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Wednesday, February 15, 2012

(138) इन्सान कहाँ है ?

हिन्दू , ईसाई , सिख है , मुसलमान  यहाँ  है,
मैं  खोजता   रहा  हूँ  कि   इन्सान  कहाँ  है ?

मज़हब हैं , जातियाँ हैं, जातियों में जातियाँ,
इन जातियों में  आपकी  पहचान  कहाँ है ?

मंदिर  में वो कुछ और है , मस्जिद में कोई और ,
गुरुद्वारे ,  चर्च  और  है  ,  भगवान  कहाँ  है ?

पत्थर  तो  पुज  रहे हैं , आदमी  तड़प  रहा ,
इन्सान की इस कौम  का  ईमान  कहाँ  है ?

लीडर  बहुत  हैं , और बहुत  से  सियासी  दल,
हर चूल्हा अलग हांडी अलग किश्म के चावल,

बाजीगरों का खेल , सबकी अपनी डुगडुगी ,
इस डुगडुगी  में  एकता  की  तान  कहाँ है ?

सूबे के नाम पर, कहीं मज़हब के नाम पर ,
रुतबे,  रसूख  और  सियासत के नाम पर ,

नफ़रत की क्यारियाँ हैं , क्यारियों में नफरतें ,
वो देश पे  मिटने की ,  आन- बान कहाँ  है ?
                                - एस.एन . शुक्ल

34 comments:

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

सटीक प्रस्तुति ...इंसानियत रही ही नहीं है ...

vidya said...

सच है..न इंसान है..न भगवान है..न ईमान है...

बहुत सार्थक रचना सर..
सादर.

alka mishra said...

बहुत बेहतर कटाक्ष है

shikha varshney said...

ढूंढते रह जायेंगे....

मनोज कुमार said...

ढूंढ़े से नहीं मिलेगा।

प्रवीण पाण्डेय said...

सबको बाँट दिया मिलजुल कर,
अब मिलने की बाट जोहते..

स्वाति said...

sach kha insaan kha hai...bahut sundar rachna....

Atul Mohan Samdarshi said...

Sangita ji,
Vidya ji,
Alka ji,

आपकी स्नेहिल प्रतिक्रियाओं के लिए आभारी हूँ.

Atul Mohan Samdarshi said...

SHIKHA JI,
MANOJ JI,
आभार आपके स्नेह का.

Atul Mohan Samdarshi said...

Pravin pandey ji,
Swati ji,

स्नेह मिला, धन्यवाद.

Yashwant R. B. Mathur said...

बहुत ही बढ़िया सर!


सादर

पुरुषोत्तम पाण्डेय said...

बहुत अच्छी रचना है, वास्तव में आज हम लोगों में मानवीय गुणों और राष्ट्रीय भावना का अभाव हो गया है, सुन्दर शब्दों के चयन के लिए साधुवाद.

मुकेश कुमार सिन्हा said...

insaniyat ka janaja nikalta rahta hai...

mridula pradhan said...

har pangti sunder hai.....

पश्यंती शुक्ला. said...

बशीर बद्र का एक शेर है..आपकी लाइने पढकर याद आ गया..
घरों पर नाम थे नामों के साथ ओहदे थे
बहुत तलाश किया कोई आदमी न मिला
....

Anonymous said...

वाह..... वाह....बहुत ही उम्दा.....हैट्स ऑफ इसके लिए।

Dr.NISHA MAHARANA said...

नफ़रत की क्यारियाँ हैं , क्यारियों में नफरतें ,
वो देश पे मिटने की , आन- बान कहाँ है?सटीक प्रस्तुति.

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

बेहतरीन सुंदर सार्थक सटीक रचना,
बहुत अच्छी प्रस्तुति,

MY NEW POST ...कामयाबी...

Khare A said...

sarthak rachna!
badhai kabule\

Vandana Ramasingh said...

बढ़िया व्यंग्य

Anita said...

बाजीगरों का खेल , सबकी अपनी डुगडुगी ,
इस डुगडुगी में एकता की तान कहाँ है ?

सचमुच देश की चिंता किसे है सब अपनी अपनी ढपली बजा रहे हैं...

S.N SHUKLA said...

Sangita ji,
vidya ji,
आपकी शुभकामनाओं का आभारी हूँ.

S.N SHUKLA said...

Alka Saraswat ji,

ब्लॉग पर पधारने और शुभकामनाओं के लिए कृतज्ञ हूँ.

S.N SHUKLA said...

Shikha ji,
Manoj ji,
Pravin pandey ji,

आप मित्रों के स्नेह का ह्रदय से आभार, धन्यवाद.

S.N SHUKLA said...

SWATI JI,
ATUL JI,

आपका स्नेह मिला, आभार.

S.N SHUKLA said...

Yashawant ji,
Purushottam ji,

आप मित्रों की शुभकामनाओं का कृतग्य हूँ, धन्यवाद.

S.N SHUKLA said...

Mukesh ji,
Mridula ji,
स्नेह का आभारी हूँ.

S.N SHUKLA said...

Pashyanti shukla ji,
आपके ब्लॉग पर पधारने और स्नेह प्रदान करने का आभारी हूँ.

S.N SHUKLA said...

Imaran ji,
Nisha ji,
KHARE JI,

सकारात्मक टिप्पणी का आभारी हूँ.

S.N SHUKLA said...

Vandana ji,
Anita ji,

आप मित्रों की शुभकामनाओं का आभारी हूँ.

Naveen Mani Tripathi said...

Shukl ji sadar abhivadan .... aj ki bhatkavvadi sanskriti pr bahut hi teekaha prahar kiya hai .....bahut hi sundar prastuti ....badhai sweekaren.

S.N SHUKLA said...

Navin Mani Tripathi ji,
aabhaaree hoon aapakee shubhakamanaaon kaa.

rajendra sharma said...

achchi gajal

S.N SHUKLA said...

Rajendra Sharma ji,

शुभकामनाएं मिलीं आभारी हूँ इस स्नेह का.