ज़रा - ज़रा सा जगो तुम, ज़रा सा हम भी जगें ,
नयी शमाएँ रोशनी की , जलाई जाएँ /
धर्म-ओ- मज़हब के फासलों की दीवारों को गिरा ,
राह - ए - मिल्लत नयी तामीर कराई जाएँ /
नफरतें बो के सियासत हमें लड़ाती रही ,
पढ़े - बढ़े तो मगर दूरियाँ बढाती रही ,
कौम इनसान की कौमों के नाम पर तकसीम ,
भट्ठियां नफरतों की , आओ बुझाई जाएँ /
ज़रा - ज़रा सा बढ़ो तुम , ज़रा सा हम भी बढ़ें ,
ये दूरियाँ तमाम , मिल के मिटाई जाएँ /
- एस. एन. शुक्ल
नयी शमाएँ रोशनी की , जलाई जाएँ /
धर्म-ओ- मज़हब के फासलों की दीवारों को गिरा ,
राह - ए - मिल्लत नयी तामीर कराई जाएँ /
नफरतें बो के सियासत हमें लड़ाती रही ,
पढ़े - बढ़े तो मगर दूरियाँ बढाती रही ,
कौम इनसान की कौमों के नाम पर तकसीम ,
भट्ठियां नफरतों की , आओ बुझाई जाएँ /
ज़रा - ज़रा सा बढ़ो तुम , ज़रा सा हम भी बढ़ें ,
ये दूरियाँ तमाम , मिल के मिटाई जाएँ /
- एस. एन. शुक्ल
41 comments:
रुक कर थम कर सामंजस्य स्थापित करें ...
दूरियां मिट जाएँगी ...
सुंदर रचना ...आभार .
वाह!!!!!!!!!!!!!!!
बहुत बढ़िया प्रस्तुति सर............
सादर.
ek ek shabd me bahut sundar bhav bharen hain aapne. badhai.
नफरतें बो के सियासत हमें लड़ाती रही ,
पढ़े - बढ़े तो मगर दूरियाँ बढाती रही... बेहतरीन भाव पुर्ण प्रस्तुति,सुन्दर रचना...
RECENT POST...काव्यान्जलि ...: यदि मै तुमसे कहूँ.....
RECENT POST...फुहार....: रूप तुम्हारा...
शब्द चयन -सुन्दर
भाव -प्रभावशाली |
बहाव- लाजवाब ||
Anupama ji,
Anu ji,
Shalini ji,
आभार आपके स्नेह का .
Dheerendra ji,
Ravikar ji,
.
आपकी शुभकामनाओं के लिए धन्यवाद.
ज़रदारी साहब के आगमन को ध्यान में रख कर लिखी गयी है...लगता है...बहुत खूब...
Ameen!! :)
बढ़िया शानदार....
sunder prstuti.....
वाह!!
बहुत खूब कहा है उम्दा प्रस्तुति।
लाजवाब शेर ... पूरी गज़ल कमाल है ..
bhavpoorna aur prabhavshali rachna . Dhanyawaad .
सब मिलकर बढ़ें,
एक नया भविष्य गढ़ें।
sahi bat jara jara se aage badhnewale hi manjil tak phuchte hain....
आशा और विश्वास जगाती पंक्तियाँ...बहुत सुंदर रचना!
बहुत सुंदर रचना....
बहुत सुन्दर लाजवाब प्रस्तुति...
बहुत ही अच्छा सन्देश देती हुई रचना ...
Vaanbhatt ji,
ब्लॉग पर आगमन और स्नेह प्रदान करने के लिए धन्यवाद.
Madhuresh ji,
Lokendra Singh ji,
Poonam ji,
स्नेह और शुभकामनाएं मिलीं, धन्यवाद.
Sada ji,
Digamber Naswa ji,
MEETA JI,
आप मित्रों से इसी समर्थन की अपेक्षा रही है.
pRAVIN pANDEY JI,
Nisha Maharana ji,
Anita ji,
आपके इस स्नेह का आभारी हूँ.
Kumar ji,
ब्लॉग पर आगमन और स्नेह का आभारी हूँ.
Maheshwari Kaneri ji,
Suresh Kumar ji,
शुभकामनाओं के लिए धन्यवाद.
सुदर सृजन / साधुवाद शुक्ल जी
सुदर सृजन / साधुवाद शुक्ल जी
सुदर सृजन / साधुवाद शुक्ल जी
ये दूरियाँ तमाम दिल की मिटाई जाये
यह एक पंक्ति ही धरती पर स्वर्ग लाने के लिये काफी है.सशक्त रचना.
Babban pandey ji,
आभार आपके स्नेह का.
Arun Nigam ji,
स्नेह मिला, आभारी हूँ.
ज़रा ज़रा ही सही, मगर है यह है भावोँ से भरा भरा
बिलकुल कुछ कदम तुम चलो और कुछ हम ....सुन्दर अभिव्यक्ति!
Bandanajee,
आभार आपका.
अरविंद जी,
आभारी हूँ आपके स्नेह का.
सुंदर भाव,सशक्त प्रस्तुति!
बहुत सुंदर रुक कर थम कर सामंजस्य स्थापित करें ...
दूरियां मिट जाएँगी ...
बेहतरीन विचार हैं आपके शुक्ला जी
शुभकामनायें
Rita ji,
Nityanand ji,
Satish Saxena ji,
आपकी शुभकामनाओं का आभार .
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