फिर से बदलाव का एक दौर चलाया जाए /
पहले इन्सान को इन्सान बनाया जाए /
चाँद - तारों पे पहुँचने लगा इन्सान मगर ,
आसमानों में भी उड़ने लगा इन्सान मगर ,
यार मतलब के सभी , झूठ के रिश्ते - नाते ,
भूलता जा रहा , इन्सान को इन्सान मगर ,
फिर से इन्सानियत का पाठ पढ़ाया जाए /
पहले इन्सान को इन्सान बनाया जाए /
पहले मुश्किल थी जिन्दगी , बहुत ही किल्लत थी ,
पहले रस्ते न थे , दूरी थी , मगर मिल्लत थी ,
पहले गम और खुशी , गैर की भी , अपनी थी ,
जिन्दगी तल्ख़ भले थी , मगर- न ज़िल्लत थी ,
आज के दौर ! किसे अपना बताया जाए /
पहले इन्सान को इन्सान बनाया जाए /
लूट हर ओर मची है , नीयत में खामी है,
आम इन्सान की किस्मत में ही नाकामी है,
अक्लमंदों को यहाँ ,खुश्क रोटियाँ मुश्किल ,
हरामखोर ! बड़े हैं , बड़ा हरामी है ,
हर गुनहगार को औकात में लाया जाए /
पहले इन्सान को इन्सान बनाया जाए /
पहले इन्सान को इन्सान बनाया जाए /
चाँद - तारों पे पहुँचने लगा इन्सान मगर ,
आसमानों में भी उड़ने लगा इन्सान मगर ,
यार मतलब के सभी , झूठ के रिश्ते - नाते ,
भूलता जा रहा , इन्सान को इन्सान मगर ,
फिर से इन्सानियत का पाठ पढ़ाया जाए /
पहले इन्सान को इन्सान बनाया जाए /
पहले मुश्किल थी जिन्दगी , बहुत ही किल्लत थी ,
पहले रस्ते न थे , दूरी थी , मगर मिल्लत थी ,
पहले गम और खुशी , गैर की भी , अपनी थी ,
जिन्दगी तल्ख़ भले थी , मगर- न ज़िल्लत थी ,
आज के दौर ! किसे अपना बताया जाए /
पहले इन्सान को इन्सान बनाया जाए /
लूट हर ओर मची है , नीयत में खामी है,
आम इन्सान की किस्मत में ही नाकामी है,
अक्लमंदों को यहाँ ,खुश्क रोटियाँ मुश्किल ,
हरामखोर ! बड़े हैं , बड़ा हरामी है ,
हर गुनहगार को औकात में लाया जाए /
पहले इन्सान को इन्सान बनाया जाए /
- S. N. Shukla
34 comments:
ये दृश्य हमारे विकास पर प्रश्नचिन्ह लगा देते हैं।
बहुत शानदार गीत है | बधाई |
प्रवीण पाण्डेय जी,
अमरनाथ मधुर जी,
आप मित्रों के स्नेह का आभारी हूँ, हमेशा देते रहें यह स्नेहाशीष .
insaan ko insaan banana bada mushkil hai...
gahan aur katu satya bhi ....
यथार्थवादी रचना !
बेहतरीन.....पढ़ कर बहुत अच्छा लगा.
बधाई.
Rashmi prabha ji,
Anupamaa j,
आपके स्नेह और शुभकामनाओं का आभारी हूँ ,धन्यवाद.
Anita ji,
Vidya ji,
आपने सराहा, हम आभारी हैं.
क्या जबरद्स्त बात कही है?
bahut hi vicharniy or bhavmayi rachana hai..
बहुत गहन सोच लिए सुन्दर अभिव्यक्ति...
आनंद आ गया इस सहज प्रवाह में....
शुभकामनायें स्वीकार करें !
Sandip panwar ji,
Reena Maurya ji,
Maheshwari kaneri ji,
आप शुभचिंतकों की शुभकामनाओं का आभारी हूँ,आगे भी देते रहें यह स्नेह.
चमकते भारत की हकीकत खोल देते है यह दृश्य ....
sach kaha aapne ...lekin ye path bahut mushkil hai padhaana.
डॉक्टर मोनिका शर्मा जी,
अनामिका जी,
अनुपमा जी,
आप सबके मधुर स्नेहाशीष का आभारी हूँ .
आपकी इस मुहिम, पहले इंसन को इंसान बनाया जए, वाकेई बहुत ज़रूरी और सार्थक मुहिम है। यह हो जाए तो बाक़ी के सारे मसले हल होने शुरु हो जाएंगे।
bahut sateek aur yatharth darshati kavita:)
वाह ..बेजोड़ भावाभिव्यक्ति...बधाई स्वीकारें
नीरज
मनोज कुमार जी,
उदय जी,
नीरज गोस्वामी जी,
आप मित्रों की शुभकामनाओं का बहुत- बहुत आभार , इस स्नेह और उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद.
सार्थक प्रस्तुति। मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है । आभार.।
'पहले इन्सान को इन्सान बनाया जाये ,
दास्ताँ बदलो ,
जिस्म इंसान के गोलियाँ बन गये'
उपरोक्त तीनों कवितायें पढ़ कर बहुत अच्छा लगा .
जिन विसंगतियों का उल्लेख आपने किया है ,वे हमें खोखला करे डाल रही हैं. मैंने पाया संपादक की सजग दृष्टि और कुशल अभिव्यक्ति ,जो जन -चेतना को उद्वेलित कर दे .
आपका अभिनन्दन !
सुंदर रचना , बधाई स्वीकारें
सुंदर रचना , बधाई स्वीकारें
प्रेम सरोवर जी ,
आपकी प्रसंशा का ह्रदय से आभारी हूँ.
प्रतिभा सक्सेना जी,
आपकी द्रष्टि और मेरी कविताओं के आकलन ने चाहे कुछ भी समझा हो किन्तु मैं स्वयं को अभी भी एक विद्यार्थी ही मानता हूँ. आप ने मुझे जो मान दिया उसका कृतज्ञ हूँ, धन्यवाद.
नित्यानंद ज्ञान जी,
आपके स्नेहाशीष का बहुत- बहुत आभार.
पहले इन्सान को इन्सान बनाया जाए /
बहुत सही कहा है जी आपने. आजकल इंसान चिराग लिए ढूंढो तो भी नहीं मिलते.
अजीब बात है कि इंसान कभी इंसान जैसा रहा ही नहीं।
प्रेरणा देता हुआ गीत।
रविन्द्र रवि जी,
महेंद्र वर्मा जी,
आप मित्रों ने सराहा , मेरा अपने शब्दों के प्रति विश्वास बढ़ा , देते रहें यह स्नेह.
सच कहा है ... जब तक आदमी आदमी बन के नहीं रहेगा ये दुनिया जीने लायक नहीं रह पायगी ...
गहरे पश्न उठा रही है रचना ...
इस रचना को पढ़ कर कुछ पंक्तियाँ याद आ गयीं
घरो पर नाम थे, नाम के आगे ओहदे थे
बहुत तलाश की, कोई आदमी न मिला.
Digambar Naswa ji,
Pranshu ji,
आपका स्नेह मिला, बहुत- बहुत आभार.
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