जीवन ऐसे जियो , कि जैसे दीपक जीता है /
तब भी लड़ता , तेल पात्र जब होता रीता है /
भरा पात्र हो , दीपशिखा तब रहती तनी खड़ी ,
कीट - पतंगों की भी , उस पर रहती लगी झड़ी /
झप - झप करते आते वे , लेकिन जब टकराते ,
कहाँ तेज सह पाते , पंख जलाते , मर जाते /
पवन वेग भी , उसे बुझाने का प्रयत्न करता ,
पर दीपक आख़िरी साँस तक , उससे भी लड़ता /
तैल पात्र जब रीत रहा होता , तब भी दीपक ,
अंतिम बूँद निचुड़ने तक लड़ता रहता अनथक /
यह तो निश्चित है , ऊर्जा के शेष न रहने पर ,
जाना होगा सबको तजकर , यह शरीर नश्वर /
पर जो जीवन रहते , दीपक जैसा जलते हैं ,
वे अपने प्रकाश से , जग आलोकित करते हैं /
इसीलिये कहता हूँ , बस दीपक की भाँति जलो ,
शेष रहो , न रहो जग में , पर जब तक रहो जलो /
- एस . एन . शुक्ल
तब भी लड़ता , तेल पात्र जब होता रीता है /
भरा पात्र हो , दीपशिखा तब रहती तनी खड़ी ,
कीट - पतंगों की भी , उस पर रहती लगी झड़ी /
झप - झप करते आते वे , लेकिन जब टकराते ,
कहाँ तेज सह पाते , पंख जलाते , मर जाते /
पवन वेग भी , उसे बुझाने का प्रयत्न करता ,
पर दीपक आख़िरी साँस तक , उससे भी लड़ता /
तैल पात्र जब रीत रहा होता , तब भी दीपक ,
अंतिम बूँद निचुड़ने तक लड़ता रहता अनथक /
यह तो निश्चित है , ऊर्जा के शेष न रहने पर ,
जाना होगा सबको तजकर , यह शरीर नश्वर /
पर जो जीवन रहते , दीपक जैसा जलते हैं ,
वे अपने प्रकाश से , जग आलोकित करते हैं /
इसीलिये कहता हूँ , बस दीपक की भाँति जलो ,
शेष रहो , न रहो जग में , पर जब तक रहो जलो /
- एस . एन . शुक्ल
36 comments:
हर साँस में आस है..
खुबसूरत लाइन भावों से भरी संग्रहणीय कभी भी किसी सन्दर्भ में सुनाने योग्य मेल करने का कष्ट करें .
सार्थक संदेश ...
व बहुत सुंदर रचना ...!!
शुभकामनायें...
पर जो जीवन रहते , दीपक जैसा जलते हैं ,
वे अपने प्रकाश से , जग आलोकित करते हैं .... !!
बहुत खूब ! आज मुझे इन पंक्तियों की जरुरत थी .... !! आभार !
बहुत सुन्दर रचना है आपकी , जीवन के सार्थक नजरिये की ओर इंगित करती पोस्ट ,बधाई |
jiwan jeene ka sahi tareekaa......
jiwan jeene ka sahi tareekaa....
दीपक की तरह जल कर अपना प्रकाश देने वाले धन्य होते हैं..प्रेरक पंक्तियाँ !
शेष रहो,न रहो जग में,पर जब तक रहो जलो..
बहुत खूब,,,प्रेरणादायक कृति |
मेरा ब्लॉग आपके इंतजार में -
"मन के कोने से..."
Pravin pandey ji,
Ramakant singh ji,
आभार आपकी स्नेहमयी शुभकामनाओं का .
Anupama ji,
Vibha ji,
Sangita ji,
आपके इस स्नेह से अभिभूत हूँ.
Prarthana Gupta ji,
आपके उदारमना स्नेह का आभार.
Anita ji,
Mantu kumar ji,
रचना की प्रशंसा के लिए धन्यवाद.
bohot hi khubsurti se itni gehri baat keh di...bohot sundar...
come and join the writers group...
http://www.facebook.com/groups/424971574219946/
aabhaar NOOPUR JI.
anupam va adbhut rachna, aapki kaavy shailee kamal he saralta se sargarbhit baat kehna ek kavi ki kalam ki visheshta hoti he......saral or saras shabdon se aapne gyan prad baat keh di ....badahyee!
aise hi agar hidi sahity ki rasdhar bahe to nishchit hi aaj k yug me bhi yuvaon tak baat pahunche....aapko sadhuwaad!
Ehsaas.....
बेहतरीन रचना....
दीपक को यह भी तो सुनता है मगर जलता है...
कितने परवाने जले राज ये पाने के लिए
शमा जलने के लिए है या जलाने के लिए।
शमा की गोद में जलते हुए परवाने ने कहा
क्यूँ जला करती है तू मुझको जलाने के लिए।:)
...आभार।
जब तक साँस तब तक आस..
बहुत सुन्दर रचना
bahut sunder sir, aapki kavita jivan ke yatharth ke behad karib hai|saty yahi hai deepak ki tarah jalte rahana |"vikram" prishth par aane ke liye dhanyvad |
bahut sunder sir, aapki kavita jivan ke yatharth ke behad karib hai|saty yahi hai deepak ki tarah jalte rahana |"vikram" prishth par aane ke liye dhanyvad |
अनवरत प्रयासरत रहने कि प्रेरणा देती सार्थक रचना !
Deep ke maadhyam se sundar sandesh
मेरा कमेंट स्पैम में तो नहीं चला गया?
शेष रहो,न रहो जग में,पर जब तक रहो जलो..
bahut prerna dayak hai. Badahi.
Kalipad "Prasad"
Ehsas ji,
Nilesh Mathur ji,
Devendra pandey ji,
स्नेह मिला . कृतार्थ हुआ,
आभारी हूँ इस स्नेह का .
KAVITA JI,
आभारी हूँ इस स्नेह का .
aNAND JI,
AJAY JI,
प्रसंशा के लिए धन्यवाद.
Shalini ji,
आपसे इसी स्नेह की हमेशा अपेक्षा रही है.
Kalipad prasad ji,
ब्लॉग पर पधारने और समर्थन का आभार.
सुन्दर भाव हैं और शब्द चयन भी सुन्दर है! आभार!
शानदार प्रेरक प्रस्तुति.
उत्कृष्ट रचना के लिए आभार,शुक्ल जी.
संघर्ष , त्याग और जीवन की सार्थकता को दीपक के माध्यम से बताता हुआ प्रेरक गीत.
Kthe Leo ji,
Rakesh ji,
आभार आपके स्नेह का .
Madan mohan saxena ji,
आभार आपके स्नेह और समर्थन का .
Arun nigam ji,
aapake sneh kaa bahut- bahut aabhaar.
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