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Wednesday, November 16, 2011

(119) तम भरी बदली टलेगी /

प्रकृति का है नियम परिवर्तन , अगर यह सत्य तो फिर ,
जो फरा   वह है झरा भी ,   सत्य है   यह तथ्य तो फिर ,
किसलिए मन में निराशा, भय , हताशा, खेद, सम्भ्रम,
जटिलता की   यह घड़ी भी  , क्या सदा यूँ  ही चलेगी  ?

मनुज के कृत कर्म से ,  माना समय   बलवान होता ,
किन्तु यह भी सत्य है  , हर उदय का अवसान होता ,
देव गति के सामने  ,  होती विवशता  हर किसी की ,
अवशता की अग्नि भी , उर में भला कब तक जलेगी ?

फल प्रकृति आधीन है , पर कर्म पर अधिकार तेरा ,
नियति भी झुकती उन्हीं से, तोड़ते जो विषम घेरा  ,
शुष्क पौधों को निराता - सींचता   यह सोच माली ,
कर्म कृषि अपने समय पर , एक दिन निश्चय फलेगी/

दैन्यता , असहायता का ,  दंश भी सह लो ह्रदय पर ,
ध्यान रखना, क्रोध या अविवेक मत छाये विनय पर ,
शील, साहस ने सदा ही , विजय पायी है समय से  ,
सूर्य  फिर होगा प्रभामय , तम भरी बदली टलेगी  /

22 comments:

Rajesh Kumari said...

shreshth,addvitya ...bahut achchi kavita.nishabd kar diya.

प्रवीण पाण्डेय said...

आशा और उत्साह का संचार करती कविता, बहुत ही अच्छी।

मनोज कुमार said...

दैन्यता, असहायता का, दंश भी सह लो ह्रदय पर,
ध्यान रखना, क्रोध या अविवेक मत छाये विनय पर,
कविता की शैली बहुत ही आकर्षित करती है। कविता के भाव हमें सोचने पर विवश करते हैं।

Maheshwari kaneri said...

निशब्द करती सुन्दर कविता..

Anita said...

ध्यान रखना, क्रोध या अविवेक मत छाये विनय पर ,
शील, साहस ने सदा ही , विजय पायी है समय से ,
सूर्य फिर होगा प्रभामय , तम भरी बदली टलेगी /
सचमुच क्रोध से कुछ भी हासिल नहीं होता... आशा ही सम्बल है, सुंदर कविता के लिये बधाई!

Maheshwari kaneri said...

बहुत सुन्दर प्रेरित करती भावमयी रचना...

Kunwar Kusumesh said...

बहुत सुन्दर और ज़बरदस्त लिखा है.

चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...

जीवन में स्फूर्ति की तरंगें संचारित करती एक गे कविता!! बहुत ही सुन्दर!!

vidya said...

वाह शुक्ला सर...बहुत ही आशावादी कविता...आनंद आ गया पढ़ कर.

Shri Sitaram Rasoi said...

सर
बहुत गहराई की बात कही है।

डॉ. ओम

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

आशा का संचार करती बेहतरीन सुंदर पोस्ट...
मेरे पोस्ट पर पधारे स्वागत है ...

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " said...

साहस जगाती,utsaah badhati, सुन्दर कविता

Urmi said...

आपने इतना सुन्दर रचना लिखा है कि तारीफ़ के लिए अल्फाज़ कम पर गए ! आपकी लेखनी को सलाम!
मेरे नये पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
http://seawave-babli.blogspot.com

Tv100 said...

very inspirational poem! Congrats!

S.N SHUKLA said...

Rajesh kumari ji,
Pravin pandey ji,
Manoj ji,

आपका स्नेह मिला, इस स्नेह का सदैव आकांक्षी हूँ.

S.N SHUKLA said...

Maheshwari kaneri ji,
Anita ji,
.
आप शुभचिंतकों के अपार स्नेह का आभारी हूँ.

S.N SHUKLA said...

Kunwar Kushumesh ji,
Lalit verma ji,
Vidya ji,

आपकी सकारात्मक प्रतिक्रियाओं का ह्रदय से आभारी हूँ..

S.N SHUKLA said...

Dr. O.P. Verma ji,
Dheerendra ji,
ब्लॉग पर आने और उत्साहवर्धन का बहुत- बहुत आभार.

S.N SHUKLA said...

Surendra singh ji,
BABALI JI,

आपकी शुभकामनाएं मिलीं , आभारी हूँ.

ऋता शेखर 'मधु' said...

बहुत सुन्दर भाव के साथ प्रेरित करती रचना...
मधुर गुंजन ब्लॉग पर समर्थन देने के लिए आभार.

S.N SHUKLA said...

Madhu ji,
Thanks for your appriciation and comment.

S.N SHUKLA said...
This comment has been removed by the author.