फिर बुलावा आ रहा है
देश का इतिहास ,
फिर खुद को स्वयं दुहरा रहा है /
फिर खुद को स्वयं दुहरा रहा है /
और हर एक शख्स-
दीवानों के जैसा ,
एक तिहत्तर वर्ष के बूढ़े के पीछे-
और उसके पक्ष में
सडकों पे बांधे मुट्ठियाँ लहरा रहा है /
बच्चों, बूढ़ों ,नौजवानों में-
अजब आक्रोश सा है /
और नारी वर्ग में भी-
कुछ गजब का जोश सा है /
कांपती , कमजोर सी आवाज में-
बूढ़ा वो सच कहने लगा है /
और उस सच की धमक से -
देश की सरकार का मजबूत सा दिखता किला-
ढहने लगा है /
फिर वही छत्तीस बरस पहले घटी -
जैसी कहानी /
फिर वही आक्रोश-
युवकों में वही दिखती रवानी /
और फिर सरकार का वैसा ही हठ,
जैसा कि तब था /
फिर वही सच को दबाने की-
नयी पुरजोर साजिश,
फिर कुतर्कों की वही-
सरकार की झूठी कहानी /
बादशा का हर चहेता -
सच से फिर कतरा रहा है /
देश का इतिहासफिर खुद को स्वयं दुहरा रहा है /
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उस समय भी -
एक बूढ़े ने ही कड़वा सच कहा था /
आज फिर से -
एक बूढ़ा ही वो सच दुहरा रहा है /
झूठ की बुनियाद , तब भी थी हिली -
फिर हिल रही है /
झूठ को फिर से चुनौती -
सत्यता से मिल रही है /
और सत्ता के वे प्यादे -
जो मलाई खा रहे हैं /
झूठ को ही सच बताकर -
सत्य को झुठला रहे हैं /
तर्क देते हैं वे -
बहसी और विवादी है ये बूढ़ा /
नित नए तूफाँ-
खड़े करने का आदी है ये बूढ़ा /
यह है जादूगर -
न इसके जाल में फंसना- फंसाना /
स्वार्थी है यह -
न इसके व्यर्थ बहकावे में आना /
लाठियां दिखला रहे हैं-
घुड़कियाँ भी दे रहे हैं /
वर्दियों का रौब दिखला-
धमकियाँ भी दे रहे हैं /
किन्तु यह आक्रोश जो -
सड़कों पे मुखरित हो रहा है /
लाख बाड़ों और बांधों से -
कहाँ अब थम रहा है /
हर नए दिन, भीड़ का -
सैलाब बढ़ता जा रहा है /
देश का इतिहास
फिर खुद को स्वयं दुहरा रहा है /
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काश ! इन अंधों व बहरों में -
तनिक सद्ज्ञान होता /
स्वार्थ के अतिरिक्त भी कुछ है-
तनिक संज्ञान होता /
काश ! वे पाते समझ -
इन्सान को, इन्सानियत को /
काश ! वे ढाते न -
जेरो- जुल्म को , हैवानियत को /
काश ! वे इस देश के प्रति -
तनिक सा हमदर्द होते /
काश ! वे इन्सान होते-
काश ! वे भी मर्द होते /
सामना करते वे सच का-
मिनमिनाते स्वर न होते /
काश ! जन-गण की व्यथा वे समझते -
कायर न होते /
तो भला क्यों -
एक बूढ़ा आदमी यूँ बौखलाता /
क्यों भला वह देश भर में -
चेतना की लौ जगाता /
आइये हम सब -
समर्थन में जुटें , सबको जुटाएं /
बदगुमानों , बदजुबानों से-
वतन अपना बचाएं /
देश जागो, लोक जागो,
नव सवेरा हो रहा है /
देश का इतिहास
फिर खुद को स्वयं दुहरा रहा है /
22 comments:
आपने एकदम सही कहा है।
सच को प्रतिबिम्बित करती बेहतरीन रचना...
झूठ को फिर से चुनौती -
सत्यता से मिल रही है /
और सत्ता के वे प्यादे -
जो मलाई खा रहे हैं /
झूठ को ही सच बताकर -
सत्य को झुठला रहे हैं /
bahut kuchh satya ko प्रकट करती प्रस्तुति badhai .
दिनकर की कविताई सा ओज है आपकी इस कविता में.
निराला की कविताई सी बेबाकी है आपकी इस कविता में.
एस. एन शुक्ला की कविताई सा नयापन और समय को सही-सही प्रस्तुत करने की हिम्मत है इस रचना में..
आपको साधुवाद और हमें इसे अपने संकलन में रखने को बाध्य हैं...
सुन्दर और सटीक अभिव्यक्ति....
और उस सच की धमक से -
देश की सरकार का मजबूत सा दिखता किला-
ढहने लगा
सार्थक आह्वान ... अच्छी और ओज पूर्ण रचना
अच्छी रचना के लिए बधाई तथा शुभकामनाएं !
प्रेरक और सार्थक सन्देश देती बहुत सुन्दर और ओजस्वी अभिव्यक्ति...
aaj ke is ahwan me nayi jaan fook dene wali abhivyakti bahut rang dikha rahi hai...
bahut samay pahle bhi
kuchh lekhniyo se
aag barsi thi...
kuchh dilo ke
shole bhabhke the..
ek nayi kranti aayi thi...
aaj aapki lekhni fir vahi....
han.....
fir vahi.....
aag ugal rahi hai...
vahi do dhari
talwar chal rahi hai...
sach kaha aapne
aaj fir...
munadi baj rahi hai........!!
फिर कुतर्कों की वही-
सरकार की झूठी कहानी /
बादशा का हर चहेता -
सच से फिर कतरा रहा है /
देश का इतिहास
फिर खुद को स्वयं दुहरा रहा है /
जबरदस्त रचना...
तीनों कालों को अपने में समाहित किये हुए...
सादर बधाईयाँ...
मौजूदा हालात पर ....सटीक रचना .
sandeep panwar ji
Dr. Sharad ji
Shalini ji
Pratul vashishth ji
आपके ब्लॉग पर आगमन तथा समर्थन का आभारी हूँ.
sangeeta ji
Maheshwari Kaneri ji
Kailash c sharma ji
Sharad ji
आपके स्नेह समर्थन का बहुत- बहुत आभार.
S. M. Habeeb ji
Anamika ji
Devesh Pratap ji
आपके समर्थन का आभारी हूँ.
I support Anna.
इतिहास स्वयं को दुहराता है।
Bahut badhiya lalkara hai aapne!
युद्ध भ्रष्टाचार से है सत्य हो रण यन्त्र कविता
.नष्ट भ्रष्टाचार करने के लिए हो मंत्र कविता .
श्रद्धेय शुक्ल जी अनन्य अनुकरणीय कविता सृजन अनवरत शाश्वत हो यही कामना है .
bahut sundar....
saadar
बहुत ही ओजस्वी रचना और खरी भी ।
Kunwar Kusumesh ji,
Pravin Pandey ji,
K Shama ji
ब्लॉग पर आगमन, और सकारात्मक प्रतिक्रिया के लिए आभारी हूँ ,
Virendra ji,
Kumar ji,
Asha jogalekar ji
उत्साहवर्धन और सकारात्मक प्रतिक्रिया के लिए आभारी हूँ , धन्यवाद
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