दिल के जख्मों को तबस्सुम से छुपा लेते हैं /
ज़िंदगी जीते हैं , कैसे भी निभा लेते हैं /
टूटते ख़्वाब , तो होता है दर्द हमको भी ,
हम तो किरचों को भी , पलकों पे उठा लेते हैं /
हम मगर वो भी नहीं , हाँ में हाँ मिलाते रहें ,
हर एक दर पे , जो सिर अपना झुका लेते हैं /
तपिश के डर से , छाँव खोजते होंगे कोई ,
हम तपिश हो भी तो , शोलों को हवा देते हैं /
सरे - कोहसार से , लाते उतार हैं दरिया ,
ठान लें गर , तो समंदर को सुखा देते हैं /
लोग डरते हैं , हवाओं के जोर से , पर हम
आँधियाँ आयें तो , दीवार गिरा देते हैं /
- एस. एन. शुक्ल
54 comments:
टूटते ख़्वाब,तो होता है दर्द हमको भी,
हम तो किरचों को भी,पलकों पे उठा लेते हैं
वाह!!!!बहुत बढ़िया सुंदर प्रस्तुति,शुक्ल जी
मै आपका नियमित पाठक हूँ,हमेशा पोस्ट पर आने के लिए आमंत्रित करता हूँ,किन्तु आप नही आते,..आइये स्वागत है,...
MY RECENT POST काव्यान्जलि ...: कवि,...
मै तो इखलाक के हांथों ही बिका करता हूँ...
और होंगे तेरे बाज़ार में बिकने वाले...
बेहतरीन... आनंद आ गया...
awesome post sir..
Bahut Umda Panktiyan....
सुन्दर प्रस्तुति |
आभार ||
शुभकामनाये ||
ऐसे ही जीना भाता है,
कहे वही जो सह पाता है।
सुभान अल्लाह...एक एक शेर तराशा हुआ नगीना है...दाद पहुंचाएं
नीरज
jabab nahin.....kai baar padhi.....
waah...bahut khoob!!
बहुत अच्छी गजल है सर!
150 पोस्ट होने की हार्दिक बधाई!
सादर
आपके आदेशानुसार मैं हाजिर हूँ। मुझे साहित्य की समझ नहीं है, इसलिए कोई सलाह देने का दुस्साहस नहीं करता। हॉं, कविता अच्छी लगी या नहीं, यह अनुभूति के स्तर पर कह देता हूँ।
सबसे पहले तो 150 पोस्टों की बधाइयॉं स्वीकार करें। आपकी यह गजल मुझे अच्छी लगी - व्यवस्था के विरुध्द और धारा के प्रतिकूल कही हर बात मन को भाती है।
मेरा तकनीकी ज्ञान शून्य है इसलिए वे ही ब्लॉग पढ पा रहा हूँ जो मैं इ-मेल से प्राप्त कर पाता हूँ। यदि आपका ब्लॉग भी ई-मेल से प्राप्त किया जा सकता है तो कृपया तदनुसार सूचित कीजिएगा। मैं आपकी रचनाऍं पढना चाहूँगा।
आदरणीय शुक्ल जी!
आपने बहुत उम्दा ग़ज़ल लिखी है।
150वीं पोस्ट की शुभकामनाएँ स्वीकार करें।
Nice poem.
Mubarak ho.
वाह बहुत ही खुबसूरत आखिरी शेर तो कमाल का है ।
सुन्दर प्रस्तुति है ।
मै तो इखलाक के हांथों ही बिका करता हूँ...
और होंगे तेरे बाज़ार में बिकने वाले...
बहुत खूबसूरत गजल...ऐसा ही जज्बा जीवन को ऊचाईयों पर ले जाता है. आपको बहुत बहुत बधाई अब तक के सफर के लिये.
@ दिल के जख्मों को तवस्सुम से छिपा लेते हैं ..
ऐसे शब्द तो एक बेहतरीन दिल का इंसान ही लिख पायेगा ...
आप बेहतर इंसान है शुक्ला जी !
आपकी १५० वीं रचना का एक एक शेर संग्रह करने लायक है , मगर कंजूसी की हद यह कि दोस्तों को ले जाने भी नहीं देते !
बधाई इस खूबसूरत रचना के लिए !
बहुत ही सुन्दर रचना...१५०वीं पोस्ट के लिए हार्दिक बधाई!!
मेरी नई पोस्ट पर पधारें मेहनत के नशे में आप सिगरेट से सिगार हो गये
wah.... bahut khoob..
150 rachana poori hone pr hardik badhai ....
behad khoobsoorat rachana pr hardik badhai Shukl ji.
टूटते ख़्वाब,तो होता है दर्द हमको भी,
हम तो किरचों को भी पलकों पे उठा लेते हैं
बहुत बढ़िया सुंदर प्रस्तुति.........
प्रिय शुक्ल जी मुबारक हो आप के शतक से भी आगे डेढ़ शतक क्या बात है ...मुबारक हो बधाइयाँ ...साहित्य सृजन में बिभिन्न विषयों और समाज के उत्थान में आँखें खोलने वाली कवितायेँ और आप के लेख प्य्रारे रहे और बहुत ही उपयोगी ...बहुत बहुत शुभ कामनाएं आप उत्तरोत्तर यों ही प्रगति कर रौशनी फैलाते रहें और अपना स्नेह हम सब पर भी बनाये रखें ..
