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Thursday, July 26, 2012

(159) राह बनाते रहिये

               राह बनाते रहिये


या ढलें वक़्त के सांचों में, हवा संग बहिये  /
या लड़ें वक़्त से  , इतिहास  रचाते  रहिये  /

या चलें देख किसी और के पैरों के निशाँ  ,
या निशाँ वक़्त के , सीने पे बनाते रहिये  /

या जियें खुद के लिए , खुद की परस्ती के लिए ,
या  जियें  सबके  लिए  ,  प्यार  लुटाते  रहिये  /

या रहें तन के खड़े , खुश्क पहाड़ों की तरह  ,
या बहें बर्फ सा गल ,  प्यास बुझाते रहिये  /


हर कोई  तुमको  सराहे , ये  ज़रूरी  तो  नहीं  ,
सबकी सुनिए भी , मगर अपनी चलाते रहिये /

फैसला सोच-समझकर लें , न पछताना फिर ,
जियें गुमनाम ,  या कि  नाम कमाते रहिये  /

                             
या रहें रोते मुकद्दर को , हाथ रख सिर पे  ,
या चलें  राह  नयी ,  राह  बनाते  रहिये  /
     
                            - एस . एन . शुक्ल

30 comments:

पुरुषोत्तम पाण्डेय said...

दार्शिक भाव, बहुत सुन्दर रचना है.

ANULATA RAJ NAIR said...

बहुत खूब.....

सादर
अनु

प्रतुल वशिष्ठ said...

बात बढ़िया बोलते हो, पसंद आती है हमको.
इसी तरह हर बात, सलीके से कहते रहिये.

--- कासिम रज़ा (मेरे साथी)

Anupama Tripathi said...

या रहें रोते मुकद्दर को , हाथ रख सिर पे ,
या चलें राह नयी , राह बनाते रहिये /

bahut sundar likhaa hai..
shubhakamnaayen....

Ramakant Singh said...

कदमों के निशान ढूढते आपके राहों पर चल पड़े हम ......beautiful lines

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

फैसला सोच-समझकर लें , न पछताना फिर ,
जियें गुमनाम , या कि नाम कमाते रहिये /

बेहतरीन अभिव्यक्ति सुंदर रचना,,,,,,

RECENT POST,,,इन्तजार,,,

virendra sharma said...

अर्थ पूर्ण अश आर आपके ,भाव अभिव्यंजना बे -मिसाल .

Anjani Kumar said...

sundar bhaav aur sateek shabd chayan...
bahut bahut badhaai

Anjani Kumar said...

sundar sandesh ......bhaav aur shabd chayan dono hi khoobsoorat...
aabhaar

डॉ. जेन्नी शबनम said...

सकारात्मक सोच के लिए प्रेरित करती संदेशप्रद रचना, बधाई.

Anita said...

वाह ! जो खुश रहने की ठान ही ले वह तो हर हाल में खुश है..

Dr (Miss) Sharad Singh said...

हर कोई तुमको सराहे , ये ज़रूरी तो नहीं ,
सबकी सुनिए भी , मगर अपनी चलाते रहिये

बहुत सुन्दर एवं मर्मस्पर्शी रचना ....

प्रवीण पाण्डेय said...

नाम तो आये पर बदनाम न हो जाये..

अशोक सलूजा said...

सुंदर भाव ...
शुभकामनाएँ!

shalini rastogi said...

बहुत ही सुन्दर व प्रेरणादायक प्रस्तुति!

Sniel Shekhar said...

जियें गुमनाम , या कि नाम कमाते रहिये - great lines.. keep writing..

India Darpan said...

बहुत ही बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति....
रक्षाबंधन पर्व की हार्दिक अग्रिम शुभकामनाएँ!!


इंडिया दर्पण
पर भी पधारेँ।

S.N SHUKLA said...

Purushottam pandey ji,
Anu ji,
Pratul vashisht ji
आप मित्रों की शुभकामनाओं का बहुत- बहुत आभार .

S.N SHUKLA said...

Ravikar ji,
Anupama ji,

स्नेह milaa , आभार

S.N SHUKLA said...

Ramakant singh ji,
Dheerendra ji,
VEERUBHAI,
आप मित्रों की शुभकामनाओं का
आभारी हूँ .

S.N SHUKLA said...

ANJANI KUMAR JI,
ZENNI JI,
ANITA JI,

आपके स्नेह का आभारी हूँ .

S.N SHUKLA said...

Sharad ji,
Pravin pandey ji,

स्नेह milaa , आभार

S.N SHUKLA said...

Ashok Saluja ji,
Shalini ji,

आभार is स्नेह का .

S.N SHUKLA said...

Sniel ji,
indian darpan ji,
आपकी शुभकामनाओं का आभारी हूँ .

इस्मत ज़ैदी said...

या जियें खुद के लिए , खुद की परस्ती के लिए ,
या जियें सबके लिए , प्यार लुटाते रहिये /

या रहें तन के खड़े , खुश्क पहाड़ों की तरह ,
या बहें बर्फ सा गल , प्यास बुझाते रहिये /

बहुत सुंदर विचार हैं शुक्ल जी
ऐसी रचना और ऐसे परिष्कृत विचारों के लिये बधाई स्वीकार करें
मेरे ब्लॉग को पढ़ने के लिये धन्यवाद

गिरिजा कुलश्रेष्ठ said...

सहज व सरल तरीके से अच्छी बातों की बात की गई है कविता में ।

S.N SHUKLA said...

Ismat Zaidi ji,
Girija Kulashreth ji,
आपके ब्लॉग पर आगमन और शुभकामनाओं के लिए धन्यवाद .

S.N SHUKLA said...

Shikha ji,
शुभकामनाओं के लिए धन्यवाद .

अभिन्न said...

atyuttam kavita blog.....mujhe bahut pasand aai aapki ye rachna

S.N SHUKLA said...

Abhinn Ji,

आपके ब्लॉग पर आगमन और शुभकामनाओं का बहुत- बहुत आभार .