शकर कैसे भला छोड़ेगी पीछा , और क्यों छोड़े ,
तुम्हीं थे जिसने कैथे और जामुन काट डाले हैं /
तुम्हीं कहते ज़हर फैला है चारों ओर नफ़रत का ,
तुम्हीं ने आस्तीनों में , विषैले नाग पाले हैं /
लबारों और मक्कारों को , कितनी बार परखोगे ,
ये तन से खूब उजले हैं , मगर अंदर से काले हैं /
वो छत्तीस लाख के सन्डास में , पेशाब करते हैं ,
यहाँ छब्बीस रुपये रोज की आमद भी लाले हैं /
ज़बानें लपलपाते भेड़िये हैं , ये दरिंदे हैं ,
ये आदमखोर हैं , मज़लूम ही इनके निवाले हैं /
उठाओ आँधियाँ , अब और रस्ता भी नहीं कोई ,
सभी बेपर्द कर डालो , जो शैतानों की चाले हैं /
- एस . एन . शुक्ल
तुम्हीं थे जिसने कैथे और जामुन काट डाले हैं /
तुम्हीं कहते ज़हर फैला है चारों ओर नफ़रत का ,
तुम्हीं ने आस्तीनों में , विषैले नाग पाले हैं /
लबारों और मक्कारों को , कितनी बार परखोगे ,
ये तन से खूब उजले हैं , मगर अंदर से काले हैं /
वो छत्तीस लाख के सन्डास में , पेशाब करते हैं ,
यहाँ छब्बीस रुपये रोज की आमद भी लाले हैं /
ज़बानें लपलपाते भेड़िये हैं , ये दरिंदे हैं ,
ये आदमखोर हैं , मज़लूम ही इनके निवाले हैं /
उठाओ आँधियाँ , अब और रस्ता भी नहीं कोई ,
सभी बेपर्द कर डालो , जो शैतानों की चाले हैं /
- एस . एन . शुक्ल
8 comments:
सशक्त और सार्थक प्रस्तुति!
सन्नाट कटाक्ष..
Bahut Badhiya Panktiyan...
जामुन और कैथ अब बीते जमाने की शै हो गए हैं...आज के युग की सच्चाई है नित नए रोग...यथार्थवादी कविता...
प्रिय शुक्ल जी ..करारा चांटा दागियों पर ..और मधुमेह की अच्छी दवा भी ..सुन्दर रचना ....जय श्री राधे
आभार -भ्रमर ५
भ्रमर का दर्द और दर्पण
Dr. Roopchandra shastri ji,
Pravin pandey ji ,
आभार आप मित्रों के स्नेह का .
Dr. Monika sharma ji,
Anita ji,
स्नेह और समर्थन मिला , आभार
Surendra shukla ji,
आपका समर्थन पाकर सार्थक हुयी रचना.
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