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Thursday, August 9, 2012

(161) आदमी से डर

जो आसमान पे है उस खुदा का खौफ क्या ,
खुद को खुदा समझने वाले आदमी से डर  /

गैरों में कमी खोज रहा , खुद से बेखबर ,
नासेह तू नहीं है , खुद अपनी कमी से डर /

दोजख - बहिश्त दोनों , तखैयुल की चीज हैं ,
तू जिस जमी की गोद में है , उस जमी से  डर /

हिटलर , मुसोलिनी -ओ - सिकंदर चले गए ,
शाह -ए - जहान तू भी नहीं , परचमी से डर /

मत कर गुरूर ऐसा ज़माल -ओ -ज़लाल पर ,
किसका गुमां रहा है , इसलिए हमीं से डर /
                               - एस . एन . शुक्ल

नासेह = उपदेशक
तखैयुल = कल्पना
परचमी = पताका फहराना
हमी = अहंकार 

26 comments:

Dr (Miss) Sharad Singh said...

जीवन्त विचारों की बहुत सुन्दर रचना !

Bhawna Kukreti said...

sahi hai khud ke ahankaar se jyada darna chahiye ....

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

मत कर गुरूर ऐसा ज़माल -ओ -ज़लाल पर ,
किसका गुमां रहा है , इसलिए हमीं से डर,,,,

वाह ,,, क्या बात है सुंदर प्रस्तुति,,,,शुक्ल जी,,,
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ.
RECENT POST...: जिन्दगी,,,,..

Anita said...

गैरों में कमी खोज रहा , खुद से बेखबर
नासेह तू नहीं है , खुद अपनी कमी से डर

बहुत सुंदर पंक्तियाँ...

Ramakant Singh said...

khubsurat baaten khubsurati se kahi kahi gai .
all lines are memorable

प्रवीण पाण्डेय said...

अपनों से डरना सीखें, सपनों से डरना सीखें..

मेरा मन पंछी सा said...

शानदार गजल...
हर शेर बेहतरीन और अंतर्मंथन योग्य..
शुभकामनाये:-)

S.N SHUKLA said...

Dr. Sharad singh ji,
Dr. Nisha ji,

स्नेह मिला, बहुत- बहुत आभार .

S.N SHUKLA said...

Bhavna ji,
आभार आपके स्नेह का.

S.N SHUKLA said...

Dheerendra ji,
Anita ji,
Ramakant singh ji,

आप मित्रों का बहुत - बहुत आभार.

S.N SHUKLA said...

Pravin pandey ji,
Reena Maurya ji,

आपकी शुभकामनाएं मिलीं, आभारी हूँ.

Akhilesh said...

bahut sundar rachna hai..... sach ko is tarah samksh lana bhi ek kala hai....

Shanti Garg said...

बहुत ही बेहतरीन और प्रभावपूर्ण रचना....
जन्माष्टमी पर्व की शुभकामनाएँ
मेरे ब्लॉग

जीवन विचार
पर आपका हार्दिक स्वागत है।

Jeevan Pushp said...

bahut sundar prastuti...!
abhaar

Anonymous said...

खुद को खुदा समझने वाले आदमी से डर --- वाह क्या बात है ---एकदम जीवंत विचार

Anonymous said...

खुद को खुदा समझने वाले ज़रा आदमी से डर __वाह क्या बात है एकदम जिवंत विचार

Anonymous said...

खुद को खुदा समझने वाले आदमी से डर--वाह क्या बात है एक दम जिवंत सच

Anonymous said...

खुद को खुदा समझने वाले आदमी से डर

RISHAV-VERMA......... said...

bahoot jabardast sir,,mujhe toh kahi kahi ghalib ki v chavi nazar aayi

Anonymous said...

खुद को खुदा समझने वाले आदमी से डर ---bahut khub alive truth

S.N SHUKLA said...

Akhilesh ji,
Shanti Garg ji,
आभार आपके स्नेहमय समर्थन का .

S.N SHUKLA said...

Manish Singh ji,

शुभकामनाओं का आभारी हूँ .

S.N SHUKLA said...

अवनी जी ,
एक ही रचना पर चार- चार टिप्पणियाँ , इस स्नेह का बहुत - बहुत आभार.

S.N SHUKLA said...

Rishav Verma ji,

शुभकामनाओं का आभारी हूँ .

निवेदिता श्रीवास्तव said...

दोजख - बहिश्त दोनों , तखैयुल की चीज हैं ,
तू जिस जमी की गोद में है , उस जमी से डर /

......प्रभावित तो पूरी रचना ने किया ,पर इन पंक्तियों ने तो कमाल ही कर दिया .... बहुत खूब !!!

S.N SHUKLA said...

Nivedita ji,
आभार आपकी सकारात्मक प्रतिक्रया का.