ज्यों गंगा संग विविध नदियाँ , सरस्वति है , कालिंदी है /
त्यों अपनी अन्य सखियों संग , बड़ी बहना सी हिन्दी है /
इसी में कृष्ण का शैशव , इसी में राम का वैभव ,
ये भारत भाल चन्दन है , ये भारत माँ की बिंदी है /यहाँ उर्दू है , बंगाली , मराठी और गुज़राती ,
तमिल, तेलगू , असमिया और मलयालम मेरी थाती /
गुरुमुखी , कोंकड़ी , कन्नड़ हैं, उड़िया , डोंगरी भी हैं ,
हमें हरियाणवी , मैथिलि , मिजो भी ,मणिपुरी भाती /
सगी बहनें ये हिन्दी की , वो माँ है तो ये मासी हैं ,
कहा जाता है भाषाएँ ये , संस्कृत की नवासी हैं ,
न होती माँ से मासी कम , मिले समवेत अपनापन ,
हमें है गर्व खुद पर , क्योंकि हम बहु भाषाभासी हैं /
महक तुलसी की हिन्दी में , यही कबीरा की बानी है ,
ये है रसखान का अनुनय , यहीं मीरा दीवानी है ,
शिवा की बावनी भूषण , रचाते हैं यहाँ विधि से ,
ये है जगनिक का आल्हाखण्ड , वीरों की कहानी है /
महादेवी का निर्झर स्नेह , तो फक्कड़ निराला है ,
यहाँ बच्चन की मधुशाला में, हाला और प्याला है ,
बिहारी , सूर , जयशंकर , घनानंद और रहिमन हैं ,
यहीं नागर के नटवर हैं , तो रतनाकर की माला है /
जायसी , पन्त , केशव, देव , दिनकर और पदमाकर ,
गिनाएं नाम कितने , व्योम है , धरती है , यह सागर ,
ये हिन्दी ! हिंद का गौरव , करोड़ों जन की आशा है ,
न भाषा मात्र यह , हिन्दी हमारी मातृभाषा है /
- एस एन शुक्ल
46 comments:
कृपया संकलन हेतु यथा शीघ्र मेल करें
कृपया संकलन हेतु यथा शीघ्र मेल करें
sahi bat hai ...bahut acchi prastuti .....
मेरे विचार से,,,,,
है जिसने हमको जन्म दिया,
हम आज उसे क्या कहते है\
क्या यही हमारा राष्ट्रवाद - ?
जिसका पथ दर्शन करते है,
हे राष्ट्र्स्वामिनी निराश्रिता
परिभाषा इसकी मत बदलो,
हिन्दी है भारत की भाषा,
हिन्दी को हिन्दी रहने दो,,,,,,
RECENT POST -मेरे सपनो का भारत
hindi diwas ki shubhkamnaye..
Hindi Day की पूर्व संध्या पर आपको हिंदी चिंतन के लिए साधुवाद.
Hindi Day की पूर्व संध्या पर आपको हिंदी चिंतन के लिए साधुवाद.
बहुत ही बढ़िया रचना | हिन्दी दिवस की शुभकामनायें |
बहुत सार्थक प्रस्तुति .आभार
अपनी भाषा अपनी होती...बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति..
'हिन्दी दिवस' पर आपने हिन्दी के पुजारियों को एक सूत्र में पिरोकर और हिन्दी की जननी, सहयोगी, सहभागी रही भाषाओं और बोलियों के प्रति आभार व्यक्त किया है.
आपके मन के इस भाव ने मेरे मन को आह्लादित कर दिया. आपकी इस काव्य-अर्चना में मैं भी मौन उपासक बन उपस्थित हूँ.
Ramakant singh ji,
Nisha Maharana ji,
आभार आपकी शुभकामनाओं का.
Dheerendra ji,
Kavita verma ji,
स्नेह मिला बहुत- बहुत आभार.
Subir Ravat ji,
Pradeep ji,
Shikha ji,
यह स्नेह मिलता रहे , यही अपेक्षा है .
Pravin pandey ji,
Pratul Vashisht ji,
Roopachand Shastri ji,
आपके समर्थन से सार्थक हुयी रचना .
