तुम भागीरथ हो जो लाये, देव सरिता को धरा पर ,
भीष्म ! गंगा पुत्र हो तुम , मृत्यु भी जिसके रही कर ,
तुम वही, जिसने जलधि को अंजुली में भर पीया था ,
और तुम हनुमंत हो , भयभीत जिससे था दिवाकर /
तुम भरत हो , सिंह के जबड़ों में गिनते दाँत हो तुम ,
शेष के अवतार, हे सौमित्र ! रघुपति भ्रात हो तुम ,
कृष्ण हो तुम, तर्जनी पर तुम उठा लेते हो गिरिवर ,
शिवि हो तुम , पर प्राण रक्षा , दान करते गात हो तुम /
तुम हो प्रलयंकर , विनाशक सृष्टि रखते दृष्टि हो तुम ,
तुम हो विश्वामित्र , रच सकते नयी फिर सृष्टि हो तुम,
तुम हलाहल पान कर सकते हो , सारे विश्व भर का ,
और कर सकते अमिय की, सृष्टि हित में वृष्टि हो तुम /
तुम हो पाणिनि , विश्व गणना के दिए सिद्धांत तुमने ,
और जग को , उच्च आदर्शक दिए दृष्टांत तुमने ,
तुम महात्मा बुद्ध हो , चाणक्य हो , चार्वाक हो तुम ,
नीति क्या, अनरीति समझाया ये आद्योपांत तुमने /
मार्गदर्शक विश्व के तुम थे, विभव- वैभव को जानो ,
क्यों विवश से हो खड़े , फिर शब्दवेधी तीर तानो ,
हे जगद्गुरु ! विश्व को नेतृत्व तेरा चाहिए फिर ,
हे भरत , भारत उठो , सामर्थ्य अपनी शक्ति जानो /
- एस.एन शुक्ल
भीष्म ! गंगा पुत्र हो तुम , मृत्यु भी जिसके रही कर ,
तुम वही, जिसने जलधि को अंजुली में भर पीया था ,
और तुम हनुमंत हो , भयभीत जिससे था दिवाकर /
तुम भरत हो , सिंह के जबड़ों में गिनते दाँत हो तुम ,
शेष के अवतार, हे सौमित्र ! रघुपति भ्रात हो तुम ,
कृष्ण हो तुम, तर्जनी पर तुम उठा लेते हो गिरिवर ,
शिवि हो तुम , पर प्राण रक्षा , दान करते गात हो तुम /
तुम हो प्रलयंकर , विनाशक सृष्टि रखते दृष्टि हो तुम ,
तुम हो विश्वामित्र , रच सकते नयी फिर सृष्टि हो तुम,
तुम हलाहल पान कर सकते हो , सारे विश्व भर का ,
और कर सकते अमिय की, सृष्टि हित में वृष्टि हो तुम /
तुम हो पाणिनि , विश्व गणना के दिए सिद्धांत तुमने ,
और जग को , उच्च आदर्शक दिए दृष्टांत तुमने ,
तुम महात्मा बुद्ध हो , चाणक्य हो , चार्वाक हो तुम ,
नीति क्या, अनरीति समझाया ये आद्योपांत तुमने /
मार्गदर्शक विश्व के तुम थे, विभव- वैभव को जानो ,
क्यों विवश से हो खड़े , फिर शब्दवेधी तीर तानो ,
हे जगद्गुरु ! विश्व को नेतृत्व तेरा चाहिए फिर ,
हे भरत , भारत उठो , सामर्थ्य अपनी शक्ति जानो /
- एस.एन शुक्ल
33 comments:
बहुत शानदार रचना है.आज जब कवि गण अकविता में व्यस्त हैं आप काव्य के मानदंडों के अनुसार अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति करते आ रहे है.मैं आपकी रचनाओं का आनंद लेता हूँ. धन्यवाद.
हे भरत , भारत उठो , सामर्थ्य अपनी शक्ति जानो
बहुत बढ़िया पंक्तियाँ बेहतरीन अच्छी प्रस्तुति,.....
MY NEW POST...आज के नेता...
hamesa ki taraha bhaut hi sundar rachana...
bahut prabhawshali.......
बहुत अच्छी कविता..
kalamdaan.blogspot.in
हे जगद्गुरु ! विश्व को नेतृत्व तेरा चाहिए फिर ,
हे भरत , भारत उठो , सामर्थ्य अपनी शक्ति जानो बहुत प्रेरणात्मक पंक्तियाँ...आज वक्त आ गयाहै जब भारत को अपनी खोयी हुई पहचान पुनः हासिल करनी है.
बहुत सुंदर और प्रेरक प्रस्तुति..जरूरत है हमें अपनी ताकत पहचानने की..
bahut sundar aur sadhi hui sarthak rachna-badhai
बहुत ओज पूर्ण रचना ... सुंदर प्रस्तुति
बहुत सशक्त रचना...
बस ये पुकार सुन ले भारत...
सादर.
अलख जगाती रचना के लिए बधाई..
bahut sundar
very classic style of writing....concern of national development,is admirable .thanks ji
sarthak rachna .aabhar
विश्वास व उत्साह संचारित करती पंक्तियाँ..
"हे भरत, भारत उठो, सामर्थ्य अपनी शक्ति जानो"
वक्त की ज़रूरत.
रोम-रोम पुलकित हो गया भारत वैभव की गाथा पढ़कर। अविस्मरणीय भारत वन्दना।
अति उत्तम,सराहनीय उत्साह बढाती प्रस्तुति,सुंदर रचना,के लिए बधाई,..
NEW POST काव्यान्जलि ...: चिंगारी...
PURUSHOTTAM PANDEY JI,
DHEERENDRA JI,
कृतज्ञ हूँ आपके इस स्नेह का.
Sumukh Bansal ji,
आपके ब्लॉग पर पधारने और समर्थन प्रदान करने का धन्यवाद.
Mridula pradhan ji,
Ritu ji,
Anita ji,
यही स्नेह सदैव प्राप्त होता रहे, यही अपेक्षा है.
Kailash sharma ji,
GHOTOO JI,
आपकी शुभकामनाओं का बहुत - बहुत आभार.
SANGITA JI,
VIDYA JI,
AMRITA JI,
आपके द्वारा किये उत्साहवर्धन का
कृतज्ञ हूँ .
Asha Bisht ji,
Udayveer ji,
Shikha Kaushik ji,
आभार आपके ब्लॉग पर पधारने और समर्थन प्रदान करने का , धन्यवाद.
Pravin pandey ji,
KEWAK JOSHI JI,
Lokendra Singh ji,
आप मित्रों का स्नेहाशीष मिला आभारी हूँ.
वाह सुन्दर भाव और शसक्त शब्द विन्याश लिये प्र्भावी रचना! आभार!
सुन्दर ... अतिसुन्दर रचना है ... ओज़स्वी प्रवाह ...
प्रभावित करती कविता |
आशा
बहुत ही ओज पूर्ण रचना बधाई स्वीकार करें
सार्थक रचना...
सादर नमस्कार.
KTHELEO JI,
Digambar Naasawa ji,
आपका स्नेह मिला , आभार, धन्यवाद.
Asha Saxena ji,
Sunil ji,
आप मित्रों से इसी उत्साहवर्धन की अपेक्षा रही है.
इस प्रसंशा का आभारी हूँ.
Expression ( anaam Mitra)
आपकी स्नेहिल शुभकामनाओं का आभारी हूँ.
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