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Friday, July 13, 2012

(156) हमें रोना नहीं आता

  वो बेशक हैं मुसलमां , सिख हैं , हिन्दू हैं , ईसाई हैं ,
 मगर हमको सिवा इन्सां के , कुछ होना नहीं आता /

 वो मालिक एकड़ों  के हैं ,  हमारी क्यारियाँ छोटी ,
 वजह ये है , कि हमको नफरतें बोना नहीं आता  /

वो चलती आँधियों को देखकर , मुह फेर लेते हैं ,
हमें गर तल्ख़  हो माहौल , तो सोना नहीं आता /

जिधर देखो वही काबिज, वही मालिक, वही हाकिम ,
हमारी  किश्मतों में , एक भी कोना नहीं आता /

तवंगर हैं , जमाने भर में उनकी खूब चलती है ,
हमें उन सा कोई जादू , कोई टोना नहीं आता /

हमारे और उनके बीच में बस फर्क इतना है ,
उन्हें हंसना नहीं आता , हमें रोना नहीं आता /

   
wow factor...bahut khoob shukl ji... keep writing.. on (156) हमें रोना नहीं आता
on 7/13/12
आभार,बहुत सार्थक व मन को छूने वाली गजल के लिए............ on (156) हमें रोना नहीं आता
on 7/11/12
हरेक पंक्तियाँ लाजवाब ..... सुंदर अभिव्यक्ति !! on (156) हमें रोना नहीं आता
on 7/11/12
बहुत खूब : निशब्द कर दिया आपके एहसासों ने .. वो मालिक एकड़ों के हैं , हमारी क्यारियाँ छोटी , वजह ये है , कि हमको नफरतें बोना नहीं आता|| शुभकामनाएँ! on (156) हमें रोना नहीं आता
on 7/11/12
वो मालिक एकड़ों के हैं , हमारी क्यारियाँ छोटी वजह ये है , कि हमको नफरतें बोना नहीं आता ..बहुत गहन अभिव्यक्ति..सुन्दर गज़ल..आभार on (156) हमें रोना नहीं आता
on 7/11/12
वो चलती आँधियों को देखकर , मुंह फेर लेते हैं हमें गर तल्ख़ हो माहौल तो , सोना नहीं आता . बहुत खूब। और आखिरी दो पँक्तियाँ तो और भी कमाल हैं। on (156) हमें रोना नहीं आता
on 7/11/12
वो चलती आँधियों को देखकर , मुंह फेर लेते हैं हमें गर तल्ख़ हो माहौल तो , सोना नहीं आता . सभी लाइन खुबसूरत हैं बस इस लाइन ने मन मोह लिया .. on (156) हमें रोना नहीं आता
on 7/10/12
on 7/10/12
बहुत सुन्दर...अगर आज भी हम अपनी इन खासियतों को बनाकर रख सकें ...तो इस बात पर केवल फक्र करना ही आता है ..... on (156) हमें रोना नहीं आता
on 7/10/12
वो मालिक एकड़ों के हैं , हमारी क्यारियाँ छोटी वजह ये है , कि हमको नफरतें बोना नहीं आता Waah...Behtreen Panktiyan.... on (156) हमें रोना नहीं आता
on 7/9/12
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति. मेरे ब्लॉग पर आपके आने का आभार,शुक्ल जी. on (156) हमें रोना नहीं आता
on 7/9/12
बहुत सुंदर शुक्ला जी । मेरे नए पोस्ट आपका इंतजार रहेगा। धन्यवाद। on (156) हमें रोना नहीं आता
on 7/9/12
हमारे और उनके बीच में , बस फर्क इतना है , उन्हें हँसना नहीं आता , हमें रोना नहीं आता इससे अच्छी और कोई दूसरी बात हो सकती है .... on (156) हमें रोना नहीं आता
on 7/9/12
हमारे और उनके बीच में , बस फर्क इतना है , उन्हें हँसना नहीं आता , हमें रोना नहीं आता बेहतरीन प्रस्तुति ,,,,, RECENT POST...: दोहे,,,, / on (156) हमें रोना नहीं आता
on 7/9/12
वो बेशक हैं मुसलमां , सिख हैं , हिन्दू हैं , ईसाई हैं , मगर हमको सिवा इन्सां के , कुछ होना नहीं आता वा...वाह...... वो मालिक एकड़ों के हैं , हमारी क्यारियाँ छोटी , वजह ये है , कि हमको नफरतें बोना नहीं आता बहुत खूब ......वाह ....!! वो चलती आँधियों को देखकर , मुह फेर लेते हैं , हमें गर तल्ख़ हो माहौल , तो सोना नहीं आता क्या बात है ...... जिधर देखो , वही काबिज, वही मालिक , वही हाकिम , हमारी किश्मतों में , एक भी कोना नहीं आता क्या बात है शुक्ल जी सभी शे'र एक से बढ़ कर एक ..... - on (156) हमें रोना नहीं आता
on 7/9/12
बहुत लाजबाब सुंदर गजल ,,,,,,,,आभार RECENT POST...: दोहे,,,, on (156) हमें रोना नहीं आता
on 7/9/12
हमारे और उनके बीच में , बस फर्क इतना है , उन्हें हँसना नहीं आता , हमें रोना नहीं आता...... बहुत सुंदर बेहतरीन गजल ....... RECENT POST...: दोहे,,,, on (156) हमें रोना नहीं आता
on 7/9/12
भाई शुक्ल जी एक से एक बेहतरीन शे’र से बनी इस रचना ने मन मोह लिया। खास कर दो शे’र को फिर से याद करना चाहूंगा - वो मालिक एकड़ों के हैं , हमारी क्यारियाँ छोटी वजह ये है , कि हमको नफरतें बोना नहीं आता हमारे और उनके बीच में , बस फर्क इतना है , उन्हें हँसना नहीं आता , हमें रोना नहीं आता on (156) हमें रोना नहीं आता
on 7/9/12
हमारे और उनके बीच में , बस फर्क इतना है , उन्हें हँसना नहीं आता , हमें रोना नहीं आता और यही फर्क सारी बात कह देता है..बहुत सुंदर ! on (156) हमें रोना नहीं आता
on 7/9/12
बड़ी गहरी गजलें.. on (156) हमें रोना नहीं आता
on 7/9/12
बहुत बढ़िया गज़ल शुक्ला जी.... बड़े दिनों बाद पढ़ने मिली आपकी रचना.... सादर अनु on (156) हमें रोना नहीं आता
   
