जो आसमान पे है उस खुदा का खौफ क्या ,
खुद को खुदा समझने वाले आदमी से डर /
गैरों में कमी खोज रहा , खुद से बेखबर ,
नासेह तू नहीं है , खुद अपनी कमी से डर /
दोजख - बहिश्त दोनों , तखैयुल की चीज हैं ,
तू जिस जमी की गोद में है , उस जमी से डर /
हिटलर , मुसोलिनी -ओ - सिकंदर चले गए ,
शाह -ए - जहान तू भी नहीं , परचमी से डर /
मत कर गुरूर ऐसा ज़माल -ओ -ज़लाल पर ,
किसका गुमां रहा है , इसलिए हमीं से डर /
- एस . एन . शुक्ल
नासेह = उपदेशक
तखैयुल = कल्पना
परचमी = पताका फहराना
हमी = अहंकार
खुद को खुदा समझने वाले आदमी से डर /
गैरों में कमी खोज रहा , खुद से बेखबर ,
नासेह तू नहीं है , खुद अपनी कमी से डर /
दोजख - बहिश्त दोनों , तखैयुल की चीज हैं ,
तू जिस जमी की गोद में है , उस जमी से डर /
हिटलर , मुसोलिनी -ओ - सिकंदर चले गए ,
शाह -ए - जहान तू भी नहीं , परचमी से डर /
मत कर गुरूर ऐसा ज़माल -ओ -ज़लाल पर ,
किसका गुमां रहा है , इसलिए हमीं से डर /
- एस . एन . शुक्ल
नासेह = उपदेशक
तखैयुल = कल्पना
परचमी = पताका फहराना
हमी = अहंकार
26 comments:
जीवन्त विचारों की बहुत सुन्दर रचना !
sahi hai khud ke ahankaar se jyada darna chahiye ....
मत कर गुरूर ऐसा ज़माल -ओ -ज़लाल पर ,
किसका गुमां रहा है , इसलिए हमीं से डर,,,,
वाह ,,, क्या बात है सुंदर प्रस्तुति,,,,शुक्ल जी,,,
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ.
RECENT POST...: जिन्दगी,,,,..
गैरों में कमी खोज रहा , खुद से बेखबर
नासेह तू नहीं है , खुद अपनी कमी से डर
बहुत सुंदर पंक्तियाँ...
khubsurat baaten khubsurati se kahi kahi gai .
all lines are memorable
अपनों से डरना सीखें, सपनों से डरना सीखें..
शानदार गजल...
हर शेर बेहतरीन और अंतर्मंथन योग्य..
शुभकामनाये:-)
Dr. Sharad singh ji,
Dr. Nisha ji,
स्नेह मिला, बहुत- बहुत आभार .
Bhavna ji,
आभार आपके स्नेह का.
Dheerendra ji,
Anita ji,
Ramakant singh ji,
आप मित्रों का बहुत - बहुत आभार.
Pravin pandey ji,
Reena Maurya ji,
आपकी शुभकामनाएं मिलीं, आभारी हूँ.
bahut sundar rachna hai..... sach ko is tarah samksh lana bhi ek kala hai....
बहुत ही बेहतरीन और प्रभावपूर्ण रचना....
जन्माष्टमी पर्व की शुभकामनाएँ
मेरे ब्लॉग
जीवन विचार पर आपका हार्दिक स्वागत है।
bahut sundar prastuti...!
abhaar
खुद को खुदा समझने वाले आदमी से डर --- वाह क्या बात है ---एकदम जीवंत विचार
खुद को खुदा समझने वाले ज़रा आदमी से डर __वाह क्या बात है एकदम जिवंत विचार
खुद को खुदा समझने वाले आदमी से डर--वाह क्या बात है एक दम जिवंत सच
खुद को खुदा समझने वाले आदमी से डर
bahoot jabardast sir,,mujhe toh kahi kahi ghalib ki v chavi nazar aayi
खुद को खुदा समझने वाले आदमी से डर ---bahut khub alive truth
Akhilesh ji,
Shanti Garg ji,
आभार आपके स्नेहमय समर्थन का .
Manish Singh ji,
शुभकामनाओं का आभारी हूँ .
अवनी जी ,
एक ही रचना पर चार- चार टिप्पणियाँ , इस स्नेह का बहुत - बहुत आभार.
Rishav Verma ji,
शुभकामनाओं का आभारी हूँ .
दोजख - बहिश्त दोनों , तखैयुल की चीज हैं ,
तू जिस जमी की गोद में है , उस जमी से डर /
......प्रभावित तो पूरी रचना ने किया ,पर इन पंक्तियों ने तो कमाल ही कर दिया .... बहुत खूब !!!
Nivedita ji,
आभार आपकी सकारात्मक प्रतिक्रया का.
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