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Sunday, August 26, 2012

(164) जब तक रहो , जलो

जीवन ऐसे जियो , कि जैसे दीपक जीता है  /
तब भी लड़ता , तेल पात्र जब होता रीता है  /

भरा पात्र हो ,  दीपशिखा  तब रहती तनी खड़ी  ,
कीट - पतंगों की भी , उस पर रहती लगी झड़ी  /

झप - झप करते आते वे , लेकिन जब टकराते ,
कहाँ तेज  सह  पाते ,  पंख  जलाते , मर जाते  /

पवन वेग  भी ,  उसे बुझाने  का  प्रयत्न  करता  ,
पर दीपक आख़िरी साँस तक , उससे भी लड़ता /

तैल पात्र जब रीत रहा होता , तब  भी  दीपक  ,
अंतिम बूँद निचुड़ने तक लड़ता रहता अनथक /

यह तो निश्चित है , ऊर्जा के शेष न रहने पर  ,
जाना होगा सबको तजकर , यह शरीर नश्वर  /

पर जो जीवन रहते , दीपक जैसा जलते  हैं ,
वे अपने प्रकाश से , जग आलोकित करते हैं /

इसीलिये कहता हूँ , बस दीपक की भाँति जलो ,
शेष रहो , न रहो जग में , पर जब तक रहो जलो /

                                   - एस . एन . शुक्ल 

36 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

हर साँस में आस है..

Ramakant Singh said...

खुबसूरत लाइन भावों से भरी संग्रहणीय कभी भी किसी सन्दर्भ में सुनाने योग्य मेल करने का कष्ट करें .

Anupama Tripathi said...

सार्थक संदेश ...
व बहुत सुंदर रचना ...!!
शुभकामनायें...

विभा रानी श्रीवास्तव said...

पर जो जीवन रहते , दीपक जैसा जलते हैं ,

वे अपने प्रकाश से , जग आलोकित करते हैं .... !!

बहुत खूब ! आज मुझे इन पंक्तियों की जरुरत थी .... !! आभार !

sangita said...

बहुत सुन्दर रचना है आपकी , जीवन के सार्थक नजरिये की ओर इंगित करती पोस्ट ,बधाई |

Unknown said...

jiwan jeene ka sahi tareekaa......

Unknown said...

jiwan jeene ka sahi tareekaa....

Anita said...

दीपक की तरह जल कर अपना प्रकाश देने वाले धन्य होते हैं..प्रेरक पंक्तियाँ !

मन्टू कुमार said...

शेष रहो,न रहो जग में,पर जब तक रहो जलो..
बहुत खूब,,,प्रेरणादायक कृति |

मेरा ब्लॉग आपके इंतजार में -
"मन के कोने से..."

S.N SHUKLA said...

Pravin pandey ji,
Ramakant singh ji,
आभार आपकी स्नेहमयी शुभकामनाओं का .

S.N SHUKLA said...

Anupama ji,
Vibha ji,
Sangita ji,

आपके इस स्नेह से अभिभूत हूँ.

S.N SHUKLA said...

Prarthana Gupta ji,

आपके उदारमना स्नेह का आभार.

S.N SHUKLA said...

Anita ji,
Mantu kumar ji,

रचना की प्रशंसा के लिए धन्यवाद.

Noopur said...

bohot hi khubsurti se itni gehri baat keh di...bohot sundar...

come and join the writers group...

http://www.facebook.com/groups/424971574219946/

S.N SHUKLA said...

aabhaar NOOPUR JI.

एहसास said...

anupam va adbhut rachna, aapki kaavy shailee kamal he saralta se sargarbhit baat kehna ek kavi ki kalam ki visheshta hoti he......saral or saras shabdon se aapne gyan prad baat keh di ....badahyee!

aise hi agar hidi sahity ki rasdhar bahe to nishchit hi aaj k yug me bhi yuvaon tak baat pahunche....aapko sadhuwaad!

Ehsaas.....

nilesh mathur said...

बेहतरीन रचना....

देवेन्द्र पाण्डेय said...

दीपक को यह भी तो सुनता है मगर जलता है...

कितने परवाने जले राज ये पाने के लिए
शमा जलने के लिए है या जलाने के लिए।

शमा की गोद में जलते हुए परवाने ने कहा
क्यूँ जला करती है तू मुझको जलाने के लिए।:)

...आभार।

कविता रावत said...

जब तक साँस तब तक आस..
बहुत सुन्दर रचना

आनन्द विक्रम त्रिपाठी said...

bahut sunder sir, aapki kavita jivan ke yatharth ke behad karib hai|saty yahi hai deepak ki tarah jalte rahana |"vikram" prishth par aane ke liye dhanyvad |

आनन्द विक्रम त्रिपाठी said...

bahut sunder sir, aapki kavita jivan ke yatharth ke behad karib hai|saty yahi hai deepak ki tarah jalte rahana |"vikram" prishth par aane ke liye dhanyvad |

shalini rastogi said...

अनवरत प्रयासरत रहने कि प्रेरणा देती सार्थक रचना !

अजय कुमार said...

Deep ke maadhyam se sundar sandesh

देवेन्द्र पाण्डेय said...

मेरा कमेंट स्पैम में तो नहीं चला गया?

कालीपद "प्रसाद" said...

शेष रहो,न रहो जग में,पर जब तक रहो जलो..
bahut prerna dayak hai. Badahi.
Kalipad "Prasad"

S.N SHUKLA said...

Ehsas ji,
Nilesh Mathur ji,
Devendra pandey ji,

स्नेह मिला . कृतार्थ हुआ,
आभारी हूँ इस स्नेह का .

S.N SHUKLA said...

KAVITA JI,

आभारी हूँ इस स्नेह का .

S.N SHUKLA said...

aNAND JI,
AJAY JI,

प्रसंशा के लिए धन्यवाद.

S.N SHUKLA said...

Shalini ji,

आपसे इसी स्नेह की हमेशा अपेक्षा रही है.

S.N SHUKLA said...

Kalipad prasad ji,
ब्लॉग पर पधारने और समर्थन का आभार.

ktheLeo (कुश शर्मा) said...

सुन्दर भाव हैं और शब्द चयन भी सुन्दर है! आभार!

Rakesh Kumar said...

शानदार प्रेरक प्रस्तुति.
उत्कृष्ट रचना के लिए आभार,शुक्ल जी.

अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com) said...

संघर्ष , त्याग और जीवन की सार्थकता को दीपक के माध्यम से बताता हुआ प्रेरक गीत.

S.N SHUKLA said...

Kthe Leo ji,
Rakesh ji,
आभार आपके स्नेह का .

S.N SHUKLA said...

Madan mohan saxena ji,
आभार आपके स्नेह और समर्थन का .

S.N SHUKLA said...

Arun nigam ji,

aapake sneh kaa bahut- bahut aabhaar.