                  -  एस .एन .शुक्ल 

11 comments:

ANULATA RAJ NAIR said...

बेहतरीन रचना............

सादर
अनु

प्रवीण पाण्डेय said...

बहुत ही अच्छी और सच्ची रचना।

S.N SHUKLA said...

S. SHEKHAR JI,
Bhuneshwari ji,
Shivnath ji,

आगे भी मिलता रहे यही स्नेह, यही अपेक्षा है.

S.N SHUKLA said...

Ashok Salooja ji,
Maheshwari kaneri ji,
Nirmala kapila ji,

आप मित्रों की शुभकामनाओं का आभारी हूँ.

S.N SHUKLA said...

Ramakant Singh ji,
Anamika ji,
Saras ji,

स्नेह मिला , बहुत - बहुत आभार.

S.N SHUKLA said...

Dr. Monika ji,
Rakesh ji,
Prem ji,

इस स्नेह की हमेशा अपेक्षा रहेगी

S.N SHUKLA said...

Vibha ji,
Dheerendra ji,
आभारी हूँ इस स्नेह का .

S.N SHUKLA said...

Harkirat Heer ji,
Manoj kumar ji,

आपकी स्नेहिल शुभकामनाएं मिलीं, आभारी हूँ.

S.N SHUKLA said...

Anita ji,
Pravin pandey ji,
EXPRESION JI,

आगे भी मिलता रहे यही स्नेह, यही अपेक्षा है.

Akhil said...

Wo kashtiyo k malik hai, ham khevaiya hi sahi,
par majhdhar me kashti dubona nahi aata...

Bahut hi sunder kavita hai..

Anonymous said...

क्या बात है- क्या बात है.....भई वाह
निरुत्तर, निशब्द कर दिया आपने......