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Saturday, March 5, 2011

(1) पर सजग रहना तुम्हें है

यह चिरंतन सत्य है तुम जीत सकते हो समर हर
पर सजग रहना तुम्हें है, एक प्रहरी सा निरंतर.
तुम  वही हो  सृष्टि हित जिसने हलाहल को पिया था 
मेरु पर्वत से तुम्हीं ने सिन्धु मंथन भी किया था
पाँव जिसका सैकड़ों योद्धा हिला तक भी न पाए ,
और वारिध को तुम्हीं ने अंजुली में भर लिया था . 
जानता यह विश्व तुमने सेतु बांधा  था जलधि पर
पर सजग रहना तुम्हें है, एक प्रहरी सा निरंतर.
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अस्थियाँ निज दान कर दीं देवताओं की विजय को
जलधि लांघा एक पल में तनिक मन  लाये न भय को
बालपन में खेल में ही रख लिया था भानु मुख में
एक मुष्टि प्रहार दे दी मृत्यु  दसकंधर तनय को
मानता तुम सुरसरी को स्वर्ग से  लाये धरा पर
पर सजग रहना तुम्हें है, एक प्रहरी सा निरंतर.
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सिंह शावक के गिने थे दांत जिसने वह तुम्हीं हो
और गणना के दिए सिद्धांत जिसने वह तुम्हीं हो
ज्ञान का आलोक तुमने ही दिया था विश्व भर को
जगत गुरु गरिमा रही निष्णात जिसमे वह तुम्हीं हो
और पर्वत को उठाया था तुम्हीं ने तर्जनी पर
पर सजग रहना तुम्हें है, एक प्रहरी सा निरंतर.
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ध्यान रखना भारती  के  भाल पर सिलवट न आये
फिर कोई वहशी  लुटेरा इस धरा को छू न पाए
पक्षधर हम हैं अहिंसा के मगर यह ध्यान रखना
इस अहिंसा में हमारा मान भी घटने न पाए
मानता यह सृष्टि का कोई न तुमको कार्य दुष्कर
पर सजग रहना तुम्हें है, एक प्रहरी सा निरंतर 

1 comments:

S.N SHUKLA said...

yah rachna samarpit hai sare bharatvarsh ko.