About Me

My photo
Greater Noida/ Sitapur, uttar pradesh, India
Editor "LAUHSTAMBH" Published form NCR.

हमारे मित्रगण

विजेट आपके ब्लॉग पर

Tuesday, May 29, 2012

रवि शंकर उपाध्याय

                         1

कौन  जश्न मनाये भारत की आजादी का,
गरीब मातम मना रहा है अपनी बर्बादी का/

रोंकता नहीं है कोई दंगे फसाद की आंधी को,
सुख चैन लुटता जा रहा है भारत की आबादी का/

जान की की कीमत कुछ भी नहीं है जालिमों के पास,
ऐसे ही क़त्ल किया था भारत की शहजादी का/

चेहरे पर कुछ और दिल में कुछ और है,
जनता को बस लूट रहे हैं, कपड़ा पहनकर खादी का/

ऐश-ओ-आराम से रहने वालों कभी देखो आकर,
है आज गरीब नंगा और भूंखा भारत की वादी का/

एस देश में देश द्रोहियों की कमी नहीं है रवी,
सबके चेहरें छुपे हैं नाम बदनाम है आतंकवादी का/


                              2

खून से खिलती है होली  आज हिन्दुस्तान में,
खून से छपकर है निकला अखबार हिन्दुस्तान में/

खून का प्यासा है खंजर जल रही हैं बस्तियां,
बच्चा बच्चा सो रहा है आज हिन्दुस्तान में/

बह रहा है नालियों में आज लोंगों का लहू,
खून पानी बन गया है आज़ाद हिन्दुस्तान में/

ऐ जालिमों हर खून करने से पहले सोच लो,
एक दिन तुम सबका होगा, खून हिन्दुस्तान में/

मैं रवि का नूर हूँ, ये सोचकर हैरान हूँ/
मर चुकी इंसानियत आज़ाद हिन्दुस्तान में/


                                                           रवि शंकर उपाध्याय 

5 comments:

परमजीत सिहँ बाली said...

अपने मनोभावों को बहुत सुन्दर शब्द दिए हैं बधाई स्वीकारें।

प्रवीण पाण्डेय said...

अपने भी दिन बहुरेंगे ही।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत सुन्दर रचना! आभार...!

ANULATA RAJ NAIR said...

बहुत बढ़िया.....
उत्कृष्ट रचना.

अनु

लोकेन्द्र सिंह said...

रवि जी... शानदार