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Thursday, December 22, 2011

(127) आग जलवाइये /

आ गयी फिर शरद ऋतू  ठिठुरती हुई ,
आग का सेक  दे , इसको   गरमाइये /
कंप रही शीत से ,  कितनी  बेचैन  है,
गर्म कपड़े   इसे ,  थोड़े    पहनाइये  /

साथ में कुहरे , पाले  से  बच्चे  भी हैं ,
देर  तक  ये  जगेंगे ,  सतायेंगे   भी /
ये शरारत न कर पायें , सो जाएँ चुप ,
इनको गद्दे  , लिहाफों  में बहलाइए /

ताज़ा  पूडी - कचौड़ी  व छोले - करी -
में ज़रा छौंक ,   मेथी की  लगवाइए /
गुनगुनी चाय संग केक - बिस्कुट नहीं,
प्याज के कुछ  पकौड़े  भी तलवाइये /

बात है कुछ दिनों की ये , स्वागत करो,
यह अतिथि है इसे ज्यादा टिकना नहीं /
हर अतिथि देव है, अपनी संस्कृति है ये ,
इसलिए इसको   आसन दे  बिठलाइये  /

एक ही  माह  की   बात  बस  शेष  है ,
सरदी बच्चों को लेकर चली जायेगी /
फिर वसंती पवन , आयेगी सज के तन ,
साथ में , मधु- मधुर  गंध भी  लायेगी /

रात के बाद दिन , और फिर रात- दिन ,
यह समय चक्र ,  यूँ   ही चला है  सदा  /
सर्दियाँ   जायेंगी  ,   गर्मियाँ  आयेंगी  ,
तब तलक द्वार पर , आग जलवाइये  /
                           - एस. एन. शुक्ल 

34 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

कुछ तो सुकूं लाइये।

vidya said...

:-)
वाह सर...बढ़िया सलाहों से भरी रोचक कविता...
सादर.

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

बहुत सुन्दर,
शरद ऋतू आई है तो जल्द बसंत भी आयेगा ! जरूरत है कि जो सामने है उसका लुफ्त लीजिये !

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

सर्दी का अपना ही मज़ा है ..अच्छी प्रस्तुति

मंजुला said...

बढिया मस्त अंदाज़ मे लिखी गयी कविता ...पढ़ के मज़ा आ गया

sushila said...

खूब सुंदर शब्दों और भावों से स्वागत किया है आपने शीत का ! हम ऋतु का अपना आनन्द है । प्रकृति पुजारी बन इसे सराहें इसी में मानव-मात्र का कल्याण है ।

Rajesh Kumari said...

har mausam ka swaagat karna chahiye.sardi ki ritu ki achchi kavita likhi hai.

Rewa Tibrewal said...

WAH...BAHUT KHOOB....THAND KA EHSAS IS PYARI KAVITA KAY SAATH

मेरा मन पंछी सा said...

bahut sundar rachana hai...

अनामिका की सदायें ...... said...

janaab kyu pakodo ki baat kar ke hamare muh me paani laa rahe hain ?

ha.ha.ha.

bahut samsaamyik rachna.

Jay dev said...

sundar prstuti ...

S.N SHUKLA said...

Pravin pandey ji,
Vidya ji,
P. C. Godiyal ji,
आप मित्रों का मेरी रचना को स्नेह मिला, शब्द सार्थक हुए.

S.N SHUKLA said...

Sangita ji,

आप का स्नेहाशीष मिला, आभारी हूँ.

S.N SHUKLA said...

Manjula ji,
Sushila ji,
Rajesh kumari ji,

रचनाकी सराहना के लिए ह्रदय से आभारी हूँ.

S.N SHUKLA said...

Reva ji,
Reena Maurya ji,
Anamika ji,

आप जैसे स्नेही मित्रों की शुभकामनाएं प्रेरणा देती हैं.

S.N SHUKLA said...

Jaidev Barua ji,
aapakaa samarthan mila, aabhaaree hoon, yah mitrata chirsthaayee chaahoongaa.

Anupama Tripathi said...

कल 24/12/2011को आपकी कोई पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!

Dr.NISHA MAHARANA said...

are wah.bahut badhiya.

Yashwant R. B. Mathur said...

क्या बात है सर! वाह!

Unknown said...

रोचक कविता...

S.N SHUKLA said...

Anupama ji,
Nisha Maharana ji,

आप मित्रों का स्नेहाशीष मिला, आभारी हूँ.

S.N SHUKLA said...

Yashwant Mathur ji,
Points ----
आप मित्रों की शुभकामनाओं का बहुत- बहुत आभार .

सदा said...

वाह ...बहुत खूब।

Kailash Sharma said...

बहुत खूब! बहुत रोचक प्रस्तुति...

Urmi said...

सुन्दर एवं रोचक कविता! बढ़िया लगा!
क्रिसमस की हार्दिक शुभकामनायें !
मेरे नये पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
http://seawave-babli.blogspot.com/

अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com) said...

ऋतु पर बढ़िया रचना, अलाव भी है, गर्म पकौड़े भी. वाह !!!!

प्रेम सरोवर said...

आपकी प्रस्तुति अच्छी लगी । मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है । धन्यवाद ।

महेन्‍द्र वर्मा said...

वाह, सर्दी के मौसम का बहुत सुंदर चित्र उकेरा है आपने।

ASHOK BIRLA said...

bahut hi sundar kavita ...

S.N SHUKLA said...

Sada ji,
Kailash ji,
रचना की प्रसंशा के लिए आप मित्रों का आभार, यह अनुकम्पा बनाए रखियेगा .

S.N SHUKLA said...

Urmi ji,
Arun Nigam ji,
Prem ji,
.
आप मित्रों की मेरी कलम को अनुशंसा मिली , आभारी हूँ.

S.N SHUKLA said...

Mahendra verma ji,
Ashok Birla ji,

बहुत- बहुत आभार आपके स्नेह का.

avanti singh said...

वाह! एक अलग तरह की कल्पना से निर्मित रचना को पढ़ कर अच्छा लगा .....

S.N SHUKLA said...

Avanti singh ji,
ब्लॉग पर पधारने और समर्थन प्रदान करने का बहुत- बहुत आभार

बहुत सुन्दर रचना,बधाई.