कि राह में अडचनों की कमी नहीं
कुछ बेपरवाह हो, कदम बढ़ाते रहिये

Unknown said...

बहुत अच्छी लगी

avanti singh said...

वाह!क्या बात है बहुत ही उम्दा लिखा आप ने..... सियाह रात के फिर बाद, खुशनुमा है सहर ,कम से कम इतना दिलासा तो दिलाते रहिये ......बहुत ही अच्छी और सकारात्मत रचना है बधाई स्वीकारें ......

Kailash Sharma said...

बहुत सुंदर आह्वान...सकारात्मक भाव संजोये बहुत सुंदर प्रस्तुति..

Naveen Mani Tripathi said...

KOI TO TEER NISHANE PE LAGEGA AKHIR ............ VAH SHUKL JI HAR AK SHER LAJABAB ... VAKAI AK KHOOBSOORAT GAZAL ...ABHAR.

S.N SHUKLA said...

Pravin pandey ji,
Asha Bisht ji,
आप मित्रों द्वारा की गयी प्रशंसा का बहुत- बहुत आभार.

S.N SHUKLA said...

Pratul vashisth ji,

आपके ब्लॉग पर आगमन और समर्थन का आभारी हूँ.

S.N SHUKLA said...

Anupama pathak ji,
Sangita ji,

आपके स्नेहाशीष का ह्रदय से आभार.

S.N SHUKLA said...

Swati vallabh Raj ji,

आपके समर्थन और उत्साहवर्धन का बहुत- बहुत धन्यवाद.

S.N SHUKLA said...

Vidya ji,
Anita ji,
मेरी रचना को आप शुभचिंतकों का स्नेह मेरे लिए पुरस्कार है , आभार.

S.N SHUKLA said...

Sawai Singh Rajpurohit ji,

आपके ब्लॉग पर आगमन और समर्थन का आभारी हूँ.

S.N SHUKLA said...

SONARUPA JI,
Pranshu ji,
Point ji,

आपके समर्थन और उत्साहवर्धन का बहुत- बहुत धन्यवाद.

S.N SHUKLA said...

Awanti Singh ji,

आपके उत्साहवर्धन का बहुत- बहुत धन्यवाद.

S.N SHUKLA said...

Kailash Sharma ji,

मेरी रचना को आप का स्नेह मेरे लिए पुरस्कार है , आभार.

S.N SHUKLA said...

Navin Mani Tripathi ji,

आपके ब्लॉग पर आगमन और समर्थन का ह्रदय से आभार.

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

सुंदर अभिव्यक्ति बेहतरीन रचना,.....
नया साल सुखद एवं मंगलमय हो,....

मेरी नई पोस्ट --"नये साल की खुशी मनाएं"--

Unknown said...

कोई तो तीर , निशाने पे लगेगा आखिर ,ये सोचकर ही सही , तीर चलाते रहिये /
very nice;;
your poems are truly a masterpiece;;