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Sunday, June 24, 2012

(154) वक्त का मारा समझता है

           वक्त का मारा समझता है


कोई नादां , कोई दाना , कोई प्यारा  समझता है ,
कोई भटका हुआ कहता है , आवारा समझता है  /

मेहरबां वक्त हो जिस पर , वो क्या समझे , वो क्या जाने ,
है  कैसा  वक्त  होता  ,  वक्त  का  मारा  समझता  है  /

नज़र का फेर है , जिस आँख पर जैसा लगा चश्मा  ,
उजाले  को  अंधेरा , चाँद  को  तारा  समझता  है  /

ये आदत  में  नहीं  है , इसलिए  निकले  नहीं  आँसू  ,
मगर कितनी तपिश है , दिल का अंगारा समझता है /

वो कहते हैं , कि  उनको नीद ही आती नहीं शब् भर ,
है मतलब नीद का क्या , यह थका - हारा समझता है /

जिसे होता है मतलब , सिर्फ अपनी खुदपरस्ती से ,
वो हर इन्सान को -  इन्सां नहीं , चारा समझता है  /

मुबारक हो तुम्हें दुनिया तुम्हारी , तंग दिल वालों ,
ये बंजारा तो ,  अपना  ही जहां  सारा समझता है  /

                                     - एस.एन. शुक्ल 

18 comments:

रचना दीक्षित said...

मुबारक हो

बहुत सुंदर गज़ल.

बधाई.

Rajesh Kumari said...

बहुत उत्कृष्ट ग़ज़ल काबिले तारीफ

Nityanand Gayen said...

बहुत सुंदर

Surendra shukla" Bhramar"5 said...

वो कहते हैं , कि उनको नीद ही आती नहीं शब् भर ,
है मतलब नीद का क्या , यह थका - हारा समझता है /

जिसे होता है मतलब , सिर्फ अपनी खुदपरस्ती से ,
वो हर इन्सान को - इन्सां नहीं , चारा समझता है /
प्रिय शुक्ल जी बहुत सुन्दर ...जिसके पाँव न फटी विवाई वो क्या दर्द समझता है ??
भ्रमर ५

प्रवीण पाण्डेय said...

बिन अनुभव नहिं होत सयाना..

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

जिसे होता है मतलब,सिर्फ अपनी खुदपरस्ती से ,
वो हर इन्सान को इन्सां नहीं, चारा समझता है

बधाई,,,,खुबशुरत गजल,,,,,,

शुक्ला जी,मै हर दम आपके पोस्ट आता हूँ,
किन्तु आप नही आते,,,आइये स्वागत है

RECENT POST,,,,,काव्यान्जलि ...: आश्वासन,,,,,

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

जिसे होता है मतलब,सिर्फ अपनी खुदपरस्ती से ,
वो हर इन्सान को इन्सां नहीं, चारा समझता है

बधाई,,,,खुबशुरत गजल,,,,,,

शुक्ला जी,मै हर दम आपके पोस्ट आता हूँ,
किन्तु आप नही आते,,,आइये स्वागत है

RECENT POST,,,,,काव्यान्जलि ...: आश्वासन,,,,,

मेरा मन पंछी सा said...

बहुत ही बेहतरीन और अर्थपूर्ण रचना...
बहुत बढ़िया..
:-)

Anjani Kumar said...

जिस पर गुजरे वो ही जाने... और न समझे कोय.....
खूब्सूरत रचना सर
आभार

Anonymous said...

बहुत शानदार अभिव्यक्ति .....
शुभकामनाये ....

ANULATA RAJ NAIR said...

वाह....
सुन्दर ..
बहुत सुन्दर गज़ल.......

सादर

अनु

लोकेन्द्र सिंह said...

shukla ji waah maja aa gya... bahut hi shandar

S.N SHUKLA said...

Rachana ji,
Rajesh kumari ji,
NITYANAND JI,
AAPAKE SNEH KAA AABHAAREE HOON.

S.N SHUKLA said...

Surendra shukla ji,
Pravin pandey ji,
Dheerendra ji,
aap mitron kee shubhakaamanaayen mileen , aabhaar.

S.N SHUKLA said...

Reena maurya ji,
Anjani kumar ji,
Karuna ji,
aap mitron kaa sneh, samarthan paakar kritaarth huaa.

Kewal Joshi said...

वेहतरीन ग़ज़ल.. गहरे भाव ...सादर.

S.N SHUKLA said...

Lokendra singh ji,
Kewal joshi ji,

आभार आप मित्रों के स्नेह का .

Akhil said...

Wo kehte hai hame neend hi nahi aati shab bhar..hai neend ka matlab kya, ye thaka haara samjhta hai..

Wah!!!