सुंदर कविता ....... साथ ही हिन्दी दिवस और हिन्दी पखवाड़े की ढेरों बधाई........
सार्थक चिंतन ...
होंदी दिवस पे काव्यात्मक अभिव्यक्ति की बधाई ...
bhavpoorna sundar rachna ...
उत्तम अभिव्यक्ति..बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
Sharad kumar ji,
रचना को साधुवाद देने के लिए धन्यवाद.
Digamber Naswa ji,
Anupama ji,
स्नेह मिला , आभारी हूँ.
Amrita Tanmay ji,
आभार इस स्नेह के लिए.
हिंदी भाषा को बहुत खूबसूरती से परिभाषित करती रचना | हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनायें |
बहुत सुंदर सर ,क्या खूब कहा आपने --सगी बहनें ये हिंदी की ,वो माँ है तो ये मासी है । अपनी भाषा के रूप को प्रस्तुत करने का यह तरीका निराला है ।
बेहद खूबसूरत रचना ! प्रशंसा के लिए शब्द नहीं हैं !!
बेहद खूबसूरत रचना ! प्रशंसा के लिए शब्द नहीं हैं !!
Meenakshee ji,
Anand vikram ji,
इस प्रशंसा का आभारी हूँ.
Rachana Tyagi ji,
आभार इस स्नेह के लिए .
हिंदी और देशज भाषाओं की महत्ता का खूब वर्णन किया है आपने। अच्छे लगे इस कविता के भाव। एक आपत्ति है..
हिंदी को माँ और दूसरी देशज भाषाओं को मौसी की उपमा मुझे नहीं जमी। वस्तुतः है इससे ठीक उल्टा। देशज भाषाएं ही प्रत्येक भारतीय की मातृभाषा है। हिंदी राष्ट्र भाषा है जिसका प्रमुख स्थान देना राष्ट्र को एकसूत्र में पिरोने के लिए आवश्यक है। जैसे सभी नदियों के जल सागर में आकर मिल जाते हैं वैसे ही सभी भाषाएं हिंदी को समृद्ध करती हैं।
...सरस्वति=सरस्वती।
बहुत सार्थक प्रस्तुति .....आभार
मेरी नई पोस्ट में आपका स्वागत है |
मेरा काव्य-पिटारा:बुलाया करो
भारतीय भाषाओं में ,सब कुछ है संभव
हिंदी मन का भाव है ,हिंदी है अनुभव
दिल को भा गयी आपकी यह कविता.... हिंदी व अन्य भारतीय भाषाओँ का क्या अद्भुत संगम कराया है आपने.... आभार!
दिल को भा गयी आपकी यह कविता.... हिंदी व अन्य भारतीय भाषाओँ का क्या अद्भुत संगम कराया है आपने.... आभार!
bahut hi sundar rachana sir .....bilkul hr pankti hindi ke liye naya vishwas de rhai hai...sadar badhai ke sath abhar bhi .
wah wah wah;;;
kya baat hai sir;;
antim stanza to kamal ka hai..
bahut sundar;;
Devendra pandey ji,
Reva ji,
स्नेह मिला , आभारी हूँ.
Pradip Sahani ji,
शुभकामनाओं का आभार.
Shalini ji,
आभार आपके अपार स्नेह का .
Navinmani Tripathi ji,
Rajendra Gupta ji,
इस स्नेह का बहुत- बहुत आभार .
बहुत सुंदर भावपूर्ण रचना -सच ही तो माँ और मासियाँ ही तो है फिर ये झगडा किसके लिए
Aditipoonam ji,
ब्लॉग पर आगमन और समर्थन का आभार.
बेहतरीन रचना ... धन्यवाद्
बेहतरीन प्रस्तुति !
इस रचना से हिंदी के प्रति आपका अटूट प्रेम झलकता है !हिंदी एवं हिंदुस्तान यूँ अग्रसर रहे !
आभार !
Anam mitra,
Manish singh nirala ji,
आभार आपके स्नेहमयी समर्थन का.
हिंदी भाषा को बहुत खूबसूरती से परिभाषित करती रचना |
नई पोस्ट पुस्तक समीक्षा उजला आसमाँ
पर आपका स्वगत है
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