पकड़ के बाहँ चलूँ मैं , ये ज़रूरी तो नहीं /
पुरानी राह चलूँ मैं , ये ज़रूरी तो नहीं /
तुम्हें जो ठीक लगे , शौक से करते रहिये ,
वही गुनाह करूँ मैं , ये ज़रूरी तो नहीं /
जो गुनहगार हैं , उनको सज़ा मिले तो मिले ,
बे-वजह आह भरूँ मैं , ये ज़रूरी तो नहीं /
बहुत से लोग , सिर झुका के चल रहे हैं यहाँ ,
उनका हमराह बनूँ मैं , ये ज़रूरी तो नहीं /
ये है मुमकिन , कि नयी राह में हों पेच-ओ-ख़म ,
खुद को गुमराह कहूँ मैं , ये ज़रूरी तो नहीं /
ज़िंदगी मेरी है , अपनी तरह जिया हूँ मैं ,
सबकी परवाह करूँ मैं , ये ज़रूरी तो नहीं /
- एस .एन .शुक्ल
33 comments:
बहुत ख़ूबसूरत गज़ल...
सही कहा आपने POST TO BAHUT SEE PADHTE HAIN HAM PAR SABHI PAR COMMENT KAREN YE ZAROORI TO NAHI. बहुत सुन्दर सार्थक प्रस्तुति आभार प्रतिभा जी -एक आदर्श
जरुरी बस इतना है कि आप अपने अंतरात्मा की सुनिए ...
बहुत ही सुंदर रचना !
सादर !
Kailash Sharma ji,
Shalini ji,
आभार आपकी शुभकामनाओं का .
पढ़ कर 'वाह' करूँ मैं, ये जरूरी तो नहीं.
लेखकीय 'डाह' करूँ मैं, ये जरूरी तो नहीं.
तुम्हें जो ठीक लगे, शौक से लिखते रहिये.
पाठकीय 'चाह' करूँ मैं, ये जरूरी तो नहीं.
जो कवि-शायर हैं, उनको मंच मिले ही मिले.
बे-वजह 'स्वाह' होऊँ, ये ज़रूरी तो नहीं.
बहुत से लोग, खामोश हो आते हैं यहाँ,
ख़ामोख्वाह निकल जाऊँ, ये ज़रूरी तो नहीं.
ये है मुमकिन, कि इस ग़ज़ल में हो बेहद दम,
खुद की भिड़ा के सराहूँ, ये ज़रूरी तो नहीं.
बेपरवाह होके तुम, कैसे जी सकते हो,
हर बार 'दाह' मरूँ मैं, ये ज़रूरी तो नहीं.
अपनी तरह से जिन्दगी जीने का नशा हो..
bahut - bahut sundar gajal..
bahut badhiya....
:-)
ज़िंदगी मेरी है,अपनी तरह जिया हूँ मैं
सबकी परवाह करूँ मैं,ये ज़रूरी तो नहीं,,,,,,,
बहुत सुंदर गजल,,,,
शुक्ला जी आप बहुत दिनों से पोस्ट पर नही आये,
आइये स्वागत है,,,,,,
RECENT POST काव्यान्जलि ...: आदर्शवादी नेता,
ज़िंदगी मेरी है , अपनी तरह जिया हूँ मैं ,
सबकी परवाह करूँ मैं , ये ज़रूरी तो नहीं
Bahut Sunder Panktiyan....
बहुत सुन्दर गज़ल सर....
बेहतरीन शेर कहे हैं..
सादर
अनु
Shivnath ji,
Pratul vashishth ji,
आप मित्रों से इसी स्नेह और समर्थन की हमेशा अपेक्षा है .
Pravin pandey ji,
Reena Maurya ji,
Dheerendra ji,
आभारी हूँ इस स्नेह का .
Dr. Monika sharma ji,
Anu ji,
स्नेह मिला , आभार.
बहुत सुंदर ....! लिखते रहिये ...
पर सब की वाह! मिले ये जरूरी तो नही ....
तुम्हें जो ठीक लगे, शौक से लिखते रहिये.
पाठकीय 'चाह' करूँ मैं, ये जरूरी तो नहीं.....wah shukla ji ...bahut badhiya kya bat hai....
खूबसूरत गज़ल ... जीने का अपना ही अंदाज़ होना चाहिए
पकड़ के बाहँ चलूँ मैं , ये ज़रूरी तो नहीं /
पुरानी राह चलूँ मैं , ये ज़रूरी तो नहीं /
बहुत सुन्दर ग़ज़ल...शुभकामनायें
जो गुनहगार हैं , उनको सज़ा मिले तो मिले ,
बे-वजह आह भरूँ मैं , ये ज़रूरी तो नहीं
Wow.. superb lines, keep writing. waiting for the next ones.
बिल्कुल सही है, हमें ज़िन्दगी अपनी शर्तों पर जीनी चाहिए।
sab mujhe sarahe ye jaruri to nahi
main is dar ke karm karna chhod du...ye jaruri to nahi....
कतई ज़रूरी नहीं! मर्ज़ी के मालिक रहिये!
खूबसूरत!
आशीष
--
इन लव विद.......डैथ!!!
लेकिन तारीफ करना जरूरी है। सचमुच सुंदर कविता है आपकी।
............
International Bloggers Conference!
मन को भा जाने वाली कविता।
............
International Bloggers Conference!
'जरुरी तो नहीं' .... वाह ! , बेहतरीन ग़ज़ल...
ekdam zaroori nahin.....
खूबसूरत ग़ज़ल...वाह-वाह...
तुम्हें जो ठीक लगे , शौक से करते रहिये ,
वही गुनाह करूँ मैं , ये ज़रूरी तो नहीं
ASHOK SALUJA JI,
Kamlesh verma ji,
बहुत- बहुत आभार .
Sandhya Sharma ji,
Sniel Shekhar ji,
Anamika ji,
आप मित्रों से इसी समर्थन की अपेक्षा रही है.
Ashish ji,
Arshiya Ali ji,
आपके ब्लॉग पर आगमन और स्नेह का आभारी हूँ.
Kewal joshi ji,
Mridula pradhan ji,
Vaanbhatt ji,
आप मित्रों से इसी समर्थन की अपेक्षा रही है.
बहुत- बहुत आभार .
Manoj ji,
Sangita ji,
aap mitron ka sadar aabhar.
खूबसूरत ग़ज़ल .....ख़ास तौर चौथा शेर बहुत प्यारा है
आभार
Anjani Kumar ji,
आभार आपके स्नेह और समर्थन का .
Post a Comment