राह बनाते रहिये
या ढलें वक़्त के सांचों में, हवा संग बहिये /
या लड़ें वक़्त से , इतिहास रचाते रहिये /
या चलें देख किसी और के पैरों के निशाँ ,
या निशाँ वक़्त के , सीने पे बनाते रहिये /
या जियें खुद के लिए , खुद की परस्ती के लिए ,
या जियें सबके लिए , प्यार लुटाते रहिये /
या रहें तन के खड़े , खुश्क पहाड़ों की तरह ,
या बहें बर्फ सा गल , प्यास बुझाते रहिये /
हर कोई तुमको सराहे , ये ज़रूरी तो नहीं ,
सबकी सुनिए भी , मगर अपनी चलाते रहिये /
फैसला सोच-समझकर लें , न पछताना फिर ,
जियें गुमनाम , या कि नाम कमाते रहिये /
या रहें रोते मुकद्दर को , हाथ रख सिर पे ,
या चलें राह नयी , राह बनाते रहिये /
- एस . एन . शुक्ल
30 comments:
दार्शिक भाव, बहुत सुन्दर रचना है.
बहुत खूब.....
सादर
अनु
बात बढ़िया बोलते हो, पसंद आती है हमको.
इसी तरह हर बात, सलीके से कहते रहिये.
--- कासिम रज़ा (मेरे साथी)
या रहें रोते मुकद्दर को , हाथ रख सिर पे ,
या चलें राह नयी , राह बनाते रहिये /
bahut sundar likhaa hai..
shubhakamnaayen....
कदमों के निशान ढूढते आपके राहों पर चल पड़े हम ......beautiful lines
फैसला सोच-समझकर लें , न पछताना फिर ,
जियें गुमनाम , या कि नाम कमाते रहिये /
बेहतरीन अभिव्यक्ति सुंदर रचना,,,,,,
RECENT POST,,,इन्तजार,,,
अर्थ पूर्ण अश आर आपके ,भाव अभिव्यंजना बे -मिसाल .
sundar bhaav aur sateek shabd chayan...
bahut bahut badhaai
sundar sandesh ......bhaav aur shabd chayan dono hi khoobsoorat...
aabhaar
सकारात्मक सोच के लिए प्रेरित करती संदेशप्रद रचना, बधाई.
वाह ! जो खुश रहने की ठान ही ले वह तो हर हाल में खुश है..
हर कोई तुमको सराहे , ये ज़रूरी तो नहीं ,
सबकी सुनिए भी , मगर अपनी चलाते रहिये
बहुत सुन्दर एवं मर्मस्पर्शी रचना ....
नाम तो आये पर बदनाम न हो जाये..
सुंदर भाव ...
शुभकामनाएँ!
बहुत ही सुन्दर व प्रेरणादायक प्रस्तुति!
जियें गुमनाम , या कि नाम कमाते रहिये - great lines.. keep writing..
बहुत ही बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति....
रक्षाबंधन पर्व की हार्दिक अग्रिम शुभकामनाएँ!!
इंडिया दर्पण पर भी पधारेँ।
Purushottam pandey ji,
Anu ji,
Pratul vashisht ji
आप मित्रों की शुभकामनाओं का बहुत- बहुत आभार .
Ravikar ji,
Anupama ji,
स्नेह milaa , आभार
Ramakant singh ji,
Dheerendra ji,
VEERUBHAI,
आप मित्रों की शुभकामनाओं का
आभारी हूँ .
ANJANI KUMAR JI,
ZENNI JI,
ANITA JI,
आपके स्नेह का आभारी हूँ .
Sharad ji,
Pravin pandey ji,
स्नेह milaa , आभार
Ashok Saluja ji,
Shalini ji,
आभार is स्नेह का .
Sniel ji,
indian darpan ji,
आपकी शुभकामनाओं का आभारी हूँ .
या जियें खुद के लिए , खुद की परस्ती के लिए ,
या जियें सबके लिए , प्यार लुटाते रहिये /
या रहें तन के खड़े , खुश्क पहाड़ों की तरह ,
या बहें बर्फ सा गल , प्यास बुझाते रहिये /
बहुत सुंदर विचार हैं शुक्ल जी
ऐसी रचना और ऐसे परिष्कृत विचारों के लिये बधाई स्वीकार करें
मेरे ब्लॉग को पढ़ने के लिये धन्यवाद
सहज व सरल तरीके से अच्छी बातों की बात की गई है कविता में ।
Ismat Zaidi ji,
Girija Kulashreth ji,
आपके ब्लॉग पर आगमन और शुभकामनाओं के लिए धन्यवाद .
Shikha ji,
शुभकामनाओं के लिए धन्यवाद .
atyuttam kavita blog.....mujhe bahut pasand aai aapki ye rachna
Abhinn Ji,
आपके ब्लॉग पर आगमन और शुभकामनाओं का बहुत- बहुत आभार .
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