अब हमें आइने चिढ़ाते हैं /
वक्त जब साथ न हो तो अक्सर ,
लोग , मौसम से बदल जाते हैं /
सुर्खरू थे , हमारे भी लबों पे लाली थी ,
हमारे जिश्म की हालत भी खासी माली थी ,
अब वो रौनक कहाँ , दिलवर कहाँ , दिलदार कहाँ ,
सामने पड़ते हैं , कतरा के निकल जाते हैं /
अब हमें आइने चिढ़ाते हैं /
वक्त अपना था तो , खुद में गुरूर थे हम भी ,
न जाने कितनी ही , आँखों के नूर थे हम भी ,
जो बजाते थे , तालियाँ हमारी बातों पर ,
अब हमें देखकर , वो तालियाँ बजाते हैं /
अब हमें आइने चिढ़ाते हैं /
नूर हर शै का , वक्त आने पे ढल जाता है ,
वक्त के साथ , ज़माना भी बदल जाता है ,
खुश्क डालों पे , परिंदे भी कहाँ टिकते हैं ?
खंडहरों में चिराग , कब जलाए जाते हैं ?
अब हमें आइने चिढ़ाते हैं/
- एस. एन. शुक्ल
19 comments:
बहुत बढ़िया........ शुक्ला जी
नूर हर शै का,वक्त आने पे ढल जाता है ,
वक्त के साथ ,ज़माना भी बदल जाता है ,
बहुत बढ़िया प्रस्तुति, सुंदर रचना,.....
MY RECENT POST.....काव्यान्जलि.....:ऐसे रात गुजारी हमने.....
बहुत खूबसूरत ...... जिंदगी की सच्चाई का सही आइना दिखाया है आपने !
सुन्दर समय के अप्रतिम मान को समझती सी पोस्ट | आभार|
सुंदर प्रस्तुति ....
वक़्त के साथ-साथ ये सारे परिवर्तन तो आते ही हैं... बस हमें जो अच्छे बदलाव हैं, उनको अपना लेना होता है..
सार्थक रचना
सादर
बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना अभिव्यक्ति... आभार
शुक्ल जी ..जिंदगी i का पूरा फ़लसफा लिख दिया ..बेहतरीन रचना है बंधाई स्वीकारें
vaaaaaaah!
kya baat hai!!
bahut khoob likha hai aapne....Vakt ke badlaav ka asar aapki kavita se bakhoobi jhaank raha hai.
waah bahut khub
सच कहा है समय बड़ा बलवान होता है ...
वक्त सबका आयेगा पर,
वह कहाँ किसका रहा है।
वक़्त जब साथ न हो तो अक्सर
लोग मौसम से बदल जाते हैं ......बहुत सही कहा आपने ....बहुत सच्ची और सुन्दर रचना
CHALTI KA NAM GAADI. ROOK GAYI TO KABADI
Chalti ka nam gaadi. Rook gayi to kabadi.
शाम ढलते ही वो खफा सा लगे
अपना साया भी बेवफा सा लगे .
हरेक शै की ये हकीकत है.सुन्दर रचना.आभार.
बहुत खूब...वाह
नीरज
नूर हर शै का,वक्त आने पे ढल जाता है ,
वक्त के साथ ,ज़माना भी बदल जाता है ,
बहुत अच्छी प्रस्तुति,....
RECENT POST....काव्यान्जलि ...: कभी कभी.....
सुन्दर ब्लॉग.....सुन्दर रचनाएं....!
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