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Monday, August 1, 2011

(87) यह जीवन है ! ! !

जीवन के पाँच तत्त्व -
पृथ्वी, अग्नि, जल, आकाश और हवा 
और पाँचों दैनंदिन जीवन में गतिमान .
युद्ध का प्रतीक पृथ्वी, वीर भोग्या वसुंधरा .
संघर्ष का प्रतिमान अग्नि,ताप भी- तेज भी .
प्रवाह का द्योतक जल, जुएँ जैसा अनियंत्रित .
शून्य का बिम्ब आकाश, अनंत  आशाओं सा .
और जीवनदायिनी वायु, जो अदृश्य है - पहेली है .

                           (१ )
जीवन युद्ध है .
यहाँ विजय भी संभव है तो पराजय भी ,
जैसा कि हर युद्ध में होता है .
किन्तु फिर भी आदमी जीतना चाहता है, केवल जीतना .
जो जीत नहीं पाते ,
साहस खो देते हैं,
वे ही वरण करते हैं आत्म- वध का मार्ग .
दूसरी सेनाओं से लड़ते हुए -
सैनिक भी तो पराजित होते हैं ,
तो क्या वे आत्महत्या कर लेते हैं ?

                      (२ )
जीवन संघर्ष है .
अर्थात जीवन जीना है तो,
लड़ना होगा, सिर्फ लड़ना .
और कोई मार्ग भी तो नहीं है .
जो संघर्ष से घबराते हैं ,
वे बिना लड़े ही हार जाते हैं .
फिर वे दायित्वों से विमुख-
पलायनवाद का मार्ग अपनाते हैं .
और सारा जीवन -
दूसरों की कृपा पर आश्रित ,
दूसरों की झिड़कियाँ सहकर बिताते हैं .

                       (३ )
जीवन जुआं है .
जहां आवश्यक नहीं-
कि हर पाशा सीधा ही पड़े .
किन्तु यह प्रकृति प्रदत्त मजबूरी है.
न चाहते हुए भी -
इस जुएँ में पाशा फेकना जरूरी है .
हर पाशा उलटा भी नहीं पड़ता ,
जब भी पाशा तुम्हारे पक्ष में आयेगा .
अनायाश ! सब कुछ ठीक हो जाएगा .

                      (४ )
जीवन आशा है .
अर्थात आशा ही जीवन है .
आशाएं बलवती होती हैं.
तो वे प्रायः फलवती भी होती हैं .
जो आशा की डोर नहीं छोड़ता ,
वह प्रायः पार होता है .
और जो निराश हो गया,
वह भाग्य को कोसता हुआ रोता है.

                   (५ )
जीवन पहेली है .
ऐसी पहेली, जो कभी हल नहीं होती .
जिसका कोई सिरा पकड़ में नहीं आता ,
ठीक हवा की तरह .
लेकिन इस पहेली से जूझना ही जीवन है .
यह कभी हंसाती है, कभी रुलाती है .
कभी उलझाती , तो कभी खुद रास्ता दिखाती है .

18 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

जीवन की पूर्ण परिभाषा बताती हुयी आपकी यह कविता। बहुत ही सुन्दर।

Anupama Tripathi said...

जीवन मार्गदर्शन देती हुई बहुत सुंदर कविता......!!

Shikha Kaushik said...

vastav me jeevan sangharsh hi hai .bahut achchhi prastuti .aabhar

डॉ. मोनिका शर्मा said...

अति सुंदर ...जीवन का हर रंग समेटे अभिव्यक्ति

S.N SHUKLA said...

प्रवीण पाण्डेय जी,
अनुपमा जी,
शिखा जी ,
डॉक्टर मोनिका जी
आप सब शुभचिंतकों का मेरे ब्लॉग पर आने तथा मेरी रचना को स्नेहाशीष प्रदान करने का धन्यवाद

Anonymous said...

जीवन दर्शन

Shalini kaushik said...

अर्थात जीवन जीना है तो,
लड़ना होगा, सिर्फ लड़ना .
और कोई मार्ग भी तो नहीं है .
जो संघर्ष से घबराते हैं ,
वे बिना लड़े ही हार जाते हैं .
फिर वे दायित्वों से विमुख-
पलायनवाद का मार्ग अपनाते हैं .
और सारा जीवन -
दूसरों की कृपा पर आश्रित ,
दूसरों की झिड़कियाँ सहकर बिताते हैं .
bahut sahi vishleshan kiya hai aapne.

Unknown said...

ummda prastuti!!!!!!!!!!!!!such poetry inspires me a lot....

vidhya said...

अति सुंदर ...जीवन का हर रंग समेटे अभिव्यक्ति
वाह बहुत ही सुन्दर
रचा है आप ने
क्या कहने ||
लिकं हैhttp://sarapyar.blogspot.com/
अगर आपको love everbody का यह प्रयास पसंद आया हो, तो कृपया फॉलोअर बन कर हमारा उत्साह अवश्य बढ़ाएँ।

S.N SHUKLA said...

संगीता जी
राकेश कौशिक जी ,
शालिनी कौशिक जी
आप जैसे शुभचिंतकों का स्नेह और समर्थन मुझे नयी ऊर्जा से भर देता है , पुनः आभारी हूँ

S.N SHUKLA said...

प्रार्थना गुप्ता जी ,
विद्या जी
आप दोनों का मेरे ब्लॉग पर पहली बार आगमन हुआ है,बहुत- बहुत आभार , स्वागतम

Surendra shukla" Bhramar"5 said...

आदरणीय शुक्ल जी खूबसूरत-जिन्दगी के हर पहलू को समझाती-सार्थक सन्देश देती प्यारी रचना -मुबारक हो
शुक्ल भ्रमर ५

जो संघर्ष से घबराते हैं ,
वे बिना लड़े ही हार जाते हैं .
फिर वे दायित्वों से विमुख-
पलायनवाद का मार्ग अपनाते हैं .
और सारा जीवन -
दूसरों की कृपा पर आश्रित ,
दूसरों की झिड़कियाँ सहकर बिताते हैं

अनामिका की सदायें ...... said...

aaj apki lekhni ne mujhe mook kar diya.

shat shat naman aapki lekhni aur apke vicharo ko.

जुएँ is shabd ki vartani kya theek hai?

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

जीवन पर अलग अलग विचार बहुत सुन्दर ..
सटीक विश्लेषण

S.N SHUKLA said...

सुरेन्द्र शुक्ल "भ्रमर'' जी ,
अनामिका जी ,
संगीता स्वरुप जी
आप सुधी जनों का स्नेह, समर्थन ससम्मान स्वीकार , आभार

सागर said...

jivan ki khubsurat pARIBHASA deti apki rachna...

Sunil Kumar said...

जीवन की पूर्ण परिभाषा अति सुंदर ...जीवन का हर रंग समेटे ......

S.N SHUKLA said...

Sagar ji,
sunil kumar ji,

आप दोनों शुभचिंतकों का बहुत-बहुत आभार. रचना की प्रशंसा कर आपने उसे सार्थकता और प्रमाणिकता प्रदान की है, धन्यवाद .