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Saturday, September 24, 2011

(101) मैं ही आधार हूँ

मैं स्रजन, मैं अगन , मैं धरा , मैं गगन,
मैं प्रकृति , मैं नियति, मैं ही सहकार हूँ /
मैं प्रभा, मैं किरन, मैं विरल, मैं सघन ,
सूर्य  की रश्मियों  का ,  मैं  साकार हूँ  /

मैं समय, मैं अवधि ,वारि मैं , मैं जलधि ,
मैं ही ,  नद - नद्य  का  लेता  आकार  हूँ /
क्रोध मैं , मैं  विनय , घ्राण मैं, मैं ह्रदय ,
पञ्च  भूतों  में ,  मैं  सृष्टि  साकार  हूँ /

मैं जगत , जीव , जड़ और चैतन्य में ,
ईर्ष्या - द्वेष   मैं   प्यार - मनुहार हूँ  /
यज्ञ मैं , विज्ञ मैं  , ज्ञान - विज्ञान मैं,
तत्त्व , दर्शन भी मैं , शब्द ओंकार हूँ /

सारे साधन मेरे , एक मैं साध्य हूँ  ,
सृष्टि साकार में,  मैं  निराकार हूँ  /
मेरा कुछ नाम दे, एक कर्ता हूँ मैं ,
मैं ही कर्तव्य हूँ , मैं ही अधिकार हूँ /

धर्म की आड़ ले , बाटते जो मुझे ,
वे गुनहगार हैं, धूर्त - मक्कार हैं/
मैं ही मंदिर हूँ, मस्जिद , शिवाला भी मैं ,
मैं गिरिजाघरों का भी आधार हूँ  /



19 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

सबका धर्मों का एक ही आधार है।

Anupama Tripathi said...

सुंदर विचार ....अद्भुत रचना ....!!
गजेन्द्र मोक्ष ...गा कर तर जाते हैं हम सब ...
हे गोविन्द हे गोपाल ...अब तो जीवन हारे ...

रविकर said...

मैं जगत , जीव , जड़ और चैतन्य में ,ईर्ष्या - द्वेष मैं प्यार - मनुहार हूँ /यज्ञ मैं , विज्ञ मैं , ज्ञान - विज्ञान मैं,तत्त्व , दर्शन भी मैं , शब्द ओंकार हूँ /

सुन्दर प्रस्तुति पर बधाई ||

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

सर्वशक्तिमान ईश्वर ... बहुत सुन्दर रचना .

संजय भास्‍कर said...

एक खूबसूरत दृश्य एवम ध्वनि बिम्ब !
सार्थक कविता ! बधाई !

Kailash Sharma said...

बहुत सारगर्भित ओर विचारणीय अभिव्यक्ति...बहुत सुन्दर

अनामिका की सदायें ...... said...

ek dam sateek abhivyakti.

sahaskt shab sanyojan me guthi jabardast kriti.

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') said...

आनद दायक रचना...
सादर आभार...

S.N SHUKLA said...

Pravin Pandey ji,
Anupama ji,
Ravikar ji,
Sangita ji


बहुत-बहुत आभार आप मित्रों की सकारात्मक टिप्पणियों का , यह स्नेह सदैव स्नेहइसी तरह मिलता रहे, यही अपेक्षा है .

S.N SHUKLA said...

Sanjay Bhasker ji,
Kailash C Sharma ji,
Anamika ji,
S. M. Habeeb ji

आप मित्रों और शुभचिंतकों का स्नेह पाकर अभिभूत हूँ , आभार,धन्यवाद

महेन्‍द्र वर्मा said...

वाह, अद्भुत कृति है यह।
निराकार के आकार को शब्दों में ढाल दिया है आपने।
बहुत अच्छी लगी यह रचना।

Sunil Kumar said...

क्या बात है, आज भक्तिरस की रचना सुंदर अतिसुन्दर ..

mridula pradhan said...

bahot sunder likha hai......

virendra said...

vah srijan divya jab vrihm shuchi drishti men .

vishwa men vyaapt prabhu roop kul srishti men

aadarneey sri shukl ji
viraat vrihm ke vichaar men yathaarth men vardanaateet shabdaawali badhaayee

Maheshwari kaneri said...

भक्तिरस की सुंदर रचना..बहुत अच्छी लगी.आभार

रश्मि प्रभा... said...

सुन्दर प्रस्तुति ... बधाई

S.N SHUKLA said...

Mahendra varma ji,
Sunil kumar ji,
Mridula ji,

.
आप शुभचिंतकों के स्नेह का बहुत- बहुत आभार .

S.N SHUKLA said...

PRIY virendra
आपका हार्दिक आभार , स्नेह और समर्थन के लिए धन्यवाद .
.

S.N SHUKLA said...

Maheshwari kaneri ji,
Rashmi prabha ji

सकारात्मक प्रतिक्रियाओं का आभारी हूँ.