(१)
खुद अपने आप से कैंची को कतरते देखा ,
आग को बहते हुए , आब को जमते देखा ,
अक्ल की बातें जो समझाते रहे दुनिया को ,
गैरत- ए- गार में उनको भी उतरते देखा /
(२)
हमने काँटों को सरे आम सिसकते देखा ,
संग- ए- दिल छोड़िये पत्थर को पिघलते देखा,
वो जो दुनिया को हँसाते थे अपनी बातों से ,
उनको तनहाइयों में छुप के सुबकते देखा /
(३)
खुदा की राह , गुनाहों को उभरते देखा ,
रंग गिरगिट सा, आदमी को बदलते देखा ,
लोग कहते हैं कि अल्लाह से डरिए लेकिन ,
मैंने इन्सान को, इन्सान से डरते देखा /
(४)
बुतों को पुजते , आदमी को तड़पते देखा ,
गुनाह फलते , बेगुनाह को फँसते देखा ,
अज़ीब हाल है , इन्सान की इस दुनिया का ,
बादलों को भी , समंदर में बरसते देखा /
(५)
ज़लाल-ओ-जलवा , हर किसी का उतरते देखा,
सरे-कोहसार को भी , टूट के गिरते देखा ,
ज़मीन पर हैं जो, उनकी भला बिसात कहाँ,
मैंने हर शाम, आफ़ताब को ढलते देखा /
- एस. एन. शुक्ल
खुद अपने आप से कैंची को कतरते देखा ,
आग को बहते हुए , आब को जमते देखा ,
अक्ल की बातें जो समझाते रहे दुनिया को ,
गैरत- ए- गार में उनको भी उतरते देखा /
(२)
हमने काँटों को सरे आम सिसकते देखा ,
संग- ए- दिल छोड़िये पत्थर को पिघलते देखा,
वो जो दुनिया को हँसाते थे अपनी बातों से ,
उनको तनहाइयों में छुप के सुबकते देखा /
(३)
खुदा की राह , गुनाहों को उभरते देखा ,
रंग गिरगिट सा, आदमी को बदलते देखा ,
लोग कहते हैं कि अल्लाह से डरिए लेकिन ,
मैंने इन्सान को, इन्सान से डरते देखा /
(४)
बुतों को पुजते , आदमी को तड़पते देखा ,
गुनाह फलते , बेगुनाह को फँसते देखा ,
अज़ीब हाल है , इन्सान की इस दुनिया का ,
बादलों को भी , समंदर में बरसते देखा /
(५)
ज़लाल-ओ-जलवा , हर किसी का उतरते देखा,
सरे-कोहसार को भी , टूट के गिरते देखा ,
ज़मीन पर हैं जो, उनकी भला बिसात कहाँ,
मैंने हर शाम, आफ़ताब को ढलते देखा /
- एस. एन. शुक्ल
44 comments:
बहुत खूब..
न जाने क्या क्या होता है, इस अलबेली दुनिया में..
waah.....bahut hi achchi prastuti.
badalo ko bhi samjndar me baraste deka..
bhaut khoob sir..
वाह! बहुत खूब.
सारी रुबाइयाँ एक से बढ़कर एक हैं.
सादर
रंग गिरगिट सा आदमी को बदलते देखा। बहुत खूब साहब।
बेहतरीन रुबाइयाँ
हकीकत से रू-ब-रू करातीं शानदार रुबाइयां।
अजीब हाल है, इंसान की इस दुनियां का.
बादलों को भी ,समंदर में बरसते देखा.......
सटीक भाव -- जहाँ जरुरत होती है वहां नहीं...
महाशिवरात्रि की शुभ कामनाएं.
वो जो दुनिया को हँसाते थे अपनी बातों से ,
उनको तनहाइयों में छुप के सुबकते देखा
बहुत खूब ! हर पंक्ति एक गहरा असर छोड़ती है, दिल से निकली प्रभावशाली रचना !
