कुत्ते ही कुत्ते हैं , कुत्तों में कुत्ते हैं ,
कुत्तों के पिछलग्गू , कुत्तों के कुत्ते हैं
कुत्तों सा भौंकते हैं , काटते हैं , नोचते हैं
कुत्तों के साथ - साथ घूम रहे कुत्ते हैं /
बंगलों में कुत्ते हैं , जंगलों में कुत्ते हैं ,
गोदियों में कुत्ते हैं , बगलों में कुत्ते हैं ,
आदमी का बच्चा है आया के भरोसे पर ,
मालकिन की गोदी में दुलराते कुत्ते हैं /
अक्सर ये बच्चे ही , बड़े हो - समर्थ होकर ,
अपने माँ - बाप को समझते हैं , कुत्ते हैं /
कुत्ते ही कुत्ते हैं---------------------गाड़ियों में कुत्ते हैं , सोफों में कुत्ते हैं ,
बिस्तर पर , मसनद पर , साड़ियों में कुत्ते है,
रोटी का निवाला जहां मुश्किल आम आदमी को ,
मिल्ककेक , बिस्किट , मलाई खाते कुत्ते है ,
कुत्तों की जिन्दगी से आदमी गया - बीता ,
मखमली बिछौनों में इठलाते कुत्ते हैं /
कुत्ते ही कुत्ते हैं----------------------
कुत्ते बुलडाग जैसे , पिद्दी से , बौने से ,
शेर जैसे , भालुओं से , कुत्ते खिलौने से,
दमवाले , पुछकटे, कबरे से , झबरे से ,
बिना बाल वाले तो शेरनी के छौने से ,
आवारा , घुरचट्टे, किनहे से , घिनहे से ,
गाँव , गली , नगर- नगर मंडराते कुत्ते हैं /
कुत्ते ही कुत्ते हैं---------------------
कुत्तों की श्रेणियां हैं , गाँव , गली ,शहर वाले ,
हड्डियों पर लड़ते , कुछ गद्दियों पर लड़ते हैं ,
दूम को हिलाते हैं , चूमते हैं पावों को ,
अपने दरवाजों पर भौंकते , अकड़ते हैं ,
कुत्ता है जानवर , यदि खाता तो निभाता भी है ,
लेकिन कुछ खाकर भी गुर्राते कुत्ते हैं /
कुत्ते ही कुत्ते हैं--------------------
कोठियों के , बंगलों के मुख्यद्वार फाटक पर -
धनिकों का दूर से ही दीखता है स्वाभिमान ,
बड़े - बड़े हर्फों में , बड़े ही करीने से -
प्रायः लिखा रहता है " कुत्तों से सावधान "
ऐसे आवासों को देख क्या नहीं लगता -
जैसे इन भवनों में , आदमी नहीं , कुत्ते हैं ?
कुत्ते ही कुत्ते हैं---------------------
कहते हैं , बहन के घर भाई कुत्ता है ,
और ससुराल में जमाई , तो कुत्ता है ,
बड़ा वाला कुत्ता जो बेटी का खाय बाप ,
भाई का अंश मारे भाई , तो कुत्ता है ,
सोचो फिर , जो सारा देश नोच खा रहे हैं -
दुनिया में उनसे भी बड़े कोई कुत्ते है ?
कुत्ते ही कुत्ते हैं---------------------
- एस. एन . शुक्ल
24 comments:
जबरदस्त प्रस्तुति ।
प्रेरित कर गई ।
कुत्ते चोरों से मिलें, पहरा देगा कौन ।
कुत्ते कुत्ते ही पले, कुत्तुब ऊंचा भौन ।
कुत्तुब ऊंचा भौन, बड़े षड्यंत्र रचाते ।
बढ़िया पाचन तंत्र, आज घी शुद्ध पचाते ।
मूतें दिल्ली मगन, उगे खुब कुक्कुर मुत्ते ।
भर दे दर्पण सदन, भौंक मर जइहैं कुत्ते ।
आपका लिंक यहाँ है -
dcgpthravikar.blogspot.com
कुत्ते ही कुत्ते तो हैं...पर इनमें कुत्तों वाला बेसिक गुण भी नहीं है...वफादारी...धर्म-देश-समाज के प्रति...सिर्फ नोचना-खसोटना जानते हैं...
भरे पड़े हैं,
लड़े पड़े हैं।
गजब के कुत्ते ले के आये हो
कुत्ते को छोड़ सबको कुत्ता बताये हो।
आहा आहा !!!
ये कुत्ता पुराण बड़ा मारक क्षमता रखता है।
तीखा व्यंग .....
अनोखी अभिव्यक्ति...और तीखा कटाक्ष.....
सादर.
जय हो... कुत्ता पुराण.
बहुत बढ़िया
टिप्पणी सुबह ही डाल दी थी...स्पैम में तो नहीं पहुँच गयी...
क्या बात है मित्र ! कुता पुराण, कितना नैशर्गिक,व शालीन .....विलक्षण है, सही है कुत्ते ही कुत्ते हैं / भाव पूर्ण रचना ..बधाईयाँ जी /
A bitter truth..
कुत्ता लेख है यार ....
शुभकामनायें आपको !
.बहुत सटीक और तीखा व्यंग.....बहुत सुन्दर..शुक्लाजी
vaah, rachna zabardast hai........kisi shreni ka kutta nahi chhoda aapne sabko bhiga-bhiga ke mara hai.
बहुत खूब लिखा है इस रचना के लिए आभार
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प्रिय शुक्ल जी वाह वाह मन खुश हो गया ..सच में जो नोच कर देश को खा जा रहे उनसे बढ़कर कोई कुत्ते नहीं ..जबरदस्त व्यंग्य ..भ्रमर ५
कुत्ते ही कुत्ते हैं| भारत और अधिकांश भारतीयों की दयनीय स्थिति देख आपकी कविता पूर्ण रूप से सटीक है| The country is indeed going to the dogs! The leaders have thrown the country to the dogs!
Kutte hi kutte hain... man ko chhoo gayi.... rhythm to aur bhi lajawb thi.. kya kureda hai aapne apne kalam se waah kutte hi kutte...
Ravikar ji,
Vanbhatt ji,
Pravin pandey ji,
आपके समर्थन का आभार.
Sushil ji,
Manoj kumar ji,
Sangita ji,
आपका समर्थन पाकर सार्थक हुयी रचना.
Lokendra singh ji,
UDAY VEER JI,
zeal ji,
स्नेह और समर्थन मिला , आभार
Satish saxena ji,
Maheshwari kaneri ji,
Sunita mohan ji ,
आभार आप मित्रों के स्नेह का .
Swami singh Rajpurohit ji,
Surendra shukla ji,
Prasanna vadan chaturvedi ji,
आभारी हूँ आपके स्नेह का .
Devesh jha ji,
आपके समर्थन का आभार.
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