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Sunday, August 14, 2011

(93) आप क्या करेंगे जगदीश्वर ?

पति शब्द पर पुरुष का एकाधिकार समाप्त 
अब महिला भी हो सकती है पति
आश्चर्य क्यों?
देखिये ! भारत की राष्ट्रपति महिला हैं.
देश के संविधान में-
सबको समान अधिकार प्राप्त है.
भाषा, भूषा और लिंग का भेद पूरी तरह समाप्त है.
बात यहीं तक सीमित नहीं,
अब महिला भी बन सकती है पति .
और पुरुष बन सकता है पत्नी.
यह हम नहीं अदालत कहती है.
जहां प्रकृति नियंता ईश्वर की आत्मा रहती है?
अब देश के कानून में-
समलैंगिक यौन संबंधों के खिलाफ कोई धारा नहीं है.
आप लाख भारतीय संस्कृति की दुहाई दें-
लेकिन आपके पास इसे रोक पाने का कोई चारा नहीं है.
हाँ ऐसे संबंधों में आपसी सहमति अनिवार्य है.
फिर क़ानून को भी ऐसा रिश्ता स्वीकार्य है.
पहले केवल औरत जनती थी बच्चा 
लेकिन अब पुरुष भी ऐसा कर रहे हैं.
वे अपनी कोख में पाल, बच्चा जन रहे हैं.
पुरुष, पुरुष के साथ विवाह करने लगे  हैं
और महिलाएं, महिलाओं के साथ
हे प्रकृति नियंता!
दुनिया ने आपके बनाए कानून बदल डाले
अब आदमी खुद अपना नियंता बन गया है.
अब वह खुद बन रहा है ईश्वर.
फिर आप क्या करेंगे जगदीश्वर?

38 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

मुस्करायेंगे, वह भी धीरे से, हमेशा की तरह।

Shikha Kaushik said...

bhagvan ko kya karna hai ? narad ji bhi -narayan -narayan karne prithvi par aana chhod denge .

Suresh Kumar said...

श्री एस.एन.शुक्ल जी आपने अपनी रचना में एकदम कटुसत्य लिखा है....वाकई अब तो ऐसी स्थिति हो गयी है कि जगदीश्वर भी कुछ नही कर सकता...
स्वाधीनता दिवस की ढ़ेर सारी बधाईयाँ....

S.N SHUKLA said...

शिखा कौशिक जी,
सुरेश कुमार जी
आप शुभचिंतकों का बहुत- बहुत आभार , स्वाधीनता दिवस की शुभकामनाएं

डॉ. मोनिका शर्मा said...

प्रभावित करती अभिव्यक्ति........

Dr (Miss) Sharad Singh said...

स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं.

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

मैंने तो सुना है की ईश्वर की मर्ज़ी के बिना पत्ता तक नहीं हिलता ...इसमें भी उनकी ही मर्ज़ी शामिल होगी ... थोड़ा ब्रेक तो ईश्वर को भी चाहिए न ... पिकनिक पर जायेंगे जगदीश्वर ..

कटु सत्य को बहुत सटीक शैली में लिखा है ..अच्छी प्रस्तुति


स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनायें और बधाई

केवल राम said...

फिर भी उनके आगे किसी का वश नहीं इंसान चाहे जो कुछ भी कर ले .....आखिर जगदीश्वर की ही चलेगी ....सम्यक भावों से ओतप्रोत रचना अपनी सार्थकता सिद्ध करती है .....!

Yashwant R. B. Mathur said...

स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!
HAPPY INDEPENDENCE DAY!

Anonymous said...

स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

Dorothy said...

स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें...
सादर,
डोरोथी.

Kunwar Kusumesh said...

स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई और शुभकामनायें.

S.N SHUKLA said...

डॉक्टर मोनिका शर्मा जी,
डॉक्टर शरद सिंह जी,
संगीता स्वरुप जी,
केवल राम जी
मेरे ब्लॉग पर आप शुभचिंतकों के आगमन और मेरे शब्दों को समर्थन प्रदान करने का धन्यवाद , स्वाधीनता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

S.N SHUKLA said...

यशवंत माथुर जी,
राकेश कौशिक जी,
डोरोथी जी,
कुंवर कुशुमेश जी
मेरे ब्लॉग पर आप शुभचिंतकों के आगमन और मेरे विचारों को समर्थन देकर मेरा उत्साह बढ़ाने का आभार , स्वाधीनता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

अनामिका की सदायें ...... said...

jagdeeshwar to jagdeeshwar hain...kuchh to karenge hi...vo muskura kar kah rahe hain...beshak aadmi niyanta ban jaye...khush ho le...par aage aage dekh beta...hota hai kya?????
:):)

bahut sateek samkalik post.

aabhar.

mere is blog par bhi aap ka abhinandan hai.

http://anamka.blogspot.com/2011/08/15.html

जयकृष्ण राय तुषार said...

