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Wednesday, October 10, 2012

(170) वह दिया हूँ , कभी जो जला ही नहीं।

तेल  बाती  से  परिपूर्ण  हूँ , मुग्ध  हूँ ,
प्रज्ज्वलन की मिली पर कला ही नहीं।
वे  दमकते  रहे ,  मैं  तमस  से  घिरा ,
वह  दिया  हूँ ,  कभी जो जला ही नहीं।

सैकड़ों सांझ ले आस जीता रहा ,
कोई स्पर्श दे , थपथपाये मुझे ,
मेरी बाती को भी, कोई निज ज्योति से ,
जोड़ , स्पन्दित कर जगाये मुझे ,
पर वो हतभाग्य हूँ मैं, कि जिसका कभी ,
कोई जादू किसी पर चला ही नहीं।
वे  दमकते  रहे ,  मैं  तमस  से  घिरा ,
वह  दिया  हूँ ,  कभी जो जला ही नहीं।

मैं छुआ जब गया , तो ललकने लगा,
नेह नैनों से बाहर छलकने लगा।
मैं भी मानिन्द उनकी प्रभा दूंगा अब ,
सोच मन , बालमन सा किलकने लगा।
पर वही ढाक के पात बस तीन से ,
वह विटप हूँ , कभी जो फला ही नहीं।
 वे  दमकते  रहे ,  मैं  तमस  से  घिरा ,
वह  दिया  हूँ ,  कभी जो जला ही नहीं।

दर्द इसका नहीं, मैं जला क्यों नहीं,
दर्द यह है , तमस से लड़ा क्यों नहीं,
जब अँधेरे रहे फ़ैल थे हर तरफ ,
तो उन्हें रोकने , मैं बढ़ा क्यों नहीं।
हिम सदृश शांत , विभ्रांत प्रश्तर बना,
उस तपन में भी किंचित गला क्यों नहीं।
 वे  दमकते  रहे ,  मैं  तमस  से  घिरा ,
वह  दिया  हूँ ,  कभी जो जला ही नहीं।
                           - एस .एन .शुक्ल 

14 comments:

Madan Mohan Saxena said...

जीवंत भावनाएं.सुन्दर चित्रांकन,बहुत खूब
बेह्तरीन अभिव्यक्ति

ANULATA RAJ NAIR said...

बहुत सुन्दर रचना....

सादर
अनु

Saras said...

वाह ...एक आह सी लगी आपकी कविता ....मर्मस्पर्शी !!!!

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत सुन्दर प्रस्तुति!

shalini rastogi said...

हृदय स्पर्शी रचना .... बहुत सुन्दर!

प्रवीण पाण्डेय said...

जितना ही सही, जलना पड़ेगा,
अँधेरे से अब तो लड़ना पड़ेगा।

Aditi Poonam said...

बहुत सुंदर भाव-भीनी कविता -कोई अव्यक्त सा दर्द लिए हुए

Rajiv said...

Vaah kya khoob kahi aapane.

दर्द इसका नहीं, मैं जला क्यों नहीं,
दर्द यह है , तमस से लड़ा क्यों नहीं,
जब अँधेरे रहे फ़ैल थे हर तरफ ,
तो उन्हें रोकने , मैं बढ़ा क्यों नहीं।

Unknown said...

Madan moha saxena ji,
आपके ब्लॉग पर आगमन और शुभकामनाओं का आभारी हूँ,

Unknown said...

Anu ji,
Saras ji,

इस स्नेह और समर्थन का बहुत- बहुत आभार.

Unknown said...

Roopchand Shastri ji,
Shalini ji,

आपका समर्थन पाकर सार्थक हुआ सृजन.

Unknown said...

Pravin pandey ji,

आप से इसी स्नेह की अपेक्षा थी.

Unknown said...

Aditi Poonam ji,
Rajiv ji,

स्नेह मिला आभार.

शारदा अरोरा said...

bahut sundar abhivykti...