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Friday, August 12, 2011

( 92 ) चेहरे हैं मक्कारों के

सड़कें नाम हुईं कारों के, फुटपाथें बाज़ारों के
जंगल वे जंगल विभाग के, जोत-खेत सरकारों के
दफ्तर, अफसर - बाबू घेरे, जहां दलाली आम हुई
पुलिस सड़क पर करे वसूली, थाने थानेदारों के .

नदियाँ , तीरथ , घाट पुजाऊ पंडों की जागीर हुए 
मंदिर-मंदिर जमें पुजारी, दोनों हाथों लूट रहे 
बस भाड़े में जेब कट रही, रिश्ते-नाते दूर हुए
जो कुछ बाकी बचा, छिपाते नज़रों से बटमारों के.

राजनीति में काबिज गुंडे, सरकारों में बैठे चोर
शासन में भी हेरा-फेरी करने वालों का ही जोर
अस्पताल दल्लों के हाथों, डॉक्टर चांदी काट रहे
भरी आदालत वादी लुटते, मौज-मजे बदकारों के.

धरना, रैली और प्रदर्शन पर लाठी की मार पड़े 
टुकुर-टुकर हम ताकें यह सब, चौराहे पर खड़े -खड़े 
बोलो मालिक कहाँ जायं अब, किससे हम फ़रियाद करें 
जिधर उठाकर नज़रें देखो , चेहरे हैं मक्कारों के.


28 comments:

SANDEEP PANWAR said...

आज तो सच बाहर आ गया है

कविता के रुप में।

सच-सच-सच-सच-सच-सच सौ प्रतिशत सच

प्रवीण पाण्डेय said...

अत्यन्त संवेदनशील और प्रभावी कविता। सब बाँट रखा है, दुख के अतिरिक्त।

Kailash Sharma said...

बहत सटीक और सारगर्भित प्रस्तुति..बहुत प्रभावपूर्ण अभिव्यक्ति..

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

कटु सत्य कहती अच्छी रचना ..

S.N SHUKLA said...

संदीप पंवार जी ,
प्रवीण पाण्डेय जी ,
कैलाश शर्मा जी ,एवं
संगीता जी
आप सभी अनन्य शुभचिंतकों का मेरी रचना को समर्थन का ह्रदय से आभारी हूँ /

Sonit Bopche said...

atyant savedansheel kavita....bahut sundar...

कविता रावत said...

sach mein aaj ke yahi sachai hai, jise dekh man bahut dukhuta hai..
badiya prastuti ke liye aabhar!

Kunwar Kusumesh said...

आपने तो वर्तमान हालात की तस्वीर खींच दी.बहुत खूब.

हरकीरत ' हीर' said...

धरना, रैली और प्रदर्शन पर लाठी की मार पड़े टुकुर-टुकर हम ताकें यह सब, चौराहे पर खड़े -खड़े बोलो मालिक कहाँ जायं अब, किससे हम फ़रियाद करें जिधर उठाकर नज़रें देखो , चेहरे हैं मक्कारों के....

जो कुछ हुआ सच-मुच बहुत ही दुखदायी था ....
आपने भावों को शब्द दिए हैं .....

नीचे देखा आप क्षणिकायें भी लिखते हैं
तो भेजिए न सरस्वती-सुमन पत्रिका के लिए
जो क्षणिका विशेषांक है ...
अपनी १०,१२ क्षणिकायें अपने संक्षिप्त परिचय और तस्वीर के साथ .....

harkirathaqeer@gmail.com

S.N SHUKLA said...

Sonit Bopche ji,
Kavita Rawat ji,
Kunwar Kusumesh ji,
Harkeerat "Heer" ji

आप सब शुभचिंतकों का मेरे ब्लॉग पर आने और सकारात्मक प्रतिक्रियाएं व्यक्त करने का बहुत आभारी हूँ , धन्यवाद

दिगम्बर नासवा said...

आज के सच को शब्दों का माध्यम दे दिया है आपने ... शाशाक्त लाजवाब रचना है ..

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' said...

"राजनीति में काबिज गुंडे, सरकारों में बैठे चोरशासन में भी हेरा-फेरी करने वालों का ही जोरअस्पताल दल्लों के हाथों, डॉक्टर चांदी काट रहेभरी आदालत वादी लुटते, मौज-मजे बदकारों के."
लाजवाब रचना......

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') said...

जबरदस्त प्रहार है.... सच्ची अभिव्यक्ति...
सादर....

S.N SHUKLA said...

दिगंबर नासवा जी
प्रसन्न बदन चतुर्वेदी जी
एस . एम्. हबीब जी
आप मित्रों की सकारात्मक प्रतिक्रियाओं के लिए आभार,धन्यवाद

डॉ. मोनिका शर्मा said...

Aaj ke haalat ka steek Rekhankan.... Bahut umda rachna

Surendra shukla" Bhramar"5 said...

प्रिय यस यन शुक्ल जी आप सब को ढेर सारी शुभकामनाएं इस पावन पर्व रक्षाबंधन पर -

भ्रमर५

Dr Varsha Singh said...

यथार्थपरक रचना.... हार्दिक बधाई।

Dr Varsha Singh said...

यथार्थपरक रचना.... हार्दिक बधाई।

Asha Lata Saxena said...

सुन्दर अभिव्यकि
आशा

S.N SHUKLA said...

Dr. Monika Sharma ji,
Surendra Shukla ji,
Dr. Varsha Singh ji,
Asha ji
आप सभी शुभचिंतकों का मेरे ब्लॉग पर आने और मेरी रचना को समर्थन देने का बहुत- बहुत आभार . भारतीय स्वाधीनता दिवस की शुभकामनाएं .

Dr (Miss) Sharad Singh said...

सुन्दर यथार्थवादी रचना...

रचना दीक्षित said...

जबरदस्त प्रभावी प्रस्तुति.

स्वतंत्रता दिवस और रक्षाबंधन की आपको बहुत बहुत शुभकामनायें.

Surendra shukla" Bhramar"5 said...

प्रिय शुक्ल जी बहुत ही अच्छा दर्पण दिखाया आप ने मक्क्कारों का -ट्रेन के सफर से दफ्तर-थाना -कोर्ट कचहरी-राशन जहाँ भी नजर दौडाइए दलाल मक्कार भ्रष्टाचारी और उनके ऊपर के भ्रष्ट अधिकारी जो उनको संरक्षण दिए -
आप सब को भी स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभ कामनाएं
धन्यवाद आप का
भ्रमर५

S.N SHUKLA said...

Dr. Sharad Singh ji,
Rachana Dixit ji,
Surendra Shukla ji
मेरे ब्लॉग पर आगमन तथा मेरे विचारों को समर्थन प्रदान करने का आभार.
भारतीय . स्वाधीनता दिवस की ढेर सारी शुभकामनाएं .

महेन्‍द्र वर्मा said...

यह केवल कविता नहीं है, वर्तमान का आदमकद चित्र है।

Maheshwari kaneri said...

बहुत ही संवेदनशील और प्रभाव शाली कविता।
सार्थक प्रस्तुति...

S.N SHUKLA said...

Mahendra Verma ji,
Maheshwari Kaneri ji
मेरे ब्लॉग पर आने और मेरे विचारों को समर्थन प्रदान करने का धन्यवाद .
स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

Anonymous said...

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