बहुत ही सुंदर पोस्ट बधाई और शुभकामनाएं शुक्ला जी

नीरज गोस्वामी said...

सही सवाल उठाया है आपने इश्वर से...बहुत अच्छी रचना

नीरज

Surendra shukla" Bhramar"5 said...

प्रिय शुक्ल जी गजब का प्रश्न आप का प्रवीण पाण्डेय जी ने जैसा कहा मुस्कुराएंगे या हम कहते हैं हाथ मलते आँखें फाड़ देखते रह जायेंगे लेकिन देखिये जान ये लोग कब डाल पायेंगे ??
जय हिंद
भ्रमर ५

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

उसकी माया वो ही जाने!
--
स्वतन्त्रता दिवस के पावन अवसर पर बधाई और हार्दिक शुभकामनाएँ।

संजय भास्‍कर said...

बहुत सटीक लिखा है
वाह बेहतरीन !!!!
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं….!

जय हिंद जय भारत
******************

Satish Saxena said...

देखिये ...क्या कर पायेंगे कलयुग में या प्रवीण भाई के अनुसार मुस्करा कर रह जायेंगे !
शुभकामनायें !

Maheshwari kaneri said...

सुन्दर , प्रभावित करती रचना...

yogesh dhyani said...

achchi kavita shukla ji

Unknown said...

thnx!!blog par aane ka...
kuch aur likha hai...
mere mann ki baat par...

prkarti ka hum bhi ek hissa hain aur kisi ke virudh jana...vinash ka sanket hai....
ishwar hamari maansikta par aur apni rachna par dukhi honge...

Maheshwari kaneri said...

कटु सत्य को बहुत सटीक शैली में लिखा है ..अच्छी प्रस्तुति ....

babanpandey said...

शायद जग्दिस्वर अपने को ठगा महसूस कर रहा हो ...उम्दा सोच

अरुण चन्द्र रॉय said...

प्रभावित करती अभिव्यक्ति........

अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com) said...

देख तेरे संसार की हालत,क्या हो गई भगवान.
वैज्ञानिक उपलब्धियों के अहंकार में मनुष्य प्रकृति के विरुद्ध चलते हुये विनश की ओर अग्रसर हो रहा है.सार्थक अभिव्यक्ति.

Palak.p said...

बहुत ही सुंदर पोस्ट बधाई और शुभकामनाएं

Kailash Sharma said...

आज हम ईश्वर को करने के लिए कुछ छोडने के लिए तैयार कहाँ हैं. बहुत सटीक और सारगर्भित प्रस्तुति..

पूनम श्रीवास्तव said...

aadarniy sir
bahut hi sundarta ke saath aapne samyik prasang uthaya hai isme koi bhi sandeh nahi hai .sach ,aaj samaaj me yahi ti sab ho raha hai .insaan khud hi niyanta ban gaya hai ti iswar kya karenge/
bahut hi yatharth v sateek chiyran khincha hai aapnr aaj ke samay ka
bahut hi prashanshniy post
harik badhai v naman
poonam

Anupama Tripathi said...

कल-शनिवार 20 अगस्त 2011 को आपकी किसी पोस्ट की चर्चा नयी-पुरानी हलचल पर है |कृपया अवश्य पधारें.आभार.

AJAY KUMAR TIWARI said...

mnushya ne jab jab iswar ke niyamo ko chunauti di hai use kisi na kisi roop me vinash ka samna karna padta hai.atah iswar k niyamo ko chunauti dena thik nahi.
sarthak abhivyakti k liye dhanyavaad.

S.N SHUKLA said...

Anamika ji
J. K. Tushar ji
Neeraj Goswami ji
Surendra Shukla ji
Shashtri ji

आपके स्नेह समर्थन का बहुत- बहुत आभार.

S.N SHUKLA said...

sanjai ji
Satish saxena ji
Kaneri ji
Yogesh ji
Prathama ji
आपके ब्लॉग पर आगमन तथा समर्थन का आभारी हूँ.

S.N SHUKLA said...

Babban pandey ji
Arun chandra roy ji
Arun Nigam ji
Palak ji
Kailash sharma ji
Anupama ji
आभारी हूँ.
आपके स्नेह समर्थन का

Anonymous said...

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Anonymous said...

Бета-версия была выпущена в Швеции, Дании, Норвегии и Финляндии 20 октября 2005 года[4]. Финальная версия вышла в Германии 10 ноября 2005 года[5], но при помощи сайта Opera Mini, браузер появился во всех странах в декабре того же года. Официальный релиз браузера во всём мире состоялся 24 января 2006 года[6]. http://newminiopera.ru/ Опера для LG Скачать opera mini для LG