आइये एक बनें नेक बने --जय श्री राधे
भ्रमर ५
प्रिय शुक्ल जी मुबारक हो आप के शतक से भी आगे डेढ़ शतक क्या बात है ...मुबारक हो बधाइयाँ ...साहित्य सृजन में बिभिन्न विषयों और समाज के उत्थान में आँखें खोलने वाली कवितायेँ और आप के लेख प्य्रारे रहे और बहुत ही उपयोगी ...बहुत बहुत शुभ कामनाएं आप उत्तरोत्तर यों ही प्रगति कर रौशनी फैलाते रहें और अपना स्नेह हम सब पर भी बनाये रखें ..
आइये एक बनें नेक बने --जय श्री राधे
भ्रमर ५
DHEERENDRA JI,
Vanbhatt ji,
Lokendra Singh ji,
आपके इस स्नेह का ह्रदय से आभार.
Sumukh ji,
Monika ji,
Ravikar ji,
आपकी स्नेहिल शुभकामनाओं का कृतज्ञ हूँ.
Pravin Pandey ji,
Neeraj Goswami ji,
Mridula Pradhan ji,
स्नेह मिला, आभारी हूँ.
Brijendra Singh ji,
Yashwant Mathur ji,
यह स्नेह सदैव इसी तरह मिलता रहे, यही आकांक्षा है.
Vishnu Vairagi ji,
आपका समर्थन पाकर कृतार्थ हुआ.
Sada ji,
Roopchandra Shastri ji,
Anawar Jamal ji,
Imaran Ansari ji,
आपकी स्नेहिल शुभकामनाएं मिलीं , आभार.
Sangita ji,
स्नेह मिला, समर्थन पाकर कृतार्थ हुआ.
Anita ji,
Satish Saxena ji,
Kumar ji,
Rewa ji,
यह स्नेह सदैव इसी तरह मिलता रहे, यही आकांक्षा है.
Navin Mani Tripathi ji,
Surendra Shukla ji,
आपकी स्नेहिल शुभकामनाओं का आभार.
आपकी १५० वीं पोस्ट और आपका स्नेहिल आमंत्रण मोहित कर गया ... मिलते रहेंगे ... शुक्रिया !!
तपिश के डर से , छाँव खोजते होंगे कोई(और) ....
हम तपिश हो भी तो , शोलों को हवा देते है....
तभी तो आप यहाँ तक आ पहुंचे .... !!
1सेंचुरी + हाफ सेंचरी = डेढ़ सेंचुरी की हार्दिक बधाई और बहुत-बहुत शुभकामनाएं .... !!
आदरणीय शुक्ला जी,
सर्वप्रथम तो १५० वीं ब्लॉग पोस्ट पर हार्दिक बधाई स्वीकार करें ..... आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है की आपकी रचनाओं का रसास्वादन हम हमेशा इसी प्रकार करते रहेंगे .....रचना वाकई बेहद खूबसूरत है ...हरेक शेर लाजवाब लिखा है आपने
टूटते ख़्वाब,तो होता है दर्द हमको भी,
हम तो किरचों को भी,पलकों पे उठा लेते हैं ...... यह शेर विशेष रूप से पसंद आया.
150 वीं पोस्ट के लिए बधाई ! आपकी गज़ल भी बहुत शानदार है हर एक शेर ओज से भरा हुआ!
बहुत ही उम्दा भाव !
150 पोस्ट होने की हार्दिक बधाई.
दिल के जख्म को मुस्कराहट में छुपाने वाले,
जिन्दगी को जिन्दगी की तरह निभाने वाले,
ख्वाब टूटने के लिये ही होते हैं दर्द क्यों,
आप हैं किरचों को भी, पलकों से उठाने वाले,
हर बात पर हाँ में हाँ नहीं मिलाते जानता हूँ,
बुराई के आगे सर नहीं हो झकाने वाले,
तेरी तारीफ किन शब्दों में करूँ दोस्त,
शुक्ल जी हैं धूप को छाँव बनाने वाले,
कवि की ताकत से मैं सुपरिचित हूँ,
जो है भ्रष्टाचार के समुन्दर को सुखाने वाले,
150वीं पोस्ट पर मेरी बधाई स्वीकार करें,
अपनी रचनाओं से देश को जगाने वाले,
sundar prastuti
Sampajany ji,
Vibha ji,
Shalini ji,
Abhaaree hoon apake sneh kaa.
Sushila ji,
Kunwar Kusumesh ji,
Apakee shubhakaamanaaon ka aabhaar.
Dinesh Agrawal ji,
Ashish Tewari ji,
apaka sneh aur samarthan mila, abhari hoon.
टूटते ख्वाब तो होता है दर्द हमको भी
हम तो किरचों को भी पल्कोंसे उठा लेते हैं ....
बहुत सुन्दर ......!!!!
और १५०वि पोस्ट के लिए बहुत बहुत बधाई स्वीकारें .....!!!!!!
दिल के जख्मों को तबस्सुम से छुपा लेते हैं /
ज़िंदगी जीते हैं , कैसे भी निभा लेते हैं /
वाह बहुत सुंदर अशआर. १५० वीं पोस्ट के लिये शुभकामनायें.
१५० वी पोस्ट को पोस्ट करने बहुत२ बधाई...
वाह!!!!बहुत सुंदर प्रस्तुति,..प्रभावी रचना,..
MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: गजल.....
Saras ji,
Rachana Dixit ji,
aap mitron kaa bahut- bahut aabhaar.
Dheerendra ji,
aabhaaree hoon is sneh kaa.
ek aur sundar gazal aur ek khoobsurat gazal sangrah ke liye dheron badhai...!
accha hai
sundar prastuti
मत भेद न बने मन भेद - A post for all bloggers
बेहतरीन प्रस्तुति ...
Sunita Mohan ji,
Anand jha ji,
Ap shubhachintakon ka bahut- bahut aabhar .
Pankshi ji,
Rajnish Tewari ji,
aap mitron kaa sneh mila, aabhaaree hoon.
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