बहुत सुन्दर पंक्तियाँ |
अद्भुत भाव ||
रंग गिरगिट सा, आदमी को बदलते देखा ,
Pravin pandey ji,
Nisha Maharana ji,
आपकी शुभकामनाओं का बहुत- बहुत आभार.
Sunukh Bansal ji,
Madhuresh ji,
Lokendra singh ji,
आपके ब्लॉग पर आगमन और स्नेह देने का आभारी हूँ.
Monika ji,
Mahendra verma ji,
स्नेह का आभारी हूँ.
KEVAL JOSHI JI,
RAVIKAR JI,
आपका समर्थन पाकर सार्थक हुयी कलम, धन्यवाद.
badlon ko bhee samandar me barste dekha......aadmi ko insaan se darte dekha...aftab ko bhee dhalte dekha...aanand aa gaya...behtarin rachna ke liy sadar badhaye
बहुत ही सुन्दर साड़ी की साड़ी अच्छी हैं ....शुभकामनायें।
क्या करें हालात ही कुछ ऐसे हैं -प्रभावशाली रचना
वाह! सभी मुक्तक एक से बढ़कर एक और दिल को छू जाते हैं...बधाई
waah bahut khub hai aapki rubaiyan
रुबाईयों से मै पहली बार परिचित हो रही हूँ !
बहुत बढ़िया लगी आभार !
वाह बहुत खूब आज पहली बार आपके ब्लॉग में आई पर आकर दिल को सुकून मिल गया |
बहुत सुन्दर ..
kalamdaan.blogspot.in
gahare artho ka samaete rubaaiaa
Ashutosh Misra ji,
आपके ब्लॉग पर आगमन और शुभकामनाओं का आभारी हूँ.
Imaran Ansari ji,
Aravind Misra ji,
Kailash Sharma ji,
आप मित्रों से हमेशा इसी स्नेह की अपेक्षा रही है.
Sandhya Tewari ji,
शुभकामनाएं मिलीं आभारी हूँ इस स्नेह का.
Suman ji,
Meenakshi Pant ji,
Ritu ji,
आपका स्नेह मिला , सार्थक हुआ सृजन, आभार.
Rajendra Sharma ji,
ब्लॉग पर आगमन और शुभकामनाओं का आभारी हूँ.
lajawab lekhan ...
Shukla Ji,
Thankyou very much for your comment and motivation. i am a starter. i too have a broad collection but scared to be write in blogs because i saw matter can be copied easily. though i read your most poems. a nice collection........
Thanks a lot Shukla ji once again.
सुन्दर रुबाइयाँ |
आपकी लेखनी सरल सजग और सुन्दर है. अनेक शुभकामनाएं.
आपकी लेखनी सरल सजग और सुन्दर है.अनेक शुभकामनाएं.
बहूत हि सुंदर रचना है,,
अनुपम भाव संयोजन...
सभी मुक्तक बेहतरीन है...
बेहतरीन रुबाइयाँ।
सादर
Anupama pathak ji,
Anupama Tripathi ji,
कृतज्ञ हूँ आपके इस स्नेह का,
यही स्नेह सदैव प्राप्त होता रहे.
MUSKAN JI,
आपके ब्लॉग पर पधारने और समर्थन प्रदान करने का धन्यवाद.
Amrita Tanmay ji,
Purushottam pandey ji,
आपकी शुभकामनाओं का बहुत - बहुत आभार,
कृतज्ञ हूँ आपके इस स्नेह का.
Reena Maurya ji,
Yashawant Mathur ji,
आप मित्रों का स्नेहाशीष मिला आभारी हूँ.
बहुत खूब.....एक से बढ़कर एक....
बहुत खूब.....एक से बढ़कर एक....
Ragini ji,
आपकी स्नेहिल शुभकामनाओं का आभारी हूँ.
bahaut, bahaut pasand aayi
Tripti ji,
आपके ब्लॉग पर आगमन का आभार और शुभकामनाओं का धन्यवाद/
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