अपने विवाहित मित्रों की दृष्टि में-
मैं आवारा हूँ.
क्योंकि तीस वसंत देखने के बाद भी
अभी तक क्वांरा हूँ .
अब तुम्हें क्या बताऊँ
अजब सूरते हाल है
इस महंगाई में एक पेट लेकर तो जीना मुहाल है .
खैर मैंने अपना साहस बटोर
और मित्रों की हिकारत का जवाब देने के लिए
वैवाहिक विज्ञापन का मसौदा कुछ इस तरह जोड़ा .
तीस वर्षीय लम्बे, छरहरे, गौरवर्ण, स्नातकोत्तर युवक को -
एक अदद पत्नी की तलाश है .
प्रतिउत्तर के ढेरों खतों को पढ़-
अब मेरा मन बिलकुल निराश है.
लगभग हर उम्मीदवार की -
दहेज में कार और रंगीन टीवी की मांग है.
अब आप ही सुझाएँ - मैं क्या करूँ
यहाँ तो कुएं में ही भाँग है.
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