कौन हूँ मैं , जानता खुद भी नहीं, पर जानता हूँ ,
मैं जलधि के ज्वार सा, आवेग सा, आक्रोश सा हूँ /
मैं कृषक का, मैं श्रमिक का, मैं वणिक का, मैं लिपिक का ,
वृद्ध, बालक, नारि - नर , तरुणाइयों का जोश सा हूँ /
सूर्य का सा ताप हूँ मैं, धधकता ज्वालामुखी हूँ ,
मैं हलाहल , मैं गरल , जनवेदना का रोष सा हूँ /
मूक की आवाज हूँ मैं, आर्त की चीत्कार हूँ मैं,
जो गगन को भेद दे , उस घोष उस उद्घोष सा हूँ /
और अंतिम छोर वाले आदमी की वेदना का ,
क्रोध हूँ, आवेश हूँ, संवेदना का कोष सा हूँ /
मैं विवादी हूँ, प्रलापक हूँ , ये हैं आरोप मुझ पर,
नाम कुछ भी दे कोई, कवि ह्रदय का आक्रोश सा हूँ /
12 comments:
न जाने कितना कुछ मुझमें, मैं न जाने कितनों में...
aapki rachnao se aapke shbd kosh ka sashakt bhandar dekhne ko milta hai.
prashansneey.
नाम कुछ भी दें ............यह आक्रोश बना रहना चाहिए अच्छी रचना आभार
ऐसा आक्रोश होना भी चाहिए ..तभी लेखनी सार्थक होती है
तिम छोर वाले आदमी की वेदना का ,क्रोध हूँ, आवेश हूँ, संवेदना का कोष सा हूँ /
मैं विवादी हूँ, प्रलापक हूँ , ये हैं आरोप मुझ पर,नाम कुछ भी दे कोई, कवि ह्रदय का आक्रोश सा हूँ / sampoornta hun - kabhi is roop me, kabhi us roop me
यथार्थपरक रचना.... हार्दिक बधाई...
PRAVIN PANDEY JI,
Anamika ji,
Sunil kumar ji
bahut- bahut dhanyawaad aapake sneh kaa.
Sangita ji,
Rashmi ji,
Dr. Sharad ji
aapke nirantar protsaahan ka aabharee hoon, dhanyawad .
मैं विवादी हूँ, प्रलापक हूँ , ये हैं आरोप मुझ पर,
नाम कुछ भी दे कोई, कवि ह्रदय का आक्रोश सा हूँ /
क्या खूब... बढ़िया रचना...
सादर...
सार्थक विचार.. हार्दिक बधाई...
S.M.Habeeb ji,
Roop Chandra Shaastri ji,
Rajendra ji,
Maheshwari Kaneri ji
आपका हार्दिक आभार , स्नेह और समर्थन के लिए धन्यवाद .
Dr.Shastri ji
charcha manch men sthaan dene ke liye aabhar.dhanywad.
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